उसको जब पहली बार देखा था आँखें हटने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं गोरे रंग के चेहरे पर तीखे नाक नक्श कितना तेज़ बिखेर रहे थे। गुलाबी साड़ी में कितनी मोहक लग रही थी। पूछने पर कुछ झिझकते हुए अपना नाम मेखा बताया। मेरे बेटे के लियें इससे अच्छी लड़की कहाँ मिलेगी। शीतल ने मेखा को अपनी सहेली रेवा की जन्मदिन की पार्टी में देखा था।
कितने दिनों तक उस लड़की को लेकर बहू बनाने के सपने देखती रही। मेखा को बहू बनाने के कितने प्रयास किये। रेवा से मिन्नत कर प्रस्ताव मेखा के माता पिता के पास भेजा। रेवा से सारी जानकारी भी निकलवा ली।
शीतल का बेटा इंजीनियर था बड़ी कंपनी में काम करता था। आजकल कंपनियों से अच्छी खासी पगार भी मिलती है। शीतल को अपने बेटे के लियें पढी लिखी सुशील व कमाऊ लड़की की तलाश थी। रेवा उसकी अच्छी दोस्त थी। मेखा की बात जबसे शीतल के मन ने आई उसे अपनी बहू बनाए के सपने में खोई रहती।
आख़िर उसकी इच्छा पूर्ण हुई मेखा के माता पिता ख़ुद घर आकर वरुण का रिश्ता पक्का कर गए। वरुण को भी मेखा पसंद आ गई। रेवा मेखा की चाची थी और शीतल से अच्छी मित्रता थी इसलिए मेखा के घरवालों ने रिश्ते की हाँ कर ली। जल्दी ही शादी भी हो जाएगी। मेखा कॉलेज में पढाती थी। वरुण कभी कभी रेवा को घूमाने ले जाने लगा। शादी से पहले मेलजोल बढ़ाने का रिवाज़ जो बन गया।
मेखा की सुंदरता और व्यवहार से वरुण भी काफी प्रभावित हुआ।
शीतल की बेटी रोमा विदेश में सेटल है। उसे भाई के रिश्ते का बात बताई और मेखा की तस्वीरें भेजी। उसे भी मेखा बहुत पसंद आई। नवंबर में शादी तय हो गई। शीतल सगाई की तैयारी में लग गई। मेखा की पसंद की साड़ी ,गहने आदि भी खरीदे गए। सगाई की रसम रोमा के बिना ही निभा ली जाये ऐसा निश्चय किया गया। अगले रविवार मेखा और वरुण की सगाई की सारी तैयारी की गई।
सगाई की रस्में धूम धाम से चल रही थीं। रिवाज़ के अनुसार दुल्हन को पति के घर वस्त्र पहनने थे। सुसराल से आई साड़ी में मेखा बहुत प्यारी लग रही थी चारों और ख़ुशी का वातावरण था। बच्चे नाच गा रहे थे। ऑकेस्ट्रा पर रोमांटिक गाने बज रहे थे। शीतल ने मेखा के गले में कुंदन से जड़ा एक सुंदर नेकलेस पहनाया। बस उसी घड़ी माहौल बदलने लगा रस्म को बीच में ही छोड़ शीतल रेवा के पास गई और कुछ पूछने लगी।
शीतल ने अब जो कोहराम मचाया उसकी किसी को आशा नहीं थी। वरुण को बताया कि मेखा की गर्दन पर सफ़ेद दाग है जो भविष्य में उसको कुरूप बना देगा। रोशन लाल वरुण के पिता बहुत दिनों से सब चुपचाप देख रहे थे। बेटे के लियें लड़की चुनने से लेकर आज दिन तक शीतल को पूरी छूट दी अब इस समस्या के कारण वो चुप नहीं रह सके।
शीतल व वरुण को दूसरी जगह ले जाकर बात की शीतल ने अपनी नामंजूरी देते हुए कहा नहीं ये रिश्ता नहीं हो सकता। ऐसे कैसे एक सफ़ेद दाग की बीमारी से पीड़ित लड़की को बहू बना लें। वरुण ने भी माँ की हाँ में हाँ मिलते हुए सगाई करने से मना कर दिया।
रोशन लाल की बात दोनों समझना ही नहीं चाहते थे वे समझा रहे थे कि अगर इस का पता शादी के बाद चलता तो क्या करते। ऐसे किसी लड़की का अपमान करना ठीक नहीं। इलाज़ से सब बीमारियां ठीक हो जाती हैं। उन्होनें शीतल को आगाह भी किया कि अपने वरुण को भी तो अस्थमा है और हमने भी तो मेखा के घरवालों को नहीं बताया। वरुण ने साफ मना कर दिया कि वो इस लड़की के साथ शादी नहीं कर सकता। अपने माता पिता को वहीं छोड़ वरुण चला गया।
मेखा और उसका परिवार अचानक गिरी इस बिजली से टूट गए। रेवा ने रोती हुई मेखा से पूछा दाग का पता था तो मेखा ने मना कर दिया। सच तो यह था कि बालों के नीचे पनपे इस सफेद दाग का किसी को पता नहीं था। नेकलेस पहनाते समय शीतल ने बाल हटाये तब उसे दाग दिखाई दिया जिसके कारण अब मेखा की पूरी जिंदगी बदली हुई नज़र आने लगी। जो शीतल मेखा को बहू बनाने को उतावली थी चट से सगाई की रसम छोड़ कर चली गई। मेखा का विवाह होना अब एक सवाल बन कर रह गया।
कुछ दिनों बाद शीतल की मौसेरी बहन अपने बेटे अखिल के साथ घर आई। शादी के निमंत्रण पत्र देते हुए बोली, मेखा से शादी कर रहा है अखिल।” प्रीति बोली
“सब कुछ जानते हुए भी तुम उसे बहु बना रही हो।” शीतल ने पूछा।
“ये अखिल माना ही नहीं उसी दिन अंगूठी पहना दी मेखा को। दीदी अपना अखिल डॉक्टर जो है कह रहा है इलाज़ से मेखा का दाग ठीक हो जाएगा। उसने जांच भी करा ली है त्वचा रोग विशेषज्ञ से उन्होनें कहा है कि यह बीमारी फैलने वाली नहीं है शायद बार बार एक ही जगह खुजलाने या कपड़े की रगड़ से त्वचा की ऊपरी परत हट गई है।
शीतल हैरान हो गई उसे विश्वास नहीं हो रहा था,” बोली अगर ठीक नहीं हुई तो क्या करेगी।”
“मुझे क्या करना है दीदी जब “मिया बीबी राजी तो क्या करेगा काजी।”
गीतांजलि
(स्वरचित व मौलिक)