गीता के इन सात वचनों को जो अपने जीवन में उतार लेगा वह कभी असफल नहीं हो सकता

भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत में अर्जुन को युद्ध के मैदान में कुछ उपदेश दिए थे वही उपदेश गीता का उपदेश कहलाता है उनमें से कुछ प्रमुख उपदेश  हम आपको यहां पर लेकर आए जिसे अपने जीवन में उतार कर आप भी निराश और असफल नहीं होंगे। 

⇒ श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, “ जो हुआ वह अच्छा ही हुआ और जो हो रहा है वह अच्छा ही हो रहा है और जो होगा वह भी अच्छा ही होगा तुम भूतकाल का पश्चताप ना करो, बल्कि भविष्य की चिंता करो, वर्तमान तो चल रहा है और ऐसा ही चलता रहेगा। 

⇒ तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो?  तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था जो नाश हो गया? ना तुम कुछ लेकर आए हो जो लिया यहीं से लिया, जो दिया यहीं पर दिया, जो लिया यही  से लिया। जो दिया यही को दिया। 

⇒ आत्मा हमेशा शरीर बदलती है वह पुराने शरीर को छोड़कर नए  शरीर के अंदर प्रवेश करती है जैसे मनुष्य पुराने कपड़ों को उतारकर नए कपड़े धारण कर लेता है. 

⇒  आदमी जो कर्म करता है उसके कर्म के अनुसार ही उसके भाग्य का निर्माण होता है. 

⇒ ईश्वर भाग्य का निर्माण नहीं करते हैं और ना ही किसी के कर्मों का फल देते हैं इंसान  तो स्वयं अपने कर्मों का फल पाता है जैसा जो कर्म करता है उसको वैसा ही फल मिलता है. इसलिए भाग्य के भरोसे रहना छोड़ दो अपने कर्मों पर ध्यान दो. 



⇒  आत्मा न जन्म लेती है, न मरती है, ना इसे जलाया जा सकता है, पानी से भी भिगोया नहीं  जा सकता है, आत्मा अमर है, अविनाशी है, ना तुम आत्मा को देख सकते हो, ना आत्मा को छू सकते हो, सिर्फ अपने शरीर के अंदर महसूस कर सकते हो. 

⇒  कर्म का फल व्यक्ति को उसी तरह ढूंढ लेता है, जैसे  एक गाय का बछड़ा सैकड़ों गायों में से अपनी मां को ढूंढ लेता है इसीलिए आप कर्म करते रहो फल की चिंता छोड़ दो, जो होना होगा हो ही जाएगा, जो तुम्हारे सामने है   उसकी चिंता करो. 

गीता के वचन  आपके जीवन में अमृत के समान हैं अगर आप अपने जीवन में इसको उतार लेंगे।  इसके अनुसार आप अपने जीवन में करेंगे तो उम्मीद है आपको कोई परेशानी नहीं आएगी।   कई मनुष्य होते हैं जो अपना कर्म छोड़कर भाग्य के भरोसे बैठ जाते हैं और अंत में उनको निराशा ही हाथ लगती है इसीलिए आपको पहले कर्म करना होगा अपने कर्म पर ध्यान देना होगा। 

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