पैसे की लालच

अभिनव अमेरिका में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था और वहीं पर एक एनआरआई लड़की से शादी कर लिया था.  1 दिन दोनों पति-पत्नी ने एक सुंदर सा फ्लैट देखा जिससे उनको खरीदने का मन कर दिया. अभिनव फ्लैट को खरीदने का मन बना लिया लेकिन अभी उसमें 10 लाख  रुपये कम पड़ रहे थे अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह 10 लाख रुपए लाए कहां से. वह सोच के परेशान था कि इतना अच्छा फ्लेट है सिर्फ 10 लाख रुपए और कहीं से जुगाड़ हो जाते तो फ्लैट हमारा हो जाता.  

अभिनव की पत्नी रुचि ने अभिनव को परेशान देखकर कहा मेरे पास एक उपाय है।  अभिनव ने बोला “क्या?” रूचि बोली तुम इंडिया क्यों नहीं चले जाते और तुम्हारे गांव में जो पुश्तैनी जमीन है उसे भेज दो और अपने मां-बाप को शहर के किसी वृद्ध आश्रम में छोड़ दो और उनका खर्चा हम यहां से भेजते रहेंगे।  अभिनव ने कहा हां यार तुमने बिल्कुल सही कहा अभीनव तुरंत फोन उठाया और अपनी मां को फोन लगाया।

अभिनव वैसे तो अपनी मां बाप के पास महीना में एक बार भी फोन नहीं करता था उनको बिलकुल छोड़ दिया था जैसे  उसका उनसे कोई नाता ही ना हो। लेकिन जब भी फोन करता था मां-बाप बहुत खुश हो जाते थे और अगले फोन का इंतजार करते थे।  अभिनव का जैसे ही फोन बजा और अभिनव के पापा ने जब फोन पर अभिनव का नंबर देखा तो खुशी से उछल उठे और अपनी पत्नी को बोले। ”  अरे ओ सुमित्रा जल्दी से आ जाओ अभिनव का फोन आया है” सुमित्रा जल्दी से दौड़ कर आई और अपने पति से बोली कि फोन का स्पीकर ऑन कर दो दोनों साथ ही बात करेंगे।



अभिनव ने पहले तो प्यार से दोनों से बात करता रहा फिर अंत में उसने कहा मम्मी पापा आप लोगों के लिए एक और खुशखबरी है रुचि चाहती है कि आप लोग अब हमारे साथ ही अमेरिका में ही रहे।  अभिनव के मम्मी पापा बहुत खुश हुए। अभिनव बोला पापा मैं अगले सप्ताह ही आप लोगों को लेने के लिए इंडिया आ रहा हूं आप लोग तैयार रहना।

अभिनव के मम्मी पापा खुशी के मारे फुले नहीं समा रहे थे आज उनका बेटा अपने साथ रखने को कह रहा था वह इसी पल का तो इंतजार कर रहे थे हर  मां-बाप यहीं चाहता है कि वह अपने बेटे के साथ रहे आखिर बेटे को माँ बाप पढ़ाते लिखाते है उसे एक बड़ा आदमी बनाते है कि बुढ़ापे में सहारा बने।

अगले सप्ताह अभिनव इंडिया आ गया था और इंडिया आने के बाद सबसे पहले बाहर से ही एक प्रॉपर्टी डीलर के पास गया और  अपना घर और जमीन का जो टुकड़ा था उसको बेचने की बात कर आया। प्रॉपर्टी डीलर ने अभिनव के घर और जमीन का 15 लाख कीमत लगाया।  अभिनव ने तुरंत हामी भर दी क्योंकि उसे तो सिर्फ 10 लाख ही चाहिए था। अभिनव ने सोचा जो जो 5 लाख बचे हैं उसे बैंक में रख देगा और इसी पैसे से हर महीने मम्मी पापा को  वृद्ध आश्रम का खर्चा भेजता रहेगा।

घर आते ही पापा को उसने प्रॉपर्टी के पेपर साइन करने के लिए दिया।  अभिनव के पापा बोले यह क्या है बेटा तो अभिनव ने बोला पापा अब हम लोग अमेरिका जा रहे हैं अब यहां इस घर का क्या फायदा है जब रहना ही नहीं है तो।  अभिनव के पापा बोले फिर भी बेटा क्या हम कभी अब इंडिया वापस ही नहीं आएंगे। अभिनव की मां बोली कर दो ना साइन। जहां बेटा रहेगा वही तो हम भी रहेंगे।



अभिनव अपने मम्मी पापा को लेकर   ट्रेन से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंच चुका था।   वहां से वह सीधे एयरपोर्ट के लिए निकल गया। एयर पोर्ट  पहुंचकर अपने मम्मी पापा को एक पर्ची लिखकर दे दिया था। और बोला मम्मी पापा आप लोग यही मेरा इंतजार करो मैं कुछ कागजी कार्रवाई कर कर आता हूं।

इंतजार करते-करते सुबह से शाम हो गया लेकिन अभिनव वापस नहीं लौटा।     अभिनव के मम्मी पापा भी परेशान हो गए और वह पर्ची लेकर एक सिक्योरिटी गार्ड को दिखाया और बोला बेटा जरा पढ़ना इस पर क्या लिखा है।   सिक्योरिटी गार्ड ने पर्ची को पढ़ा और बताया कि इस पर लिखा हुआ है जो भी इस पर्ची को पढ़ें प्लीज मेरे मम्मी पापा को दिल्ली के किसी वृद्ध आश्रम में पहुंचा दे और वहां का नंबर मुझे इस नंबर पर मैसेज कर दें ताकि मैं हर महीने इन का खर्चा भेजता रहूं मेरी सुबह फ्लाइट थी अमेरिका की इसलिए मैं अमेरिका निकल गया हूं जो भी पर्ची पढ़ रहा होगा प्लीज आपकी मेहरबानी होगी जो हमारे मां बाप को वृद्धाआश्रम पहुंचा देंगे।

यह सुन अभिनव के मां बाप के नीचे से जैसे लगा जमीन ही खिसक गई अब तो उनका घर भी नहीं था वह जाए तो कहां जाए।  अभिनव के पापा बोल रहे थे अभिनव के मां से मैं बोल रहा था कि घर नहीं बेचने का लेकिन तुम नहीं मानी। मुझे अभिनव पर शक हो ही रहा था कि जो लड़का महीने में एक बार भी फोन नहीं करता वह अपने साथ हमें कैसे रखने को तैयार हो गया।

अभिनव के मां बाप उस  सिक्योरिटी गार्ड से कह रहे थे बेटा अब हम कहां जाएं।  सिक्योरिटी गार्ड बोला अंकल आंटी आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है आप हमारे रूम पर चलिए मेरे भी मां बाप नहीं है और मैं बचपन से ही अनाथ हूं मुझे बहुत खुशी होगी जो आप लोग मेरे साथ रहेंगे।

दोस्तों हम पैसे की लालच और मोह माया में इतने अंधे हो गए हैं कि हमें कुछ भी नहीं दिखाई देता जो मां-बाप हमें  पालन पोषण कर इतना बड़ा करते हैं। बड़े होते ही हम उन्हें भूल जाते हैं।

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