मैंने तुमसे दिल से प्यार किया है ! – ज्योति आहूजा

विनय और पूजा एक बहुत ही प्यारा जोड़ा!

” विनय मुंबई में रहता था। एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करता था। कंपनी की तरफ से विनय को काम के सिलसिले के लिए टूर पर जाना पड़ता था। दिल्ली में हुई मीटिंग के दौरान वही विनय की पूजा से मुलाकात हुई। पूजा जो दिल्ली की मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थी। उसे पहली बार देखते ही  विनय अपना दिल दे बैठा। बेहद खूबसूरत,बड़ी बड़ी आंखों वाली  पूजा विनय को एक ही आंख में भा गई। उसके घने खूबसूरत बाल उसकी सुंदरता को चार चांद लगा रहे थे। उसी वक्त विनय ने निश्चय कर लिया था कि वह शादी करेगा तो सिर्फ पूजा से।  बिना ये सोचे समझे कि वो कौन है? किस परिवार से है? परंतु कहते है ना प्यार दिल से होता है दिमाग से नहीं। परंतु विनय को पूजा के बारे में कुछ पता नहीं था । मीटिंग के दौरान हुई बातचीत में पता चला कि पूजा दिल्ली के फलाना  जगह पर रहती है और घर में उसके माता-पिता  और एक छोटा  भाई है जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई  कर रहा है। और जिस कंपनी में वह मीटिंग के लिए गया था ,उसी कंपनी में वह असिस्टेंट मैनेजर के पद पर काम करती है। पूजा  को भी  विनय से बात करके बहुत अच्छा लगा। दोनों ने एक दूसरे से नंबर अदला बदली किए और फिर बातों का सिलसिला शुरू हो गया।  विनय तो जैसे पूजा की खूबसूरती का दीवाना था। पूजा की खूबसूरती के साथ-साथ बातचीत के दौरान विनय को पूजा के कुछ और गुणों का भी पता चला।

पूजा ने बताया कि वह अपनी सैलरी का कुछ हिस्सा अनाथ बच्चों की संस्था में दान करती है। अपना जन्मदिन धूमधाम से ना मना कर वह अपने जन्मदिन पर अपने पूरे परिवार के साथ अनाथ आश्रम जाकर कपड़े ,खाना यह सब बांटती है। इन सब बातों को सुनकर विनय का पूजा के प्रति और आकर्षण हो गया। वह उसके अच्छे मन, दूसरों के प्रति दया भाव, आदर इन सब गुणों का भी  धीरे धीरे दीवाना होता गया। उधर पूजा भी  विनय के आकर्षक रूप, उसके बात करने के तरीके ,उसका अपनी कंपनी में अच्छे पद पर होना, इन सब से बहुत आकर्षित हो गई थी।” विनय ने अपने माता-पिता को अपने और पूजा के बारे में साफ-साफ बता दिया था। पूजा के बारे में सुनकर उसके पिताजी  ने कहा,”ठीक है बेटा! आजकल के बच्चे बहुत समझदार हैं। अपना अच्छा- बुरा सब कुछ बेहतर तरीके से जानते हैं। तुम्हें जैसा ठीक लगे बेटा वैसा करो। अगर लड़की तुम्हें पसंद है तो जिंदगी तुम्हें काटनी है। मुझे कोई आपत्ति नहीं है। परंतु विनय की माँ उर्मिला जी को थोड़ा अटपटा लगा क्यूँ कि वो बेटे की दुल्हन अपनी पसंद की लाना चाहती थीं, उसकी अरेंज मेरीज करवाना चाहती थीं।

परंतु बेटे के प्यार के चलते माँ ज्यादा कुछ नहीं बोल पायीं ।

एक  दिन विनय जब फोन पर पूजा से कई देर तक बातें कर रहा था। तब विनय की मां उर्मिला जी आकर बोलीं।

हे भगवान! विनय “,आजकल तुम्हारा ध्यान काम में कम इस लड़की की तरफ ज्यादा रहने लग गया है। कितने दिनों से बिजली और गैस का बिल  नहीं भरा गया है ।घर की कुछ ट्यूबलाइट खराब हो रही है । तुम्हें तो पता है कि तुम्हारे पापा रिटायरमेंट के बाद सिर्फ अपनी अखबार और अपनी चाय से मतलब रखते हैं। सारे घर की जिम्मेवारी तुम पर ही तो है बेटा। लेकिन तुम्हारा ध्यान तो आजकल इस लड़की के अंदर ही लगा रहता है। घर में क्या हो रहा है? तुम्हें इससे क्या मतलब।




नहीं मां! “ऐसा नहीं है ,विनय ने जवाब दिया।मां! मैं इस लड़की को पसंद करता हूं और उससे शादी करना चाहता हूं ।मुझे आपकी और पापा दोनों की हां चाहिए। मैंने आपको पहले भी बताया था कि पूजा दिल्ली में एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती है। बेहद ही खूबसूरत और दिल की भी बहुत अच्छी है। मुझे पूरी उम्मीद है वह हमारे घर में जब बहू बनकर आएगी तब इस घर को खुशियों से भर देगी।

ऐसे में तपाक से उर्मिला जी बोलीं।” सुन विनय। जिस तरह से तू उसकी दिन-रात तारीफें करता है, मैं मानती हूं वह बहुत खूबसूरत होगी। अपने काम में भी अच्छी होगी। पर जो लड़कियां बेहद खूबसूरत होती हैं ।कंपनियों में काम करती हैं, घर का काम थोड़ी करेंगी। घर को थोड़ी ही सजा संवार के रखेंगी और मुझे तो बहू ऐसी चाहिए जो मेरे  कामों में मेरा हाथ बटाए ।तू बता क्या कर पाएगी वह ऐसा।

माँ आप आज के ज़माने में भी वो  टिपीकल  सास वाली बातें कर रहे हो ।अच्छा चलो मान लेते हैं ,वह काम नहीं भी करेगी तो आप थोड़ा बहुत साथ दे देना और कोई बाई रख लेंगे!

देख ले बेटा जैसी तेरी मर्जी मां उर्मिला जी ने कहा ।

दोनों परिवारों में आपस में बातचीत हुई और रिश्ता पक्का हो गया थोड़े ही दिनों में  विनय और पूजा की शादी हो गई। पूजा के विनय जिंदगी में आने के बाद तो जैसे हर दिन सावन के समान था। खुशियों की बारिश का आनंद लेते हुए उनकी जिंदगी खुशियों से बीत रही थी।

 

इसी तरह से समय पंख लगा कर उड़ता गया और इनकी शादी को तीन साल बीत गए।

पूजा आज रात को मेरे दोस्त ने कुछ दोस्तों को अपनी शादी की सालगिरह की खुशी में डिनर पर बुलाया है। हमें भी चलना है।विनय ने एक दिन पूजा से कहा ।

पार्टी में अपनी उम्र के बहुत कपल्स की गोद में नन्हें प्यारे बच्चों को देख कर दोनों पति पत्नी के चेहरे पर मुस्कान के साथ-साथ कुछ उदासी भी आ रही थी!

कारण था पिछले कुछ महीनों से चाह कर भी पूजा गर्भधारण नहीं कर पा रही थी और विनय भी बच्चों से बहुत लगाव रखता था ! पार्टी में भी वो अपने दोस्त  के  बच्चे के साथ ऐसे खेल रहा था मानो उसी का बच्चा हो! ये सब पूजा देख और समझ दोनों रही थी!

घर आकर विनय पूजा से कहता है-

सच में बच्चे कितने प्यारे होते हैं! घर को अपनी किलकारियों से गूंजा देते हैं! बस अब तो हमारे घर भी ये किलकारी गूंजे तो सब को कितना अच्छा लगेगा! माँ तो इतने महीनों से इंतजार में हैं!

ये सब सुन पूजा ने सिर्फ मुस्कुराते हुए सहमति में सिर हिला दिया!

अब समय कुछ बीत चुका था! कई महीने फिर पूरा एक साल निकल गया था! शादी को चार साल हो गये थे!




एक दिन उर्मिला जी ने दोनों बहु बेटा से कहा! अब तो मुझे भी जल्दी से दादी बना दो! काफी समय हो गया तुम दोनों की शादी को!

इतने में एक दूसरे की तरफ देखते हुए दोनों पति पत्नी बोले ” माँ कोशिश जारी है!

 

तभी माँ फिर बोलीं ” डॉक्टर को दिखा लो! पता तो चले कि क्यूँ ऐसा हो रहा है! हमारे नसीब में क्या लिखा है!

माँ की बातें सुन विनय बोला ” देखो पूजा एक बार मेरे दोस्त की पत्नी डॉक्टर विभा को दिखा लेते हैं!

तभी तुरंत पहली बार पूजा थोड़ा आक्रोश दिखाते हुए बोली “विभा को दिखा लेते हैं इसका क्या मतलब है!

आप लोगों को लगता है  कोई कमी है मुझ में?

आपको भी दिखा लेना चाहिए!

इतने में विनय प्यार से बोला ” अरे बाबा दोनों दिखाएंगे पर तुम पहले विभा को दिखा लो! वो अब तुम्हारी भी दोस्त बन गयी है! तुम लोग काफी बार मिले भी हो तो मुझे विश्वास है वो सही जांच करके सही सलाह देगी और कारण भी बता देगी!

दोनों ने अपने टेस्ट करा लिए,,जिसमें विनय की सभी रिपोर्ट सही थीं!

और  पूजा की डॉक्टर से जांच के बाद कई टेस्ट और जो भी जरूरी था सब करवाने के बाद जब रिपोर्ट आयी तो,,

पूजा  और विनय को डॉक्टर ने बताया कि,,

” देखो पूजा तुम्हारा मासिक चक्र भी सही नहीं चल रहा और तुम्हारे अंडाशय में अंडे बनने की प्रक्रिया काफी धीमी है! या यूं कह लो कि ना के बराबर है! तो गर्भधारण के चांस  हाल फ़िलहाल  तो कम यानी ना के बराबर है!

ये सुनते ही विनय के पैरों तले जमीन सी खिसकने लगी!

उसने डॉक्टर से पूछा ” तो क्या हमे माता पिता का सुख नहीं मिल पायेगा!” विनय ने रुआँसा सा पूछा!

अरे भैया आप निराश ना हो! विभा ने कहा! इसका इलाज है और हम पूरी कोशिश करेंगे! और डाक्टर ने कई दवाईयां लिखी और इनका सेवन कैसे कब करना है सब कुछ बताया!

घर आने के दौरान पूरे समय विनय ने पूजा से एक मिनट की बात भी नहीं की! और घर आकर जैसे ही अपने कमरे में जाने लगा! तभी माँ ने पूछा ” क्या कहा डॉक्टर ने! इससे पहले कि वो कुछ और कहती”  माँ बाद में बात करते है

ऐसा कहकर विनय अपने कमरे में चला गया!

पूजा भी रोते रोते अपने कमरे में चली गयी!

शाम को माँ के फिर पूछने पर पूरी बात माँ को जब पता चली तो वो भी उदास होकर सिर पकड़ कर बैठ गयी!




इससे पहले कि वो पूजा और विनय को कुछ और बोलतीं! विनय के पिता ने उन्हें चुप करा दिया!

इस तरह से कई दिन निकल गए! पूजा अपना इलाज बराबर करा रही थी फिर भी अभी भी अच्छी खबर नहीं पा पायी थी!

ना जाने अब विनय थोड़ा पूजा से दूर रहने लगा!

पूजा भी विनय से पूछती कि क्या यही कारण है कि वह माँ नहीं बन पा रहीं तो ही वो अब ऐसे व्यवहार कर रहा है! उसमें एक अंदरुनी कमी की वज़ह से वो उससे परायों जैसा व्यवहार करने लगा है!

पर  पूजा की बातों का विनय ने कोई ढंग से जवाब नहीं दिया और चुपचाप सोने चला गया। अगले दिन विनय दफ्तर में ऐसे ही उदास बैठा था। उसका काम में भी मन नहीं लग रहा था। तभी उसके सहकर्मी के फोन पर एक कॉल आया जिसमें वह  किसी के साथ बहुत ऊंची ऊंची आवाज में बात कर रहा था। उसके फोन रखने के बाद उसने अपने सहकर्मी  निखिल से पूछा।

 

क्या हुआ निखिल? तुम फोन पर इतना ऊंचा ऊंचा क्यों बोल रहे थे? तो उसने बोला!” कुछ नहीं यार ।रोज की कहानी है। मेरी बीवी आए दिन मुझसे किसी न किसी बात पर लड़ती रहती है। वह मुझ से दुखी है। और मैं उससे दुखी हूं। वह यह कहती है तुम मुझे खुश नहीं रखते। मैं उससे उसके आचरण की वजह से दुखी हूं। आज भी किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई जिसका असर मेरे काम पर भी पड़ रहा है । फोन पर भी  किसी बात को लेकर लड़ाई हो रही थी।

मैंने यह सोचकर शादी की थी कि वह  बहुत खूबसूरत है ।उसे देखते ही मैं उस पर फिदा हो गया था। पर 4 दिन के बाद कहानी समझ में आ गई। शादी को 2 साल होने को आए। 2 साल 20 साल के बराबर लग रहे हैं।

खैर!तुम बताओ ।”तुम्हें आज कल क्या हो गया है ?बड़े उदास नजर आते हो।

” कुछ नहीं यार  निखिल बस ऐसे ही।” विनय ने निखिल से हलके स्वर में कहा।

” निखिल यह सब बातें सुनकर विनय सोच में पड़ गया। उसने सोचा की पूजा खूबसूरत होने के साथ-साथ दिल की बहुत अच्छी है। आज शादी को चार साल से उपर हो गया पर उसने कभी खास मुझसे ऊंचे स्वर में  बात नहीं की। हमेशा उसने मेरी हर इच्छा का सम्मान किया ।घर पर भी जैसा मां ने उसको  बनाना चाहा। वह उसी तरह ढल गई और उसने अपने अच्छे आचरण की वजह से इतने कम समय में सबका दिल जीत लिया।

अब उसकी यह स्थिति देखकर मैं उसके साथ अलग बर्ताव कैसे कर सकता हूं।इसमे उस बेचारी की क्या गलती? कौन लड़की शादी के बाद ये सुख से वंचित रहना चाहेगी! मैंने ये भी नहीं सोचा कि जब मुझे इतना महसूस हो रहा है तो उस पर क्या बीत रही होगी!”

ऐसा सोचते सोचते उसने निखिल से कहा “यार मैं घर जा रहा हूं । आज मेरी तबीयत जरा  ठीक नहीं है। तुम जरा संभाल लेना।

घर आने के बाद उसने अपनी मां उर्मिला जी से कहा “मां एक कप चाय तो पिला दो । मेरे सिर में दर्द हो रहा है। चाय मेरे कमरे में दे देना ।और कमरे में जाकर देखा कि  पूजा लड्डू गोपाल की प्यारी सी मनमोहक तस्वीर को अपने सीने से लगाए  बैठी थी! ये तस्वीर उसकी माँ ने उसे  ये कह कर दी थी कि”  प्रभु सब जानी जान है! इनकी तस्वीर अपने कमरे में लगा लेना”यह सब देखते ही विनय की आंखों में आंसू आ गए।




विनय ने थोड़े उदास स्वर में पूजा से बोला।” पूजा मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है ।मैंने जब से इस बारे में सुना, तब से मेरा मन थोड़ा उतावला हो गया था।

मां ने भी मुझे कहा”  पता नहीं बहू  की ये समस्या ठीक  भी होगी  या नहीं!देख ले !अभी भी समय है!”

” पर मैं ऐसा सोच भी नहीं सकता था। मैं यह सोचने पर मजबूर हो गया हूं कि यदि यह  समस्या मेरे साथ होती तो क्या तुम मुझे छोड़ कर चली जाती? नहीं! कभी नहीं ।

 

जहां तक मैंने तुम्हें जाना है ,तुम बहुत अच्छी हो। मैं बहुत खुश हूं कि मुझे तुम जैसी बीवी मिली ।खूबसूरती ही सब कुछ नहीं होती ।मन की खूबसूरती सबसे बड़ा गहना है। यह मैंने आज जाना।

ये मैं क्या कर रहा था जब तक तुम में इस समस्या का पता नहीं चल पाया था तब तक ऊपरी सुंदरता मुझे प्रभावित करती रही और जैसे ही मैंने इस बारे में जाना तो अचानक मुझे तुम में कमियाँ नजर आने लगी!

मैं कितना गिर गया और कितने समय तक तुम से अनजानों की तरह व्यवहार करने लगा!

क्या फायदा ऐसी शिक्षा का! आजकल के ज़माने में मैं ऐसा सोच बैठा!

मुझे माफ़ कर दो पूजा!

माना कि बच्चे सभी को अच्छे लगते हैं! अगर किसी कारण वश पति पत्नि ये सुख नहीं ले पाते तो इसका अर्थ ये कदापि नहीं कि वे अपना रिश्ता भी दांव पर लगा दें!

और हो सकता है कि तुम्हारे इलाज के चलते सब कुछ सही हो जाए! ये बाल गोपाल हमारे घर खुद आ जाये!

विज्ञान ने खूब तरक्की कर ली अब तो! तो शायद कोई जरिया बन ही जाए!

और नहीं भी हो तो जिन्दगी रुक थोड़ी गयी है!

मैंने तुमसे प्यार दिल से किया है तो अब मैं ज्यादा दिमागी कैसे हो गया?

” मुझे  फिर से माफ कर दो पूजा! मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं।तुमने मुझसे पूछा था “क्या मैं तुम्हारे काबिल नहीं? बल्कि मैं यह कहता हूं कि मैं शायद तुम्हारे काबिल नहीं।

इतने में पूजा उसके इन शब्दों को सुनकर उसके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा,” नहीं मेरी जान !तुम ही मेरे सब कुछ हो ।मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। और दोनों एक दूसरे के गले लग कर रोने लगते हैं।

 

मैं करती हूँ कि सभी पाठकों को ये कहानी अवश्य पसंद आएगी!पढ़कर बताएं आपको कैसी लगी?

इसी इंतजार में!

   ज्योति आहूजा।

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