” प्रीत की डोर ” – रणजीत सिंह भाटिया : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : ” चलो बेटा कुछ चाय नाश्ता ही कर लो…सुबह से कुछ भी नहीं खाया…. ” सुजाता जी अपने पड़ोसी के बेटे रजत से कह रही थी, जो कि उनकी बेटी रमा की शादी में सारी तैयारियां करवा रहा था, सुजाता जी ने आवाज लगाई ” अरे बेटा नीतू जरा इधर चाय नाश्ता तो ले आ “

थोड़ी देर में नीतू हाथ में एक ट्रे लेकर कमरे में दाखिल हुई, तो रजत उसे एकटक देखता ही रह गया…हिरनी जैसी बड़ी बड़ी काली आंखें.. काले घुंघराले बाल… गोरा रंग… ऐसा लग रहा था जैसे आसमान से कोई अप्सरा उतर के आ गई हो…

सुजाता जी रजत को देखकर मुस्कुराई और कहने लगी ” यह मेरी बहन सुधा की बेटी है नीतू शादी में आई है ” नीतू ने जब रजत की ओर देखा दोनों की आंखें चार हुई तो नीतू शरमा गई रजत जैसे हैंडसम लड़के को देखकर न जाने कहां खो गई…..!

अब शादी के माहौल में रजत और नीतू का कई बार आमना-सामना हुआ दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे…और साथ में फोन नंबर भी l इसी दौरान सुधा ने सुजता से पूछा ” कौन है यह लड़का मुझे लगता है कि अपनी नीतू को चाहने लगा है….

” तब सुजाता ने कहा ” ये रजत है…हमारे पड़ोसी कपूर साहब का बेटा बहुत अच्छे स्वभाव का है…, और मेरी बेटी रमा को अपनी बहन मानता है l और बेटे की तरह शादी की सारी तैयारियां यही करा रहा है इंजीनियर है…..!

अगर तू कहे तो नीतू की बात चलाऊं इससे.. ! ” हां दीदी यह तो बहुत अच्छा रहेगा नेकी और पूछ पूछ ” सुधा ने कहा l

शादी बहुत धूमधाम से निपट गई उसके बाद सुजाता जी ने रजत और नीतू की बात मिसेस कपूर को बताई और कहा ” दोनों एक दूसरे को बहुत चाहते हैं तब मिसेज कपूर ने कहा ” हां मैंने भी देखा है इन दोनों की आंखों में एक दूसरे के लिए उमड़ता प्यार… और नीतू जैसी खूबसूरत बहू मिल जाए तो और क्या चाहिए…!

पर एक बहुत बड़ी अड़चन है इसमें.. रजत के पिता ने अपने मित्र प्रेमनाथ जी की बेटी से रजत की शादी करने का वचन दे रखा है…!!

फिर शादी की बात आगे ना बढ़ पाई.., और रजत बहुत ही उदास रहने लगा l उसने अपने माता-पिता से कहा कि ” मैं नीतू से ही शादी करना चाहता हूं… आपने पहले मुझे कभी इस वचन के बारे में क्यों नहीं बताया मैं प्रेमनाथ जी की बेटी से मिलना चाहता हूं आजकल लड़का और लड़की की मर्जी के बिना जबरदस्ती शादियां नहीं होती ” l

फिर एक दिन रजत और प्रेम नाथ जी की बेटी सौम्या की मुलाकात हुई, रजत ने उसे सब कुछ साफ-साफ बता दिया तब सौम्या ने कहा ” रजत तुमने मेरा बहुत बड़ा बोझ हल्का कर दिया……!

मैं भी एक लड़के नील से बहुत प्यार करती हूं.. पर मां-बाप का दिल नहीं दुखाना चाहती थी, इसलिए चुप थी, अगर हम दोनों की शादी होती है तो…चार जिंदगियां खराब होंगी, क्यों ना हम अपने -अपने माता-पिता को सब कुछ साफ-साफ बता दें…..?

बच्चों की खुशी के लिए थोड़ी सी आनाकानी के बाद रजत और सौम्या के माता-पिता भी मान गए l

कुछ ही महीनों में रजत और नीतू.., और सौम्या और नील को अपने- अपने मनपसंद जीवनसाथी मिल गए जिनसे उनकी आंखें चार होते ही प्यार हो गया था l

मौलिक एवं स्वरचित

रणजीत सिंह भाटिया ✍️

U. S. A.

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