बेटियां अभिमान होती है ना की शर्मिंदगी – हेमलता गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : किस अधिकार से आप हमें लेने आए हैं?बेटी के लिए तो कभी कर्तव्य नहीं निभा पाए… आज अपने अधिकारों की बात कर रहे हो? अनन्या सिर्फ मेरी बेटी है, और उसकी जिंदगी का फैसला लेने का अधिकार सिर्फ मेरा है! याद करो उस दिन को… जब किस तरह तुमने मुझे और मेरी बेटियों को घर छोड़ने पर मजबूर किया था!

    10 साल पहले…..

             सुधा देखो… अनन्या के लिए कितना अच्छा रिश्ता आया है! राज करेगी राज अनन्या वहां जाकर! गिरीश जी का इकलौता बेटा है रत्नेश! बहुत खुश रहेगी हमारी अनन्या!

आपका दिमाग तो खराब नहीं हो गया है? ऐसी बातें कैसे कर सकते हैं? क्या आपको पता नहीं है… अभी अनन्या सिर्फ 16 की हुई है! अभी दसवीं क्लास में है हमारी बच्ची, और आप अभी से उसकी  शादी करना चाहते हैं! आपके दिमाग में यह बात आई भी कैसे?

    देखो ज्यादा बहस करने की जरूरत नहीं है! मैं अनन्या का पिता हूं! इतना अधिकार तो मुझे है कि मैं उसका अच्छा बुरा सोच सकता हूं! अरे दुनिया देखी है मैंने… अनन्या जिस उम्र से गुजर रही है, वहां उसे भटकते देर नहीं लगेगी!

अगर कल को कोई ऊंच-नीच हो गई तो कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे हम !नादान उम्र है उसकी, भटकते देर नहीं लगेगी! फिर कौन करेगा उससे शादी, और वैसे भी इतनी छोटी तो है नहीं… कि इसकी शादी के बारे में नहीं सोच सकते!

तुम  तो इस उम्र में  मां बन गई थी! रही बात उसकी पढ़ाई की, तो वह तो शादी की बाद ससुराल में भी कर सकती है! गिरीश जी का परिवार बहुत ही आधुनिक विचारों वाला है !वह इसे आगे पढ़ने से कभी मना नहीं करेंगे!

तुम एक बार अनन्या से रिश्ते के लिए हां करवा लो, मैं जल्दी ही गिरीश जी को घर बुलाकर रिश्ता पक्का कर दूंगा! अनन्या की जिम्मेदारियों से मुक्त होंगे, तभी तो छोटी बेटी रागिनी के बारे में सोचेंगे? या जिंदगी भर बेटियों को घर में ही बिठा के रखना है?

        देखिए चाहे जो भी हो जाए.. मेरी बेटियां आगे पढ़ाई करेंगी और हमारा नाम रोशन करेंगी! अभी तो इनका तन और मन दोनों शादी की जिम्मेदारी उठाने लायक नहीं है! तभी अनन्या वहां आ गई.. उसने सारी बातें सुन ली थी .…और बोली.. हां पापा मुझे अभी शादी नहीं करनी अभी तो मुझे मेरे सपने पूरे करने हैं! मैं कुछ बनना चाहती हूं! अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हूं! देखना पापा 1 दिन आपको अपनी बेटी पर गर्व होगा!

  अगर तुम्हें इस घर में रहना है.. तो मेरी बातें माननी ही पड़ेगी! क्या इनकी  जिंदगी का फैसला करने का मेरा कोई अधिकार नहीं है? क्या मैं बाप होकर तुम्हारा अहित सोचुंगा?

   नहीं पापा.. लेकिन अभी तो मेरी उम्र भी शादी लायक नहीं हुई है! यह बाल विवाह है, और गैरकानूनी है!

     देखिए ..अगर आपकी यही जिद है, तो मैं मेरी बेटियों को लेकर अलग रह लूंगी, लेकिन उनकी जिंदगी खराब नहीं होने दूंगी! यह अपने सारे सपने पूरे करेंगी!

     वर्तमान दिन…

     आज मेरी बेटी इस शहर की आईपीएस बन कर आई है तो आप मेरी बेटी- मेरी  बेटी कहते हुए थक नहीं रहे! पूरा शहर अनन्या पर गर्व कर रहा है !सभी जगह इसका सम्मान हो रहा है! देखिए…

अब जो भी फैसला होगा वह अनन्या का होगा !मैं अनन्या के हर फैसले में उसके साथ हूं! तभी अनन्या ने घर में प्रवेश किया और अपने पापा को वहां देखकर एक बार तो वह चौक गई, अगले ही पल बोली.….

आज आपको हमारी याद कैसे आ गई ?आपने हमारे ऊपर अपने अधिकारों की बातें तो कर ली.. क्या कभी आपने पिता होने का कर्तव्य निभाया? क्या पिता का कर्तव्य कम उम्र में बेटियों को बाल विवाह की आग में झोंक देना है?

क्या बच्चियों का भविष्य खराब करना है ?बच्चियों के सपने कुचलने को कर्तव्य कहते हैं? अधिकार भी उसी का होता है, जो अपने कर्तव्य पूरे करता है! जो कि हमारी मां ने किया है!आपको तो शायद पता भी नहीं होगा मां ने किस तरह से हमें आगे बढ़ने में हमारी मदद की है!

कितनी मुश्किल हालातों से हम लोग गुजरे हैं !सच बताना पापा.. क्या आपको इतने सालों में हमारी कभी याद नहीं आई? कभी हमारे बारे में नहीं सोचा? हमारे लिए जो कदम उस वक्त मां ने उठाया था ..आज यह उसी का परिणाम है !मैं सारा श्रेय सिर्फ अपनी मां को ही देती हूं!

    हमारी जिंदगी का फैसला लेने का अधिकार सिर्फ मां को है.. अन्य किसी को नहीं!

    हां बेटा तुम सही कह रही हो! मैं कितने ही बरसो से पश्चाताप की अग्नि में झुलस रहा हूं, किंतु तुम्हारे सामने आने की कभी हिम्मत नहीं कर पाया! आज मैं तुम सबसे अपनी गलतियों की माफी मांगने आया हूं! हो सके तो अपने इस पिता को माफ कर देना!मैंने तुम लोगों के साथ बहुत नाइंसाफी की है!

     तब मां ने कहा…. बेटा हमें इन्हें माफ कर देना चाहिए! क्योंकि पश्चाताप से बड़ा कुछ नहीं है! आज इनके आंसुओं में इनकी गलती नजर आ रही है !हमारा भी फर्ज है.. इन्हें माफ कर दिया जाए!

   ठीक है मां.. जैसा तुम चाहो !आज यह अधिकार भी हम तुम्हें देते हैं! आज इन्हें शायद समझ आ गया है की..” बेटियां अभिमान होती है ना कि शर्मिंदगी”!

हेमलता गुप्ता

स्वरचित    

#अधिकार

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