अरे बिना भाभी..! कविश की हल्दी में नहीं आई..?
दोपहर को बाजार में कांता ने अपनी पड़ोसी बिना से कहा…
बिना: अरे हां.. मुझे तो काफी देर बाद याद आया, के तुमने कविश की हल्दी में बुलाया था… वह क्या है ना..? सुबह से इतने सारे काम थे, कि कुछ याद ही नहीं रहा…
कांता: ठीक है.. कोई बात नहीं… शाम को बारात में सही समय पर शामिल हो जाइएगा…
बिना थोड़ा झिझकते हुए: वह अर्जुन और माही तो जाएंगे ही बाराती में, मुझसे इस उम्र में कहां कहीं जाया जाता है..? वैसे भी मुन्ने को रखना पड़ेगा…
कांता: भाभी..! मैंने सहपरिवार आमंत्रित किया है, तो फिर आप घर पर अकेली क्यों रहेंगी..? मुन्ने को भी लेकर चलिएगा..
बिना: देखो कांता..! उम्र और तजुर्बे में मैं तुमसे बड़ी हूं, इसलिए आज तुम्हें एक बात कहना चाहती हूं… हालांकि यह बात मुझे अभी कहना तो नहीं चाहिए, पर सोचा एक बार तुम्हें परिस्थिति से सचेत करा दूं..
कांता: ऐसी कौन सी बात है भाभी..?
बिना: बेटे की शादी होने वाली है और बस समझ लो, तुम्हारे बुरे दिन की शुरुआत भी.. मैं तुम्हें डराना नहीं चाहती पर, सच यही है… बेटा तब तक ही मां का रहता है, जब तक के बीवी नहीं आ जाती… एक हमारा ज़माना था, जब मां-बाप को बच्चे भगवान की तरह पूजते थे.. और एक आज का दिन है… माता-पिता सिर्फ बोझ बनकर, अपने जीवन के आखिरी पल काट रहे हैं… अब हमारी उम्र तो इतनी नहीं है कि, खुद के दम पर घर से निकल जांए… तो मजबूरन करनी पड़ती है बेटे और बहू की चाकरी… रिश्ते आजकल बस नाम के ही रह गए हैं… खोखले हैं सारे…
कांता: भाभी..! क्या सच में बहू आने के बाद जीवन बड़ा कठिन हो जाता है..?
बिना: अब मेरा ही देख लो.. सुबह से नाश्ता बनाया.. गुड़िया को स्कूल छोड़ने और लेने गई .. मुन्ने को नहलाया और भी ना जाने कितने काम करवाएं माही ने… फिर भी दो घड़ी चैन से बैठ लिया तो, तूफान मचा देती है…. इसलिए तो कविश की हल्दी में जाने को याद ही नहीं रहा…
उसके बाद बिना चली गई… पर कांता के मन में उनकी बातों ने घर कर लिया… वह चाह कर भी खुद को खुश नहीं रख पा रही थी… अब जबकी बारात निकलने वाली थी, वह शादी को भी रोक नहीं सकती थी… यहां पर अगर हालातों पर उनका बस चलता तो, शायद वह इस शादी को रोक भी लेती..
खैर कविश की शादी हो गई और नई दुल्हन आरती का गृह प्रवेश भी हो गया…
आरती बहुत ही सरल स्वभाव की लड़की थी… थी तो कांता भी भली, पर यहां उनके मन में खोखले रिश्तो की छवि डाल दी गई थी… जिसके कारण वह आरती को दिल से अपना नहीं पा रही थी…
1 दिन कांता बैठी, माला जप रही थी और उनकी तबीयत भी ठीक नहीं लग रही थी… आंखें उनकी बंद, पर पसीना खूब बह रहा था… आरती ने जब यह देखा तो उसने पूछा… मम्मी..! आपकी तबीयत तो ठीक है ना.? इतने पसीना क्यों आ रहे हैं आपको..?
कांता ने सोचा कहीं मेरी बिगड़ती तबीयत के बारे में जानकर, इसने कोई चाल चल दी तो, फिर यह अपने अकेले राज करने के मकसद में कामयाब हो जाएगी… इसलिए उन्होंने कहा… नहीं… मैं ठीक हूं… तुम अपना काम करो…
आरती फिर चली जाती है, पर उसके जाते ही कांता बेहोश होकर गिर जाती है… जब उसे होश आता है, वह खुद को अस्पताल में पाती है, जहां कविश और आरती सामने बैठे होते हैं…
कविश: मां..! अब कैसी है आप..?
कांता: हां.. ठीक हूं.. पर क्या हुआ था मुझे..?
कविश: आपको माइनर हार्ट अटैक आया था… वह तो आरती ने सब कुछ सही समय पर संभाल लिया, वरना आज पता नहीं क्या हो जाता..?
आरती: मम्मी..! मुझसे ऐसी कौन सी गलती हो गई है..? जो आप अपनी कोई भी तकलीफ या खुशी मुझसे नहीं बांटती..? आज आपको उस हालत में देखकर मेरी जान ही निकल गई थी… पर अब से मैं आपकी कोई बात नहीं मानूंगी… आप घर के काम भी जबरदस्ती करती हैं, जबकि मैंने कितनी बार मना किया है… मम्मी..! आपका हाथ हमारे ऊपर होना कितना मायने रखता है… यह शायद ही मैं आपको बता पाऊं..! पर प्लीज मम्मी… जो भी नाराजगी है मुझसे, वह आप खुद पर मत निकालिए…
कांता की आंखें नम हो जाती है और वह कहती है… माफ कर दो बेटा..! मैं किसी के खोखले रिश्ते की कहानी सुनकर, खुद के रिश्तो को खोखला बनाने चली थी… पर मैं यह भूल गई थी कि, जिस तरह हर चमकती चीज सोना नहीं होती… उसी तरह जो चमक नहीं रहा, वह लोहा भी नहीं बन जाता… वह पुराना सोना भी हो सकता है… बस उसे देखने का नजरिया अलग अलग होता है… आज से हम दोनों सास बहू नहीं, मां बेटी बनकर रहेंगे… फिर देखती हूं… कैसे रिश्ते खोखले बनते हैं..? पहल तो दोनों तरफ से होनी चाहिए… जो आजकल खत्म हो गई है.. और यही वजह है सारे फसाद की…
दोस्तों… यह जो आजकल हर जगह दिखता है… कहीं बेटे बहू, अपने मां-बाप को सता रहे हैं… तो कहीं सास ससुर अपने बेटे बहू को चैन से जीने नहीं दे रहे हैं… कहीं मां सोचती है कि शादी के बाद, बेटा मेरा नहीं रहा, तो कहीं पत्नी सोचती है कि बेटा सिर्फ मां के बातों में चलता है… पर असल में अगर देखा जाए, यह सारी गड़बड़ी ही तुलना की है… जहां पर मां यह क्यों नहीं सोचती कि, बेटे पर एक नई जिम्मेदारी आ गई है, तो वह दोनों को एक बराबर निभाएगा.. वही पत्नी को समझना चाहिए, आज तक जिस बेटे ने अपनी मां के हर बात को माना है और उनकी हिसाब से जिया, वह अचानक से उसके लिए कैसे बदल जाए..?
आखिर यही वजह नहीं है क्या आजकल के खोखले रिश्तो की..? जहां रिश्तो में प्यार और अपनापन की जगह, षड्यंत्र और मनमुटाव ने ले ली है… और शायद इसलिए आज हर घर महाभारत और हर आंगन कुरुक्षेत्र बन गया है… और शायद इसीलिए, आज सारे रिश्ते धीरे-धीरे खोखले बनते जा रहे हैं… आपका क्या कहना है इस बारे में..? कमेंट करके जरूर बताएं 🙏🏻🙏🏻
धन्यवाद
स्वरचित/मौलिक/अप्रकाशित
#खोखले रिश्ते
रोनिता कुंडू