“नई सोच ” – Moral Story In Hindi

प्रिया एक चुलबुली लड़की थी | कॉलेज में उसकी  पहचान एक हसीन और हंसमुख लड़की में होती थी | रिया ने जब बीएससी प्रथम वर्ष में नामांकन कराया तो सिद्धांत उसी कॉलेज में बीएससी थर्ड ईयर का छात्र था | सिद्धांत का सावला गेहुआ रंग, कद काठी लगभग 5 फुट 9 इंच की होगी बिल्कुल शांत और गंभीर | पढ़ने में हमेशा पहला स्थान पाने वाला विद्यार्थी था | कॉलेज के बीएससी डिपार्टमेंट के प्रोफेसरों का चहेता था |

लगभग सारी लड़कियां उस पर फिदा रहती थी |रिया का बहुत बार सिद्धांत से आमना सामना कॉलेज में हो जाता था, पर दोनों एक दूसरे को देखकर झेप जाते |

सिद्धांत की पिता एक बैंक में कैशियर थे,जबकि रिया के पिता उस शहर के हैं एम.एल.ए .थे और एक उनका एक बड़ा कारोबार भी था |


प्रिया का हसीन चेहरा और चुलबुलापन सिद्धांत को बहुत पसंद आता | वह दिल ही दिल में रिया को पसंद करने लगा था | पर रिया से कभी कह नहीं पाया | सिद्धांत के दोस्तों को यह बात मालूम थी उन्होंने रिया को बताया तो रिया ने हंसी में बात को टाल दिया |

सिद्धांत बीएससी करने के बाद आगे तैयारी करने दिल्ली चला गया | इधर जब रिया ने बीएससी की पढ़ाई पूरी कर ली तो उसकी शादी शरद से तय हो जाती है, जो सेना में एक लड़ाकू विमान का पायलट था | उसकी शादी अभी 3 महीने भी हुए थे कि एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना होने से उसकी मौत हो जाती है | यह बात रिया बर्दाश्त नहीं कर पा  रही थी|   उसने दो तीन बार अपनी जान देने की कोशिश की | घरवालों ने समझाया कि तुम्हारे पेट में यह मासूम रहा है उसका ख्याल रखो |

चुलबुली रिया बिल्कुल बुझी बुझी सी रहने लगी |एक दिन  डॉक्टर के पास से वापस आ रही थी तो जाम में फस गई थी, उसने देखा कि उसकोदुसरे गाड़ी से कोई देख रहा है | वह लड़का कोई और नहीं सिद्धांत था| सिद्धांत को उसी शहर  के उसी कॉलेज में प्रोफेसर बन कर आया था, जिससे उसने पढाई पुरी की थी |

सिद्धांत दो दिन बाद उसके घर आ जाता है  और रिया के पापा से मिलता है | वह रिया से शादी करना चाहता था | उसके पापा रिया के बारे में सिद्धांत को बताते हैं | सिद्धांत पहले से ही जानता था |तो वह कहता कि मुझे रिया के बारे में सब कुछ मालूम है, और मुझे कोई एतराज नहीं है | मैं उसको अपनी जीवनसंगिनी बनाना चाहता हूं | रिया के पापा समाज की दुहाई देकर सिद्धांत को मना कर देते हैं, और सिद्धांत वापस चला जाता है |


इधर रिया की मम्मी सारी बातें सुन लेती है | वह अपने पति को रिया के पास ले जाती हैं ,और उनको बेटी को दिखा कर कहती है, उसका बुझा हुआ चेहरा देखिए जिस बेटी की हंसी से यह पूरा घर गुंजता था |आज वह अपने कमरे में गुमसुम बैठी शरद का फोटो देखते रहती है और, रोते रहती है | बेटी आपकी है और सिद्धांत सब जानते हुए भी बेटी का हाथ मांगा रहा है | समाज की चिंता मत करो | बेटी के बारे में सोचो |

रिया के पिता सिद्धांत को फोन कर  शादी के लिए राजी हो जाते है, पर रिय तैयार नहीं होती है शादी करने के लिए | सिद्धांत रिया को मना लेता है और रिया शादी के लिए तैयार हो  जाती है |रिया और सिद्धांत की शादी की तारीख रिया के डिलीवरी के बाद की होती है,और रिया की डिलीवरी के बाद रिया और सिद्धांत शादी हो जाती है|  सिद्धांत रिया और साथ में बच्चों को पाकर बहुत खुश होता है |रिया एक बार फिर खिलखिला देती है | सिद्धांत की “नई सोच” से रिया की जिंदगी फिर से हसीन हो जाती है | रिया की  जिंदगी का खालीपन दूर हो जाता है, और उसकी जिंदगी फिर से हसीन हो जाती है |

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मीनाक्षी राय की कलम से स्वरचित

 

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