परमात्मा और अंतरात्मा

दोस्तों मैं एक कंपनी में बिजनेस मैनेजर की नौकरी करता हूं और मेरा काम है कंपनी-कंपनी जाकर अपनी कंपनी के सर्विस को बताना और उनसे ऑर्डर लेना।  मैं एक जगह से पैदल गुजर रहा था, गली के जो मेन गेट था, उस पर एक छोटा सा कागज का टुकड़ा चिपका हुआ था और उस पर लिखा हुआ था इसे आप जरूर पढ़ें कृपया इग्नोर ना करें। 

 मैंने भी सोचा चलो पढ़ ही लेते हैं ऐसा इसमें क्या लिखा है ।  जब मैं उस कागज को पढ़ने लगा तो उस पर लिखा हुआ था, मैं एक अंधा व्यक्ति हूं मेरी तबीयत भी खराब है, मेरे पास सिर्फ 100 का ही एक पुराना नोट था,  वह मुझसे गुम हो गया है, जिस भी बंधु को वह 100 का नोट मिले कृपया करके यहां से तीसरा दरवाजा छोड़ मेरा घर है वह नोट मुझे वापस लौटा दे। 

 कागज का टुकड़ा पढ़ने के बाद मेरे मन में ख्याल आया चल कर देखता हूं कौन है उस घर में और उसे कितना विश्वास है लोगों पर जबकि आज लोग ऐसा हो गए हैं किसी को रास्ते चलते ₹1 का सिक्का भी मिल जाए तो वह भी अपने पास रख लेता है।  और यह आदमी लोगों से उम्मीद करता है कि वह उसके ₹100 वापस कर जाएंगे। 

 कागज के टुकड़े पर दिये  पत्ते के अनुसार मैंने दरवाजा खटखटाया देखा कि वहां से एक वृद्ध आदमी ने दरवाजा खोला और उसने बताया कि उसका इस दुनिया में कोई नहीं है अकेले ही रहता है। 

 उसको देखते हुए ही बिना सोचे समझे मैंने कह दिया अंकल जी आपका खोया हुआ ₹100 मुझे मिल गया है मैं उसे वापस लौटाने आया हूं। 



 मेरा इतना कहना था कि वह वृद्ध आदमी वहीं बैठ कर रोने लगा । मैंने जब उस वृद्ध आदमी से पूछा कि आपके पैसे तो मैं वापस लौटाने आया हूं फिर आप क्यों रो रहे हैं।  वृद्ध आदमी ने बोला बेटा सुबह से अब तक लगभग 50 से 60 आदमी मुझे 100 रुपए दे चुके हैं। मैं तो पढ़ा लिखा भी नहीं हूं और मुझे ठीक से दिखाई भी नहीं देता है पता नहीं कौन मेरी हालत पर दया खाकर मेरी मदद करने के उद्देश्य से यह लिख गया है। 

वह अंकल मेरे पैसे नहीं ले रहे थे लेकिन मैंने उन्हें यह कह कर पैसे दे दिए कि आप अपना बेटा समझकर या पैसा रख लीजिए और उन्होंने कहा बेटा एक काम और जरूर करना तुम जब यहां से जाओगे तो कागज के टुकड़ों को भी फाड़ देना।  मैंने भी हां कहां कर वहां से चला गया। 

 जब मैं कागज का टुकड़ा पढ़ने के लिए अपने हाथ पढ़ाया तो मैंने सोचा यह बात तो अंकल जी ने हर उस व्यक्ति से कहा होगा जो उन्हें पैसे देने गया होगा लेकिन उन्होंने ऐसे किसी ने भी इस पर्ची को नहीं फाड़ा फिर मैं क्यों  ऐसा करूं। अगर ऐसा होने से उस अंकल कुछ सहायता मिल जाती है तो इससे अच्छी बात क्या है। 

मैं उस परमात्मा को धन्यवाद दे रहा था कि वह अपने भक्तों की सेवा कैसे कर देता है और मेरी अंतरात्मा मुझे कह रही थी आपको जहां भी जिस हाल में भी सेवा करने का मौका मिले आप सेवा करने से पीछे ना हटे.।दोस्तों आपको इस दुनिया में मदद करने के कई सारे तरीके हैं लेकिन आपके अंदर मदद करने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए। 

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