” क्या यही प्यार है ” : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi :

” सलोनी मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ !” विवेक सलोनी को गले लगाता हुआ बोला।

” मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ विवेक पर हमारे घर वाले कभी हमारे प्यार को स्वीकार नही करेंगे वो तो एक दूसरे के दुश्मन है !” सलोनी चिंतित स्वर मे बोली।

” सलोनी हम घर से भाग चलते है तुम ऐसा करो जितना ज्यादा से ज्यादा जेवर , रूपए मिल सके उन्हे ले लेना क्योकि जरूरी नही दूसरे शहर मे जा नौकरी मिल ही जाये वो जेवर, पैसे हमारे कुछ दिन काम आएंगे !” विवेक बोला।

” घर से भागने मे सबकी कितनी बदनामी होगी विवेक !” सलोनी घबराते हुए बोली।

” अरे कुछ नही होगा देखना थोड़े दिनों बाद वो खुद हमें अपना लेंगे हम उनके बच्चे है आखिर और तुम तो इकलौती संतान हो !” विवेक लापरवाही से बोला।

” अच्छा तो तुम भी अपनी माँ के जेवर और पापा के पैसे ले आना ऐसा ना हो ज्यादा दिन नौकरी ना मिले !” सलोनी बोली।

” मैं !! पर मै कैसे !” विवेक हड़बड़ा कर बोला।

” जैसे मैं लाऊंगी !” सलोनी बोली।

” अच्छा देखूंगा पर तुम कल रात को जेवर और पैसे ले तैयार रहना समझी !” विवेक बोला और सलोनी के उत्तर का इंतज़ार किये बिना निकल गया।

अगले दिन विवेक ने सलोनी को फोन करके कहा वो उसके घर के पीछे खड़ा है ! थोड़ी देर बाद सलोनी उसके पास पहुंची ।

” ये क्या सलोनी तुम खाली हाथ आई हो जेवर और पैसे कहाँ है ? उसके बिना हम नही भाग सकते यहाँ से समझी तुम !” विवेक थोड़े गुस्से मे बोला ।

” जेवर और पैसे ये रहे !” तभी सलोनी के पिता वहाँ आकर बोले साथ मे उसकी माँ भी थी।

”  सलोनी ये सब क्या है । कितना अच्छा प्लान बनाया था मैने हम आराम से निकल सकते थे हमारे प्यार को मंजिल मिल जाती पर तुमने सब गुड़ गोबर कर दिया  !” सलोनी का हाथ पकड़ विवेक धीमी पर गुस्से वाली आवाज़ मे बोला ।

” छोड़ो मेरा हाथ मैने कुछ गुड़ गोबर नही किया बल्कि गुड़ गोबर होने से बचा लिया क्योकि अगर तुम मुझसे प्यार करते तो पहली बात तो घर से भागने की प्लानिंग ही ना करते बल्कि मेरे माता पिता से बात करते उन्हे मनाते तब मै  तुम्हारा साथ देती और अगर भागना ही था तो मुझे जेवर , पैसे लाने को नही बोलते बल्कि खुद लाते क्या यही था तुम्हारा प्यार? पापा सही कहते थे तुम मुझसे नही मेरे पापा के पैसों से प्यार करते हो । अब चले जाओ यहां से वरना मैं पुलिस बुला लूंगी !” सलोनी ये बोल रोते हुए अपने पापा के गले लग गई। उसे प्यार को खोने का दुख तो था पर उससे ज्यादा खुशी इस बात की थी की उसने एक गलत इंसान के कारण अपने माँ बाप को समाज मे रुसवा होने से बचा लिया ।

उधर विवेक गुस्से मे वहाँ से चला गया क्योकि उसका मकसद जो पूरा नही हुआ था।

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल

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