देवरानी जेठानी – पूजा मनोज अग्रवाल

करीब बारह साल पहले मेघा ब्याह कर अपने ससुराल आई,,,आते ही उसने अपने सदव्यवहार से परिवार के सभी सदस्यों कोअपना बना लिया था । मेघा की शादी के अगले ही वर्ष उसके देवर की शादी भी हो गई  , घर में नई बहु सुरीली का आगमन हुआ  , सुरीली भी अपनी जेठानी के जैसी गुणवान थी । इतने वर्षों से वे दोनो  संयुक्त परिवार में रह रहीं थी । दोनो मे बहुत प्रेम व अपनापन था , दोनों के बीच किसी भी बात को लेकर कभी कोई मतभेद ना हुआ करता । ससुराल भी सब साधन संपन्न था तो जिन्दगी मे किसी चीज की कमी भी ना थी । मेघा और सुरीली के सास-ससुर भी बहुत नेकदिल थे , कुल मिला कर उनका परिवार समाज मे सबके लिये एक आदर्श था ।

सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक एक दुर्घटना मे मेघा और सुरीली की बुआ सास के पति की मृत्यु हो गई । बुआ सास के कोई संतान न थी तो उनका एकाकी जीवन देखकर ससुर जी अपनी बहन को हमेशा के लिये अपने साथ ले आये ।

 

शुरु – शुरु में तो सब कुछ ठीक  रहा । परंतु  पिछ्ले कुछ दिनो से ना जाने क्यों वे मेघा और सुरीली के अच्छे रिश्तो को देखकर चिढने लगी थी , दिन प्रतिदिन उनका यह प्रयास रहता कि किसी भी तरीके से दोनों बहुएं लड़ मरे।

दरअसल बड़ी बहू मेघा , एक अमीर परिवार से थी और सुरीली के पिताजी की मृत्यु हो चुकी थी । सुरीली के भाई को सुरीली से कुछ खासा लगाव ना था । उसका भाई से सिर्फ इतना ही रिश्ता था , जितना की वह अपनी तरफ से निभाया करती ,,,भाई- भाभी तो सुरीली से रिश्ता ही ना रखना चाहते थे ।

बस यहीं से बुआ सास ने मेघा और सुरीली की जिंदगी में जहर घोलने का मौका तलाश लिया । वह नित नई बातों से सुरीली के कान भरने लगी । 

सावन का त्योहार आया , मेघा के मायके से उसकी माँ ने बिटिया और पूरे परिवार के लिए सिन्धारे मे बहुत सा समान भेजा । बुआ के हाथ अच्छा मौका लग गया वह सुरीली को भड़काते हुए बोली  ,,, ” जानती हो सुरीली , तुम्हें ससुराल मे कम इज्जत क्यों मिलती है ,,,,? क्योंकि तुम मायके से सक्षम नहीं हो , देखो मेघा का मायका कितना सक्षम है ,, वे उसे भर -भर कर तीज त्योहार देते हैं और तुम ,,, तुम्हे कोई फ़ोन भी नही मिलाता ।और तो और जब देखो तब तुम्हारी सास भी तो मेघा मेघा किया करती हैं ,, ,,,? सुरीली के मन मे जहर का बीज बो कर बुआ जी सुरीली के उत्तर की प्रतीक्षा करने लगीं ।



परंतु सुरीली बहुत समझदार थी , वह अपनी बुआ सास की बातों में कतई न आने वाली थी । मुस्कुराते हुए उसने बुआ जी को उत्तर दिया  ,” नहीं बुआ जी , आप मां को गलत समझ रहीं  हैं ।  मेघा भाभी बड़ी है ना , इसलिए माँ उनसे कई बार सलाह मशवरा कर लिया करती हैं । उन्हें ज्यादा मान – सम्मान मिलता है और मुझे कम ,,, इन सब बातों मे पड़ कर मै अपनी  मानसिक शान्ति भंग नही कर सकती ।और रही बात माँ की,,,, तो मैं उनके स्वभाव से भली- भांति परिचित हूं  , ” यह कहकर वह वहां से चली गई ।

इस घटना के बाद भी दोनों देवरानी जेठानी का प्रेम पूर्ववत बना रहा ,सुरीली मेघा भाभी को उतना ही आदर दिया करती,, जितना वह पहले दिया करती थी । दिन बीतते गए और दिवाली का त्योहार भी आ गया । इस बार सुरीली के भाई -भाभी ने सुरीली को बहुत से गिफ्ट , मिठाईयां और कपड़े भेजें । सुरीली यह सब देखकर आश्चर्यचकित रह गई ,,,ऐसा कैसे हो सकता है । जो भाई – भाभी उसे कभी फोन भी ना मिलाते हैं ,आज इतने गिफ्ट कैसे भेज सकते हैं ।

अपने मन की यह शंका दूर करने के लिए वह अपनी सास के पास गई और पूछा ,” माँ भैया से मेरी बात हुई है , उन्होंने तो गिफ्ट्स के बारे में कुछ नहीं बताया,,,,,भला उनकी तरफ से यह गिफ्ट मिठाईयां मुझे कौन भेजेगा ,” ? 

तभी सासु मां ने सुरीली से कहा बेटा यह तेरी जेठानी मेघा ने किया है, मैने उसे इस बारे मे किसी से फोन पर बात करते हुए सुना था । यह सुरीली सुनकर हैरान हो गई और तुरंत मेघा भाभी के पास जा पहुंची ।



दीदी ,,,, मां ने मुझे सब कुछ बता दिया है, परंतु यह इतना सब कुछ  आपने मेरे लिये क्यों किया ,,,?

 

इस पर मेघा ने बड़े प्यार से सुरीली से कहा ,” जब बुआ जी तुम्हें भड़का रही थी , तब मैंने तुम दोनो की सब बातें सुन ली थी ,, तुमने उनकी बातों में ना आकर अपनी समझदारी का परिचय दिया । अब मेरी बारी है , सब ठीक करने की  ।  मैंने तुम्हारे भैया-भाभी की तरफ से गिफ्ट्स इसलिये भेजें ताकि बुआ जी अगली बार आकर तुम्हारा दिल ना दुखा सके ।

मेघा से माँ जैसा स्नेह पाकर सुरीली की आंखों से आंसू बहने लगे थे । मेघा ने सुरीली के आंसू पोंछते हुए कहा ,” चल पगली,,, अपनी बड़ी बहन के होते हुए कोई रोता है ,,,, और हां ! आज से तेरा यह ससुराल तेरा मायका भी है,,,,,,|

सासू मां दोनों का बहनों जैसा प्रेम देखकर बहुत प्रसन्न थी , वह सुरीली के व्यवहार से गदगद हो गई । बुआ जी की बातें सुनने के बाद भी उसका मेघा के प्रति व्यवहार पूर्ववत ही रहा । और दूसरी और , बडी बहू मेघा का अपनी देवरानी के प्रति प्रेम और स्नेह का भाव देखकर वे मन ही मन मेघा को आसीस दे रहीं थीं ।

मेघा और सुरीली का मजबूत बंधन देखकर अब से बुआ जी ने भी दोनो के बीच ना आने की कसम खा ली थी ।

स्वरचित मौलिक

पूजा मनोज अग्रवाल

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!