दिल का रिश्ता खून के रिश्ते पर भारी पड़ा-मुकेश पटेल

आज मैं गलती से अपना फोन ऑफिस जाने से पहले घर पर ही छोड़कर चला गया था जब ऑफिस पहुंचा तो याद आया अरे फोन तो मैं घर पर ही छोड़ आया हूं।  लेकिन ऑफिस इतना दूर था कि वापस आ नहीं सकता था कैसे भी करके दिन बिताया जैसे ही घर आया। दरवाजे की बेल बजाई  श्रीमती जी ने दरवाजा झठ से खोला और दरवाजा खोलते ही मुझ पर बरस पड़ी, तुम अपना फोन घर पर छोड़ कर गए थे !

पूरे दिन बजता रहा आख़िर में मैं तंग आकर उसे साइलेंट मोड पर कर दी, फिर मैंने सोचा कि पता नहीं किसी का इंपॉर्टेंट फोन आ जाए तो मैंने साइलेंट मोड को ऑफ कर दिया, ठीक  उसी समय एक श्रीमती जी का फोन आया । उसने बोला मैं राधिका बोल रही हूँ मुझे सागर से बात करना है। पहले बताओ यह राधिका है कौन?

मुझसे भी रहा नहीं गया मैंने बोल दिया यह मेरी कॉलेज के दिनों की फ्रेंड है, हम साथ में पढ़ते थे फिर उसके बाद मेरी जॉब लग गई मैं दिल्ली आ गया और फिर तुम्हारे साथ शादी उसके बाद फिर वह कहां चली गई।  फिर हम कभी मिले नहीं पता नहीं कहां से उसने मेरा नंबर पता कर लिया है। अच्छा छोड़ो तुम मेरे लिए गरमा गरम एक कप चाय बनाओ । तब  तक मैं फ्रेश होकर आता हूँ।

मैं जैसे ही बाथरूम में गया मेरे मन में एक ही सवाल कि आखिर राधिका ने इतने सालों बाद मेरा नंबर कैसे पता कर लिया  और क्यों कॉल किया।  बाथरूम से  निकलकर चाय की चुस्की लिया उसके तुरंत बाद ही मैंने राधिका को फोन मिलाया तो राधिका ने फोन उठाया मैंने हेलो राधिका कैसी हो सब ठीक तो है न कैसे याद किया।

राधिका ने बोला कुछ नहीं यार मेरा ट्रांसफर दिल्ली में ही हो गया था तुम्हारा नंबर मुझे एक बार मैं कानपुर गई थी तो आंटी से ले लिया था तो मैं सोचा दिल्ली आई हूं तो एक बार तुमसे मिलती।



इसीलिए मैंने तुम्हे फोन मिला लिया अगर फुर्सत हो तो मुझसे कल मिलो कल मेरी छुट्टी है अगर तुम चाहो तो आ सकते हो।  लेकिन मैंने बोला मेरा ऑफिस तो संडे को ही बंद होता है तो मैं देखता हूं संडे को तुमसे मिलता हूं।

सुबह होते ही मैं ऑफिस के लिए निकला घर से,  लेकिन पता नहीं क्यों मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और मैंने तुरंत राधिका को फोन लगाया और बोला राधिका मैं आ रहा हूं तुमसे मिलने,

राधिका यह सुनकर बहुत खुश हुई और बोली ठीक है आ जाओ मैं इंतजार करूंगी और तुम्हारा मनपसंद पकोड़े भी खिलाऊंगी थोड़ी देर मे मैं राधिका के घर पहुच चुका था। राधिका ने  दरवाजा खोला  और वह फोन पर न जाने किससे बात करते हुये कह रही थी।  आखिर तुम यह बताओ आखिर हम भी तो हाड़-मांस के पुतले हैं कोई हम पत्थर के तो बने नहीं हैं हमें कोई फर्क ही नहीं पड़ेगा हम इंसान हैं  दर्द और तकलीफ हमें भी होती है, हम कोई लोहे के बने हुए नहीं हैं जो जितनी मर्जी चोट मारे और चले जाएं।

मैं समझ नहीं पा रहा था कि राधिका को अचानक से क्या हो गया ऐसी बातें क्यों करने लगी वह लगातार बोले जा रही थी।

मैं वहीं बैठ कर बड़े ध्यान से उसके चेहरे को देखे जा रहा था और उसके चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे कोई खुली किताब हो।  जिसे मर्जी उसे पढ़ सकता है।

राधिका वैसे देखने में तो बहुत ज्यादा खूबसूरत नहीं थी उसका रंग सांवला था चाहो तो उसे काला ही कह सकते हैं।  लेकिन वह दिल की बहुत सुंदर थी और दिल का इतना साफ थी कि उसे हर कोई बेवकूफ बना जाता था।

लाइफ में ऐसा अक्सर होता है आपको कोई इंसान ऐसा मिलता है जिससे आप इतना ज्यादा प्रभावित हो जाते हैं कि फिर यह मायने नहीं रखता है वह देखने में कैसा है वह खूबसूरत है या नहीं यही हाल राधिका के साथ मेरा था राधिका को देखकर यही लगता था । उसको मन के  अंदर कुछ भी छिपा नहीं होता था सब कुछ उसके चेहरे पर साफ साफ लिखा हुआ रहता था।  उसे कुछ भी समझाने की जरूरत नहीं होती थी बस देखने वाले के पास नजर होनी चाहिए।   राधिका ने जैसी ही अपनी बात फोन पर खत्म करी। मैं बोल उठा राधिका इतने सालों में तुम्हारे मे कोई भी चेंजिंग नहीं आया।



आज भी  वैसी ही अजंता कि  मूरत दिख रही हो अच्छा मजाक कर लेते हो राधिका बोली तुम भी ना सागर बहुत अच्छा मजाक कर लेते हो मैं देखने में कहा से सुंदर हूं।  और ऊपर से इतनी काली हूं।  मैंने बोला राधिका अब मेरी वो उम्र नहीं है जो मैं तुम्हारी झूठी तारीफ करूंगा बस मैं वही कह रहा हूं  जो सच है और यह बात तुम भी समझ रही हो हम दोनों एक ही उम्र के हैं और 40 साल के लगभग होने वाले हैं।

राधिका तुम ही बताओ मैं तुम्हारी झूठी तारीफ क्यों करूंगा कौन सी मुझे दोबारा तुमसे शादी करनी है मैं तो ऑलरेडी दो बच्चों के बाप बन चुका हूं जो सच है बस मैं वही कह रहा था।

मेरी बात काटते हुए राधिका ने बोला अच्छा छोड़ो चलो बताओ क्या लोगे चाय या कॉफी।  मैंने भी बोला यार चाय पिला दो थोड़ा सा क्योंकि आज बहुत सर्दी है।  राधिका बोली तुम्हारे लिए मैंने गरमा गरम पकोड़े भी बनाए हैं चाय और पकौड़े साथ में मिलकर खाते हैं ।

मैंने  राधिका से पूछा कि तुम्हारा ससुराल कहां है कितने बच्चे हैं तुम्हारे तुम्हारे पति क्या करते हैं यह सवाल पूछते ही ऐसे लगा जैसे राधिका को करंट लग गया हो वह बिल्कुल ही सोक्ड हो गई मैंने पूछा क्या हो गया राधिका मैंने कुछ गलत पूछ लिया क्या? उसने बोला नहीं तुमने कहा गलत पूछा गलत तो मैंने किया इस उम्र में शादी तो  हो ही जाती है और बच्चे भी हो जाते हैं।  तो क्या तुम यह कह रही हो कि तुमने अभी तक शादी नहीं की। हाँ  मैंने अभी तक शादी नहीं की।  मैंने पूछ लिया क्यों नहीं बताओ राधिका तुमने आखिर शादी क्यों नहीं की।

उसके बाद तो जैसे राधिका फफक कर रोने लगी उसने बोला सागर सब कोई तुम्हारे जैसा सुंदर नहीं होता है जो मन की सुंदरता को देख पाए सब बाहरी सुंदरता को देखते हैं।

बाबूजी ने मेरे लिए कितने रिश्ते ढूंढा लेकिन किसी लड़के को मैं पसंद ही नहीं आती थी।  फिर मुझे देखते-देखते मेरी भाई बहनों की भी उम्र जाने लगी शादी की फिर मैंने यह फैसला किया कि मैं अब शादी ही नहीं करूंगी।  कम से कम उनकी शादी तो हो जाए और ऐसे ही देखते देखते कब उम्र बीत गया पता ही नहीं चला।  और फिर मां और बाबूजी की जिम्मेवारी भी मेरे ऊपर आ गई मैंने फैसला किया अब क्या शादी किया जाए।  आज भी ऐसा लग रहा था जैसे वही कॉलेज वाली राधिका हो जिसे एक नजर देखने के बाद किसी को भी प्यार हो जाए पता नहीं लोग उसमें क्या देखते हैं मैंने बोला राधिका तुम अपना हाथ मुझे दो और मैंने बोला मैं तुम्हारा बड़ा भाई मानकर मैं तुम्हें यह विश्वास दिलाता हूं कि मैं और तुम्हारी भाभी तुम्हारे लिए लड़का ढूंढ लेंगे।  और एक अच्छे खानदान में तुम्हारी शादी करना हमारी जिम्मेदारी है यह मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं ।



इतना सुनकर राधिका बोली सागर अगर बनना ही है तो भाई नहीं मेरा बाप बन जाओ मैं समझ नहीं पाया राधिका कहना क्या चाहती थी क्या कर रही हो राधिका समझ नहीं आया।   सागर मैं एक लड़के को पसंद करने लगी हूं और मुझे यकीन है वह भी मुझे पसंद करते हैं लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं उनसे कैसे बात करूं।  अगर तुम मेरा भला चाहते हो तो एक बार उनसे तुम बात करो मैंने बोला तुम अपने मम्मी पापा से क्यों नहीं बोलती।  इतना बोलते ही राधिका फिर गुस्से में हो गई सागर तुम्हें नहीं पता यह दुनिया इतनी लालची है सबको मेरे पैसे से मतलब है सब यही चाहते हैं कि मेरी शादी ही ना हो सबके लिए ATM मशीन जो हूँ।  जिसको देखो मेरे तंख्वाह आने से पहले ही सब की फरमाइश शुरू हो जाती है।  मुझे स्कूल की फीस भरनी है, पापा  बोलते बेटी हमारी दवाई ला दिया क्या,  तब तक मेरी छोटी बहन का  हस्बैंड भी आ जाता है आजकल महीना मिलने में भी बहुत देरी हो जाता है अगर कुछ हो जाता तो  सोचो वो क्यों चाहेंगे कि मेरी शादी हो।

सागर अगर इनको हमारी शादी करनी होती तो क्या अब तक मैं कुंवारी होती क्या मेरे लिए कोई दुनिया में लड़का ही नहीं बना होता लेकिन सच तो यह है कि वह मेरी शादी करना ही नहीं चाहते मैंने बोला कि चलो ठीक है।  मैं तुम्हारे लिए बात करूंगा बताओ कौन है वह बताना शुरू किया जब मैं कानपुर में नौकरी करती थी तो मेरे ऑफिस में ही एक राघव जी हुआ करते थे।

उनसे मेरी अच्छी ट्यूनिंग हुआ करती थी और दिल  ही दिल में मैं उनको चाहने लगी थी लेकिन बाद में पता चला कि वह शादीशुदा है।  लेकिन मुझे हाल ही में पता चला है कि उनकी वाइफ और उनकी बच्ची का एक्सीडेंट में मौत हो गया है।  हम दोनों ने बातचीत होना शुरू हो गया है लेकिन समझ में नहीं आता उनसे बात  कैसे करूं । मैंने राधिका को भरोसा दिया कि मैं आज ही जाकर तुम्हारी भाभी से बात करूंगा और हम दोनों मिलकर उनसे बात करेंगे।

उनके घर पर जाएंगे और तुम्हारे रिश्ते की बात करेंगे सागर जाकर अपने घर पर अपनी वाइफ को यह सारी बातें बताया उसकी वाइफ ने भी बोला यह तो बहुत अच्छी बात है।

अगले संडे हम राघव जी के घर पहुंच गए, राघवजी से राधिका के रिश्ते की बात शुरू की मन ही मन में राघवजी भी राधिका को पसंद करते थे लेकिन वह वह भी बोल नहीं पा रहे थे कि कहीं राधिका को बुरा ना लग जाए ।



और फिर  शादी तय हो गई और राधिका और राघव जी को की शादी बहुत धूमधाम से हुई है।  शादी का केएचटीएम होते ही मुझे एक मुंह बोली बहन मिल गई कहने को तो मुंहबोली थी लेकिन हमारा रिश्ता खून के रिश्ते से भी बढ़कर हो गया था।

चाहे कुछ भी हो जाए हर रक्षाबंधन राधिका हमारे घर आना नहीं भूलती थी थी और मैं भी भाई दूज के दिन उसके घर जाना नहीं भूलता था।

जब भी राधिका हमारे घर आती है तो हमारी पत्नी के साथ ऐसे दोनों मिलकर रहती हैं जैसे दोनों बहने हों।  दोनों को प्यार देखकर कभी-कभी सोचता हूं कि लोग तो खून के रिश्तो के लिए रोते हैं खून के रिश्ते तो सिर्फ दाह संस्कार के समय ही काम आते हैं।  कोई रिश्ता दिल का भी होता है आदमी के मरने के सालों साल बाद भी याद दिलाता रहता है।  राधिका के शादी के बाद मेरे परिवार में दो लोगों की संख्या और भी बढ़ गई लेकिन राधिका के भाई बहन मां बाप अब उससे बात नहीं करते हैं और ना ही मिलते जुलते हैं वह उससे नाराज हैं लेकिन क्या फर्क पड़ता है आज रुठे हैं कल मान भी जाएंगे लेकिन जो भी हो राधिका के माथे पर यह सिंदूर का टीका बहुत ही खूबसूरत लग रहा था। वह भी अपने घर गृहस्थी में खुश है धीरे-धीरे वक्त के साथ सारे घाव  भी भर जाएंगे और उम्मीद है उसके मम्मी पापा और भाई बहन सब उसके हो जाएंगे।

1 thought on “दिल का रिश्ता खून के रिश्ते पर भारी पड़ा-मुकेश पटेल”

  1. सचमुच इस कहानी को पढ़कर मन भावुक हो गया… खून के रिश्ते से बढ़कर दिल के रिश्ते बड़े होते हैं

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