चार मूर्ख

 बहुत पुराने समय की बात है एक राजा था उसने अपने मंत्री से कहा कि मंत्री जी क्या आप मुझे हमारे राज्य से चार मूर्ख  ढूंढ कर ला सकते हैं. 

 मंत्री ने कहा इसमें कौन सी बड़ी बात है महाराज मैं आज ही मुर्ख ढूंढने के लिए जाता हूं और कल सुबह सुबह ही आपके सामने कई सारे मूर्ख ढूंढ कर ला दूंगा। 

अगले दिन जब दरबार लगा तो मंत्री ने राजा से कहा महाराज मैं मूर्ख लेकर आया हूं आप कहें तो आपके सामने हाजिर करुँ।  राजा ने कहा मेरे सामने मूर्खों को पेश किया जाए. 

 मंत्री ने राजा से कहा महाराज यह पहला मूर्ख है मैंने इसे देखा यह  बैलगाड़ी पर जा रहा था लेकिन अपना सामान अपने सिर पर रखा हुआ था मैंने उससे पूछा तो उसने जवाब दिया मैंने यह सामान अपने सिर के ऊपर इसलिए रखा है ताकि बैल  के ऊपर ज्यादा भार ना पड़े वरना बैल थक जाएगा। इस हिसाब से यह मेरा पहला मूर्ख साबित हुआ. 

 महाराज दूसरा मूर्ख यह  आदमी है मैंने इसको देखा कि अपने छत के ऊपर अपने गाय को घास खिला रहा है तो मैंने जब इसके छत के ऊपर गया तो देखा कि इसके छत पर थोड़ा बहुत घास निकला हुआ था और उस घास को चराने के लिए वह गाय को ही छत के ऊपर लेकर चला गया था महाराज आप ही बताइए जो आदमी गाय को खाना खिलाने के लिए घास को काट नहीं सकता है  वह इंसान मूर्ख नहीं है तो क्या है मेरे हिसाब से यह दूसरा मुर्ख हुआ. 



इसके बाद मैंने पूरे राज्य में भ्रमण किया मुझे और कोई दूसरा मूर्ख नहीं दिखाई दिया।

दो मूर्ख मुझे इस राजमहल में दिखाई दिए आप कहे तो मैं उन्हें पेश करूं,  राजा ने आश्चर्य पूर्वक कहा इस राजमहल में मूर्ख कौन है मैं जानना चाहता हूं. 

 मंत्री ने कहा महाराज तीसरा  मूर्ख आपके सामने खड़ा है यानी कि मैं हूं, इस राज्य में मेरे लिए इतना सारा काम पड़ा हुआ है लेकिन मैं वह काम छोड़कर यह मूर्ख ढूंढने का काम कर रहा हूं इसीलिए मेरे से ज्यादा मूर्ख कोई नहीं है.

 राजा के मन में अब  जानने की इच्छा हुई कि फिर दूसरा मूर्ख कौन है जो इस राजमहल में है.  मंत्री ने कहा महाराज दूसरा मूर्ख आप खुद हैं. आप को जब पता है कि कोई भी कार्य एक समझदार और बुद्धिमान इंसान ही कर सकता है फिर भी आप मूर्ख ढूंढने के लिए मुझे भेज दिया ये समय का बर्बादी है अगर यही समय अगर आप किसी नेक काम करने में लगाते तो इसे प्रजा की भलाई होती इस वजह से चौथे मूर्ख आप हुए.

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