रिमोट कंट्रोल – कमलेश राणा

जब से ये निगोड़ा रिमोट आया है दुनियां में, जीना हराम कर दिया है,, मजाल है जो कोई अपनी पसंद का कार्यक्रम चैन से देख पाये,, सारे दिन चिल्ल पौं ही मची रहती है,,

विमला जी बड़बड़ाये जा रही थी,,

देखो दादी भाई ने फिर अपना कार्टून लगा लिया,, अब वो दो घंटे से पहले खत्म नहीं होगा,,

तो तुम भी देख लो न,,

पर दादी मुझे ये वाला नहीं देखना,, गंदा लगता है मुझे तो ये,,आप मेरा वाला लगा दो न,,कहते हुए परी प्यार जताते हुए दादी की गोदी में बैठ गई,,

तभी उनके दादाजी आ जाते हैं,, अरे, अब रिमोट हमें दो “घंटी बजाओ” आने वाला है,, अब हम न्यूज़ देखेंगे,,चलो होमवर्क करो अपना,,

दोनों मुँह बनाते हुए बेमन से चले जाते हैं,,

साढ़े आठ बजे तक जो देखना है देख लो तुम फिर हम ” यशोमति मैया के नंदलाला ” देखेंगे,,

जैसे ही बीच में विज्ञापन आते हैं शर्मा जी तुरंत न्यूज़ लगा देते हैं,, रिमोट उनकी छाती पर ही रखा रहता है और उंगलियाँ बटन दबाने को व्याकुल रहतीं हैं,,

अब तो एड खतम हो गये होंगे,, लगा दो,, देखो कितना निकल गया,, पता नहीं कैसे हो तुम,, एक ही न्यूज़ को दिन में बीस बार देखते हो फिर भी मन नहीं भरता तुम्हारा,, सारे दिन में एक प्रोग्राम देखती हूँ, उसमें भी चैन नहीं है,,

लो देख लो तुम्हीं,, पूरे दिन ऐंकर बहस करते रहते हैं वो सुनना तो बहुत अच्छा लगता है तुम्हें,, पर घर में कोई एक बात को दुबारा कह तो दे तो ऐसा लगता है कितना बड़ा गुनाह कर दिया,, इतनी बातें सुनाते हो कि बस,,

विमला जी जाने कब की भरी बैठी थी,, सारा गुबार पति पर निकाल दिया,,

पहले अच्छा था दूरदर्शन पर सबकी पसंद के प्रोग्राम निश्चित समय पर आते थे,, जिसको जिसमें रुचि होती थी, वह उसे देखता, बाकी अपना काम निपटा लेते,, दिन में एक कार्यक्रम जरूर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गो की पसंद का होता था,, सुबह सात बजे वंदना से शुरू होता और रात को ग्यारह बजे नमस्कार के बाद समाप्त,,

पर अब तो हर प्रोग्राम के लिए कई कई चैनल हैं जो दिन रात चलते ही रहते हैं,, जिसके हाथ में रिमोट,, वही राजा,, मजाल है जो आसानी से छोड़ दे,,

यही प्रवृत्ति जीवन में भी दिखाई देने लगी है अब,, परिवार में हर सदस्य दूसरे को अपने हिसाब से चलाना चाहता है,, बस वही सही है बाकी सब गलत हैं,,

पहले घर का रिमोट मुखिया के हाथ में होता था ,, उसका फैसला सर्वमान्य होता था तो घर की सारी व्यवस्थाएं भी सुचारु रूप से चलती थी,, आज हर सदस्य सोचता है सब मेरे हिसाब से ही चलें,, इसीलिये परिवार बिखर रहे हैं,,

सबको रिमोट कंट्रोल की आदत हो गई है,, कोई एडजस्ट नहीं करना चाहता,,

कमलेश राणा

ग्वालियर

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