जो जैसा होता है उसको वैसी संगत पसंद आती है

एक बार की बात है एक जंगल में एक पहुंचे हुए ऋषि मुनि रहते थे.  एक दिन सुबह जब वह नित्य क्रिया से निपटकर नदी में नहाने जा रहे थे तो रास्ते में उन्होंने देखा कि एक बाज एक चुहिया को झपट्टा मार कर ले जाने लगा और वह चुहिया दर्द से चीखने लगी।  उसकी आवाज सुन महर्षी को दया आ गया। उन्होंने एक पत्थर उठाया और बाज को मारा बाज के मुंह से चुहिया नीचे गिर गई।

ऋषि जब चुहिया  को भगाने लगे तो वह भाग ही नहीं रही है बल्कि उनके पैरों में ही चिपकने लगी अब ऋषि के सामने समस्या यह थी कि वह इस चुहिया  को बचा तो लिए लेकिन उसको वह अब कहां लेते जाते फिरेंगे। उन्होंने अपने तप से उस चुहिया को एक सुंदर कन्या में परिवर्तित कर दिया और उसे अपने साथ घर ले आए।

 घर पहुंचने पर महर्षि की पत्नी ने देखा कि ऋषि एक कन्या के साथ आ रहे हैं उन्होंने  उत्सुकता वश पूछा कि यह कन्या कौन है। ऋषि मुनि ने सारी बातें अपनी पत्नी को सुना दिया।



उस दिन के बाद से ऋषि मुनि ने चूहा से लड़की बनी कन्या को अपने बेटी मानकर पालन पोषण करने लगे समय बीतने के साथ यह लड़की जवान हो गई।  अब इस लड़की के शादी की चिंता ऋषि और उनकी पत्नी को सताने लगी उन्होंने कई सारे वर ढूंढे लेकिन कोई भी उनकी कन्या के योग्य नहीं दिखाई दिया।

एक दिन ऋषि अपनी पत्नी से बोले इस दुनिया में सूर्य भगवान से योग्य कोई नहीं है क्योंकि वह सारी दुनिया को रोशन करते हैं मैं आज भगवान से आग्रह करूंगा कि वह मेरी पुत्री को स्वीकार करें और अपनी पत्नी के रूप में विवाह कर ले।

महर्षि ने सूर्य भाग्य भगवान से आग्रह किया यह सूर्य भगवान प्रकट होइए और आप मेरी बेटी से शादी कीजिए।  सूर्य भगवान ऋषि की बात को टालना सके और उन्होंने ऋषि की पुत्री से विवाह करना स्वीकार कर लिया। लेकिन जैसे ही ऋषि की पुत्री सूर्य भगवान के सामने आई उसकी आंखें चौंधियाने लगी और उसने सूर्य  भगवान से शादी करने से साफ मना कर दिया।

सूर्य भगवान ने बोला कि महर्षि इससे तो अच्छा है आप बादल से अपनी बेटी की शादी कर दीजिए क्योंकि वह मुझसे भी ज्यादा योग्य है क्योंकि वह अपनी शक्ति के बल पर मुझे भी कई बार थूक देता है जिसकी वजह से मैं पृथ्वी पर अपनी रोशनी नहीं पहुंचा पाता हूं।

महर्षि ने  बादल का आह्वान किया हे बादल आप मेरी पुत्री से शादी करें।  महर्षि की निमंत्रण पाकर बादल प्रकट हुए। लेकिन ऋषि कन्या ने बादल को भी अपना पति मानने से इंकार कर दिया उसने बोला यह तो देखने में बहुत काला है मैं इससे शादी नहीं करूंगी।  अब मेघराज बोले किसी मेरे से ज्यादा बलवान पवन है आप अपनी पुत्री की शादी पवन से कर दीजिए।



महर्षि ने पवन देव से अपनी पुत्री के शादी करने के लिए  निवेदन किया कुछ देर बाद पवन देव प्रकट हुए। लेकिन महर्षि पुत्री ने पवन देव को देखकर कहीं पिताजी मैं पवन देव से भी शादी नहीं करूंगी क्योंकि यह तो चंचल है यह कहीं एक जगह टिक से ही नहीं फिर कैसे मेरे साथ पूरी जिंदगी भर रहा करते हैं।  पवन देव ने ऋषि मुनि कहे कहें कि इससे अच्छा पर्वतराज से अपनी पुत्री का शादी कर दीजिए वह मुझसे बलवान भी है क्योंकि वह मेरा भी रास्ता रोक लेते हैं और वह एक जगह टीके भी रहते हैं।

महर्षि ने पर्वत राज्य से निवेदन किया कि  पर्वतराज आप मेरी पुत्री से शादी करने की कृपा करें।  पर्वतराज बोले महर्षि मैं कब से आपकी पुत्री के जीवन साथी चुनने की प्रक्रिया को देख रहा हूं इस वजह से मैं तो यह कहता हूं कि आप अपनी पुत्री की शादी एक  चूहा से कर दीजिए क्योंकि वह मुझसे भी ताकतवर है वह मेरे अंदर भी छेद कर देता है।

यह सुन महर्षि की पुत्री ने अपने पिताजी से कहा हां पिताजी पर्वतराज सही कह रहे हैं आप मुझे चुहिया बना दीजिए और मेरी शादी किससे कर दीजिए।

 अब महर्षि समझ चुके थे जिसकी जैसी संगति होती है वह अपने जैसा ही साथ ही ढूंढता है चाहे आप उसे कुछ भी कर ले।

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