बावरा मन देखने चला एक सपना – मुकेश कुमार

मधु कॉलेज से आकर अभी जैसे ही कुर्सी पर बैठी थी तभी मधु की मां ने एक फोटो लाकर मधु के हाथ में थमा दी और बोली, “मधु यह देख तो कैसा लड़का है ,सब ने तो पसंद कर लिया है, बस तुम्हारी हां करना बाकी है अगर तुम हां करती हो तो बात आगे बढ़ाएं क्योंकि लड़का दिल्ली में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और पैसा भी अच्छा काम आता है, अभी पिछले साल ही उसने अपना फ्लैट भी खरीदा है.”  मधु ने अपनी मां से कहा, “माँ थोड़ी देर चुप भी रहोगी पता नहीं क्या जादू कर दिया है तुमको इस लड़के ने, ठीक है, थोड़ी देर में देख लूंगी तो आंधी तूफान नहीं आ जाएगा.

मधु ने अपनी मां से कहा, “जाओ मां पहले एक गिलास पानी लेकर आओ”  जैसे ही मधु की मां पानी लेने  रसोई में पहुंची मधु ने फोटो पलट कर देखा फोटो देखते ही उसके मन में एक अजीब सी  गुदगुदी शुरू हो गई, जिस पुरुष की कल्पना वह अपने मन मंदिर में करती थी यह फोटो वाला लड़का बिल्कुल वैसा ही था.

थोड़ी देर बाद मधु की माँ पानी लेकर आई और मधु से बोली,  “क्या कह रही है बात आगे बढ़ाया जाए। मधु ने हां में सिर हिलाया फिर क्या था कुछ दिनों के बाद ही मधु और मोहन के बीच सगाई हो गई.

अगले 6 महीने बाद शादी की तारीख निकल कर आई।  इस बीच मधु और मोहन के बीच फोन पर बात होती थी लेकिन बहुत ही कम, जब भी मधु फोन करती थी, मोहन काम का बहाना कर फोन को काट देता था, मधु को लगता था कोई नहीं, 6 महीने की बात है फिर तो साथ ही रहना है.  ऐसे करते-करते शादी के दिन भी नजदीक आ गई और दोनों एक दूसरे से शादी के बंधन में बंध गए।



रात्रि का समय था मधु सज सँवर के  अपने पिया मोहन के इंतजार में बैठी थी कि कब वह आएंगे और उसके घुंघट को उठाएंगे, जब उसके अंग को छुएंगे तो वह उनके छूने मात्र से ही उसका  तन बदन महक जाएगा। वह एक रूमानी दुनिया में खो जाएगी, जिसकी अब तक तक बचपन से सिर्फ कल्पना करती आ रही है, ख्वाबों में जिसक का चेहरा देखती आ रही है आज उसे रूबरू होगी, एक दूसरे में दोनों खो जाएंगे आज दो शरीर मिलकर एक हो जाएंगे।

थोड़ी देर के बाद मोहन का  दरवाजे पर दस्तक हुआ और कमरे मे आकर बेड पर बैठ गया और उसने मधु का हाथ जोर से पकड़ा जिसकी कल्पना मधु ने की भी नहीं थी और उसको बेड पर जोर से लिटाया और फिर उसके बाद जो कुछ हुआ उसकी कल्पना मधु ने कभी की भी नहीं थी। कुछ देर के बाद मधु के कराहने की आवाज आने लगी।  वह समझ नहीं पा रही थी, पति का प्यार इसे ही कहते हैं अगर पति का प्यार इसे कहते हैं तो नहीं चाहिए उसे ऐसा प्यार, वह कल्पनाओ के धरातल से उतर चुकी थी जो ख्वाब उसने बचपन से संजोए थे वह सब बिखरता चला गया था।

अब तो रोज का यही क्रम  हो गया था। सुबह होते ही मोहन ऑफिस चला जाता शाम को आता तो अपने फोन और लैपटॉप में दुबारा से घर पर भी लगा रहता है रात में मधु के शरीर के साथ खेलता ना कोई बातचीत और ना कोई प्रेम।  मधु ने भी मन ही मन इसे ही पति का प्यार समझना शुरू कर दिया था।

मधु अब बिल्कुल ही गुमसुम रहने लगी थी ना किसी से बातचीत ना किसी से हंसी मजाक एक  खूबसूरत गुड़िया बन कर रह गई थी।



एक दिन मधु बाजार से सब्जी खरीदकर सीढ़ियो से ऊपर चढ़ रही थी तभी एक 10 साल की बच्ची सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी।  मधु ने मुस्कुराकर उस बच्ची का नाम पूछा। उस बच्ची ने अपना नाम डॉली बताया। उस दिन के बाद से डॉली और मधु के बीच दोस्ती होने लगी, दोनों शाम को साथ में  पार्क में जाकर बैडमिंटन खेलते। पार्क में खेलते-खेलते ही मधु ने डॉली से पूछा,” डॉली, तुम्हारी मम्मी को आज तक मैंने नहीं देखा आज तुम्हारे घर चलूंगी तुम्हारे मम्मी से भी मिलूंगी.”  डोली ने अपनी मम्मी का नाम सुनकर उसी समय पार्क की बेंच पर उदास होकर बैठ गई. मधु ने पूछा, “क्या हो गया? डोली तुम उदास क्यों हो गई? डॉली ने मधु को बताया कि मेरी मम्मी मैं जब 5 साल की थी तभी गुजर गई।  उनको कैंसर हो गया था यहां पर मैं और मेरे पापा रहते हैं। इस संडे मैं अपने पापा से आपकी मुलाकात कराऊंगी

शाम को जब डॉली के पापा रजनीश  और डॉली  दोनों खाना खा रहे थे, डॉली ने अपने पापा से कहा, पापा मेरी एक नई दोस्त बन गई है मधु आंटी, बहुत अच्छी है, मेरे सारे होम वर्क भी करवा देती हैं ,अब तो मुझे ट्यूशन जाने की भी जरूरत नहीं है, अगले महीने से मैं ट्यूशन नहीं जाऊंगी, मधु आंटी बोलती हैं कि मैं खुद तुम्हें पढ़ा दिया करूंगी मैंने आपको संडे को मिलवाने के लिए बोला है। रजनीश ने बोला ठीक है बेटा, अगर ऐसी बात है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है।

संडे के दिन डॉली  मधु को बुलाकर अपने घर ले आई और अपने पापा से परिचय कराया, “पापा यह मधु आंटी हैं”  मधु आंटी “यह मेरे पापा हैं।”  मधु और रजनीश ने एक दूसरे को नमस्ते किया है और रजनीश ने मधु को बैठने के लिए बोला।



मधु और रजनीश काफी देर एक दूसरे से बात करते रहे उसके बाद तो  मधु रोजाना डॉली को पढ़ाने उसके घर आया करती थी और धीरे-धीरे रजनीश से भी मधु की दोस्ती हो गई थी।

गर्मी की छुट्टियों में डॉली अपने नाना नानी के घर चली गई और इधर मधु फिर  से अकेली हो गई एक दिन संडे के दिन मधु के पास डॉली के पापा का फोन आया, मधु जी जब से डॉली अपने नाना-नानी के घर गई है आप तो इस घर को ही भूल गई है।  क्या डॉली नहीं रहेगी तो आप हमारे घर नहीं आएंगी। मधु ने कहा, “नहीं-नहीं, ऐसी कोई बात नहीं मैं अभी आती हूं।” संडे का दिन था तो रजनीश उस दिन घर पर ही थे।

मधु कुछ देर बाद डॉली के घर में चली गई रजनीश ने बोला बैठीये मैं आपको चाय बना कर लाता हूं।  मधु ने कहा, “अरे नहीं मैं तो चाय पी कर आई हूं आपको पीना है तो बोलो मैं बना देती हूं।”  मधु जबरदस्ती किचन में चली गई और चाय बनाने लगी।

मधु जब किचन में चाय बना रही थी तो रजनीश को ऐसा लग रहा था कि डॉली के मम्मी चाय बना रही है  जब मधु  चाय बनाकर लायी और रजनीश ने चाय पिया तो बिल्कुल डॉली के मम्मी वाला टेस्ट चाय में था।  चाय की एक चुस्की लेते ही रजनीश ने बोला, “अरे वाह यह तो बिल्कुल ही डॉली के मम्मी जैसा स्वाद है।” मधु ने कहा, “भाई साहब इसमे खास कुछ नहीं है  चाय सब कोई एक जैसा ही बनाता है चाय मे दूध डालो चीनी और पानी बन गया चाय।”

बातों बातों में रजनीश ने मधु से पूछा मधु जी आप को पढ़ाने में इतना खुशी है तो आप भी बी एड  क्यों नहीं कर लेती हैं इसके आपको शिक्षक की नौकरी भी मिल जाएगी और आपका टाइम पास भी हो जाएगा अब तो दुनिया बदल रही है औरतों का जन्म इसलिए थोड़ी होता है कि वह सिर्फ घर के झाड़ू पोछा बर्तन और खाना बनाए।



मधु ने कहा करना तो मैं भी चाहती हूं । रजनीश ने कहा तो फिर इसमें देर किस बात की मैंने आज ही देखा है दिल्ली यूनिवर्सिटी में B.Ed का फॉर्म निकला हुआ है मैं आपका फॉर्म भर देता हूं आप एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी शुरू कर दीजिए।

गर्मी की छुट्टी खत्म होते ही डॉली भी अपने नाना नानी के घर से वापस अपने पापा के घर आ चुकी थी।  डॉली आते ही सबसे पहले अपने मधु आंटी से मिली। मधु को भी पता था कि आज डॉली आने वाली है इसलिए उसने डॉली को लिए उसके मनपसंद का कढ़ी चावल बनाया था। मधु फिर से रोजाना डॉली के घर जाने लगी डॉली को ट्यूशन पढ़ाने अब तो मधु ऐसा लगता था कि वह भी इस घर का हिस्सा हो गई है।

इधर मधु को अपने पति मोहन से भी धीरे धीरे लगाव खत्म हो गया था क्योंकि मोहन को भी मधु से कोई ज्यादा मतलब नहीं रहता था  वह अपने काम में इतना बिजी रहता था कि मधु क्या कर रही है उसकी क्या सपने हैं उससे कुछ मतलब नहीं होता था। बस मधु उसके लिए एक नौकरानी जैसी थी कि उसको खाना टाइम पर मिल जाए उसके कपड़े पर प्रेस करके उसे दे दे।  उससे ज्यादा उसे कोई मतलब नहीं था।

एक दिन अचानक मोहन ने मधु को बताया कि उसकी कंपनी ने 3 महीने की ट्रेनिंग के लिए उसे अमेरिका भेज रही है इसलिए तुम अपना ख्याल रखना कल ही मुझे अमेरिका जाना है।  मधु ने मोहन से कहा तुमने पहले कभी बताया नहीं कि अमेरिका जाना है मोहन ने कहा मुझे भी कहां पता था आज ही कंपनी ने अचानक से कहा।



मोहन के जाने के बाद मधु बिल्कुल ही अकेली हो गई थी।  अपने घर से ज्यादा वो अब डॉली के घर रहने लगी थी। डॉली  के पापा से धीरे-धीरे उसकी नजदीकियां बढ़ती चली गई। सप्ताह में कई दिन तो शाम का खाना मधु डॉली  के घर ही बनाती थी और वहीं पर खा कर अपने घर चली आती थी।

एक दिन शाम को  डॉली के घर मधु जब शाम को खाना बनाने जा रही थी तभी उसका पैर फिसला और वह वहीं पर  गिर गई। रजनीश ने मधु को उठाकर अपने बेडरूम में ले जाकर बेड पर सुला दिया पैर में चोट ज्यादा आई थी तो  रजनीश ने मधु के पैर को हल्के हल्के सहलाने लगे ताकि पैर दर्द जल्दी ठीक हो जाए।  थोड़ी देर के बाद रजनीश ने हल्दी और चूना मिलाकर मधु के पैर पर लगा रहे थे।

मधु के लिए यह एहसास बिल्कुल ही नया था उसे इस तरह से प्यार से आज तक उसके पति मोहन ने भी कभी नहीं किया था।  मधु को अंदर से भले दर्द हो रहा था लेकिन रजनीश का स्पर्श उसे अच्छा लग रहा था। थोड़ी देर बाद मधु बोली कि मैं अपने घर जा रही हूं।  लेकिन रजनीश बोले कोई बात नहीं सुबह चले जाना। मधु जी आप और डॉली यहीं पर सो जाओ मैं बाहर सोफे पर सो जाता हूं।

सुबह होते ही रजनीश चाय बना कर लाए और मधु को जगाया और चाय दिया और पूछा अब आपका दर्द कैसा है।  मधु ने बोला ठीक है, अरे आपने यह क्यों किया आप मुझसे बोल देते मैं चाय बना देती।

थोड़ी देर के बाद रजनीश ने मधु के पैरों में दर्द की क्रीम लगाने लगे।  मधु ने बोला अरे छोड़िए यह क्या कर रहे हैं मैं खुद लगा लूंगी।



धीरे-धीरे डॉली के पापा और मधु के बीच इतनी गहरी दोस्ती हो गई और वह दोस्ती कब एक दूसरे के प्यार में बदल गया उन दोनों को ही पता नहीं चला और धीरे-धीरे उनके बीच शारीरिक संबंध भी स्थापित हो गए।

मोहन 3 महीने कह कर  अमेरिका गया था लेकिन 1 साल से ज्यादा बीत गया लेकिन वह अभी तक इंडिया नहीं आया।  मोहन खर्चे के लिए वहां से पैसे भिजवा दिया करता था। बाद में मधु को पता चला कि मोहन ने अमेरिका में ही दूसरी शादी कर ली है और अब वह इंडिया नहीं आना चाहता है वहीं पर सेटल हो गया है और उसने यहां तक मधु को भी कह दिया है कि मैं जब इंडिया आऊंगा  तो हम तलाक ले लेंगे।

मोहन के इस फैसले से मधु को बिल्कुल भी तकलीफ नहीं हुआ क्योंकि मोहन उसके दिल में था ही कब  जब से शादी करके आई वह सिर्फ उसको वस्तु समझता था इससे ज्यादा कुछ नहीं।

इधररजनीश  और मधु ने एक दूसरे से शादी करने के के लिए तैयार हो गए थे लेकिन वह सोचते थे कि अपनी बेटी डॉली एक बार पूछ ले।  रजनीश ने अपनी बेटी डॉली से कहा ,”डॉली, अगर मधु आंटी को मैं अगर तुम्हारी नई मम्मी बना दूं तो कैसा रहेगा।” डॉली ने जब यह बात सुनी तो उसने अपने पापा को कहा पापा मेरे लिए तो यह सोने पर सुहागा हो जाएगा मुझे ऐसा लगेगा कि मेरी मम्मी फिर से वापस आ गई।

अगले साल मोहन आया। एक दूसरे के इच्छासे  मधु और मोहन के बीच तलाक हो गया था।

इधर मधु ने भी बीएड कंप्लीट कर लिया था और एक स्कूल में टीचर की नौकरी पर  लग गई थी और वह स्कूल में पढ़ाने जाने लगी थी। इधर डॉली के पापा और मधु की शादी भी फिक्स हो गई थी कुछ दिनों में ही  उनकी शादी होने वाली थी।

एक  दिन स्कूल से मधु वापस आ रही थी तो बस स्टैंड पर खड़ी थी, उस स्कूल का ही एक टीचर रमेश ने मधु को बस स्टैंड पर खड़ा होते हुए देखा तो बोला आ जाओ मधु  मेरे स्कूटी पर बैठ जाओ मैं तुम्हारे घर की तरफ ही जा रहा हूं। मुझे कुछ काम है। मधु रमेश के स्कूटी पर बैठ गई और अपने घर के पास आकर उतर गई।

बालकनी में ही रजनीश खड़े थे। मधु जैसे ही ऊपर आई रजनीश बोले, “तुम रमेश के स्कूटी पर बैठ कर क्यों आई बस नहीं मिल रहा था तो रिक्शे से आ जाती।”  मधु ने कहा तो क्या हो गया मैं स्कूटी पर बैठकर आ गई तो। रजनीश ने कहा, “क्या हो गया” का क्या मतलब है इस मुहल्ले में मेरी भी इज्जत है लोग क्या कहेंगे किसी गैर मर्द के स्कूटी पर बैठ कर आओगी तो।

 मधु ने कहा इज्जत है इसका क्या मतलब है, क्या मेरी इस मुहल्ले  में इज्जत नहीं है और किसी के स्कूटी पर बैठकर आने से इज्जत नहीं चली जाती है।

धीरे धीरे आपस की कहासुनी झगड़े में तब्दील हो गया था। रजनीश ने साफ-साफ कह दिया था देखो मधु अगर तुम्हें मेरे साथ शादी करनी है तो तुम्हें मेरे अनुसार चलना पड़ेगा और यह दूसरे मर्द के साथ आना जाना मुझे बिल्कुल ही पसंद नहीं है।  

मधु ने कहा मुझे नहीं पता था आप ऐसे सोच वाले हो मुझे तो लगता था कि आप औरत के सम्मान और इज्जत देने वाले पुरुषों  मे से हो। लेकिन आप भी बाकी पुरुषों की तरह संकीर्ण मानसिकता रखते हो, नहीं करनी मुझे आपसे शादी। रजनीश ने कहा अरे तुम क्या मुझसे शादी नहीं करोगी मैं खुद तुमसे शादी नहीं करूंगा।  जिस औरत को एक मर्द से मन नहीं भरता है कल अपने पति को छोड़ी आज मेरे साथ हो और एक नए मर्द की तलाश में हो ऐसी औरतों का क्या भरोसा कब मुझे छोड़कर चले जाओ।

रजनीश की यह बात मधु के सीने को छलनी कर गई क्योंकि यह सोचने लगी इससे अच्छा तो कम से कम उसका पहला पति मोहन सही  था उससे प्यार नहीं करता था लेकिन आज तक उसे कभी भी भला बुरा भी नहीं कहा किससे मिलती है किससे बात करती हूँ कभी भी इस बात के लिए रोक नहीं लगाई।

मधु बिना कुछ कहे अपने फ्लैट में चली गई।  सुबह होने पर डॉली के पापा को एहसास हुआ मधु को कुछ ज्यादा ही बोल दिया था,  वह माफी मांगने उसके फ्लैट पर गया, वहां गया तो फ्लैट के सामने ताला लटका हुआ था और ताले में चिट्ठी लगी हुई थी, जिस पर लिखा हुआ था रजनीश मैं यह फ्लैट छोड़ कर जा रही हूं और मुझे ढूंढने की कोशिश मत करना, क्योंकि मुझे अब किसी से शादी नहीं करनी है।

उस दिन के बाद से मधु कहां चली गई, किसी को पता नहीं चला, रजनीश ने बहुत ढूंढने का प्रयास किया लेकिन मधु कहीं नहीं मिली।

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