अपने नन्ही पोती को देखकर सुमन की आंखों से आंसू बह निकले। क्या जिंदगी बना दी है भगवान तूने मेरी बच्ची को देखने को छूने को तरस रही हूं , उसकी एक मुस्कुराहट को तरस रही हूं। क्यों तूने मेरे सारे अरमानो पर पानी फेर दिया है। क्या कुसूर था मेरा और सुमन चेहरे को हाथों से छिपाकर फूट फूट कर रोने लगी।और मन ही मन कोसती जा रही थी जा तूझे भी कभी सुकून न मिले तू भी वैसे ही तड़पे जैसे मैं तड़प रही हूं अपने पोती को देखने के लिए ।
सुमन और अशोक का बहुत सुंदर परिवार था । सुमन की जब शादी हुई तो बूढी सास और उनके पति अशोक बस तीन लोगों का परिवार था ।अशोक के दो बड़ी भाई और दो बड़ी बहनें थीं जो शहर से बाहर रहते थे अपने परिवार के साथ।बस अशोक के साथ उनकी मां रहती थी। सुमन की शादी अशोक के साथ पैंतीस साल पहले हुई थी ।
एक अच्छे और भरे पूरे परिवार से थी सुमन । अशोक के घर गृहस्थी में कुछ नहीं था एक दो कमरों के किराए के मकान में रहता था। सुमन के घर से खूब सारा दहेज मिला घर गृहस्थी का पूरा सामान अशोक का तो घर ही भर गया। सुमन भी पढ़ी लिखी सुंदर और घर गृहस्थी के कामों में सुघड़ और समझदार थी।
अशोक की इनकम ज्यादा नहीं थी बस अपना और मां का खर्चा उठा लेता था बस इतना ही हो पाता था । सुमन पढ़ी लिखी थी तो घर की हालत देखकर नौकरी करनी चाही और दिनभर घर में उसका मन भी ऊबता था। लेकिन सास ने ये कहकर नौकरी करने से मना कर दिया कि कल के बाल बच्चे होंगे तो उन्हें कौन संभालेगा ।
सुमन ने अशोक से कई बार कहा कि मुझे नौकरी करने दे मैं हिन्दी साहित्य से पोस्ट ग्रेजुएट हूं मुझे हिन्दी पढ़ाने को किसी भी स्कूल में नौकरी मिल जाएगी। फिर मेरा घर में मन भी ऊबता है करने को कुछ नहीं होता। अशोक ने कहा अच्छा मैं मां से बात करता हूं कल । लेकिन उसी रात को मां को ब्रेन हेमरेज हो गया और शरीर के आधे हिस्से को लकवा मार गया।
सुबह जब मां नहीं उठी रोज की तरह तो अशोक मां के कमरे में गया तो उनकी ये स्थिति देखी। फिर क्या था आनन फानन में अस्पताल में भर्ती कराया गया। थोडा बहुत पैसा अशोक ने जोड़ रखे थे वो सब लगा दिए मां के इलाज में और पैसे भाइयों से मांगे कुछ इधर उधर से उधार ले इलाज कराया गया।
दस दिन बाद डाक्टर ने कहा इनको घर ले जाइये लकवा ग्रस्त हाथ पैरों की मालिश करिए और जो मैं बता रहा हूं उसकी एक्सरसाइज भी कराएं धीरे धीरे आराम मिलेगा।यंग उम्र में जल्दी ठीक हो जाता है ।उम हो जाने पर थोड़ा समय लगता है ।
सुमन का नौकरी करने का ख्वाब मन मेही रह गया अब वो दिन भर सासू मां की देखरेख और सेवा में लगी रहती। ऐसे ही समय बीतता रहा लेकिन सास जी की हालत में कोई खास फर्क नहीं पड़ा ।बस इतना है गया था कि किसी तरह वाकर पकड़कर बाथरूम तक ले जाती थी सुमन ,डर लगता था सुमन को कहीं फिर से न गिर जाए।
इसी बीच सुमन प्रेगनेंट हो गई अब उसे अपना भी ख्याल रखना था,घर का भी और सासूमां का भी।दो साल ऐसे ही बिस्तर पर पड़ी रही सुमन की सास और आखिर कार उनकी मृत्यु हो गई। सुमन को पहले एक बेटी हुई और उसके दो साल बाद एक बेटा हुआ।अब तो सुमन के मन में नौकरी का ख्याल आता ही न था पहले सास के कामों में व्यस्त रही और अब बच्चों के कामों से फुर्सत न मिलती थी।
अब दिन होती कब रात होती पता ही न चलता। कुछ पैसे बचाने के चक्कर में घर का सारा काम खुद ही करती थी सुमन , नौकरों को पैसा देने से अच्छा है कुछ बचत कर ली जाए। इसी तरह मेहनत करती रही बच्चे बड़े होते गए। सुमन को ये देखकर खुशी होती थी कि वो अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे से निभा रही है।और थोड़े बहुत पैसे भी बचा लेती थी।
अब बच्चे बड़े हो गए थे बेटा इंटर में आ गया था और बेटी ग्रेजुएशन कर रही थी । ऐसे ही बेटी एक दिन कालेज में चक्कर खाकर गिर पड़ी घर पर सुमन को खबर दी गई तो सुमन और अशोक उसको लेकर आए और डाक्टर को दिखाया तो पता चला कि बेटी को हाई शुगर है जिसकी वजह से चक्कर आ गए थे इसका पहले कभी पता ही न था ।अब दवा बराबर चलने लगी और बहुत ख्याल भी रखा जाने लगा ।
बेटा अब नौकरी करने लगा था । सुमन सोच रही थी कि बेटी की अब शादी कर दें लेकिन शुगर की बीमारी की वजह से सब जगह से ना हो जाती थी । कहीं भी शादी की बात चलती तो उसकी बीमारी के बारे में बताया जाता जिससे लोग मना कर देते कि आगे पता नहीं बच्चे वगैरह हो पाएंगे कि नहीं।
इसी सब उलझन में थे कि करोना आ गया और वीपी शुगर वाले ज्यादा चपेट में आ रहे थे ऐसा सुनने में आ रही था । सुमन की बेटी को भी करोना हो गया । कोई प्राइवेट डॉक्टरों ने देखने से मना कर दिया तो सरकारी अस्पताल में दिखाया गया वहां भर्ती कर लिया और चार दिन बाद बेटी की मौत हो गई। सुमन और अशोक जी पर तो जैसे पहाड़ टूट पड़ा।
धीरे धीरे किसी तरह संभलते रहे बेटी के ग़म से बाहर निकल पाना आसान नहीं था ,,,,,,।साल भर बाद बेटे सुमित ने मां को बताया कि अपने आफिस के सहकर्मी को मैं पसंद करता हूं और उससे शादी करना चाहता हूं । मां ने बेटे से कहा बेटा ऐसे जल्द बाजी में शादी थोड़े न होती है । लड़की का परिवार कैसा है लोग कैसे हैं कुछ तो पता हो ।
सुमित बोला कौन सा मुझे परिवार के साथ रहना है मुझे तो नेहा के साथ रहना है वो अच्छी है बस । सुमन ने कहा आजकल जमाना खराब है बेटा देखभाल कर शादी ब्याह करना चाहिए । लेकिन बेटा जिद पर अड़ा रहा और आखिरकार सुमन और अशोक जी को शादी करनी पड़ी। शादी के समय एक हफ्ते बेटा बहू रहकर चले गए।जाने के बाद बेटा सुमित तो फोन पर बात करता है लेकिन बहू कभी बात नहीं करती है ।
सुमन सोचती थी बेटी तो चली गई चलो बहू को ही बेटी समझ लूं लेकिन बहू तो सास को घास ही न डालती थी। कभी बात ही न करती थी। सुमन जब कहती बेटा कभी बहू से भी बात कराओ तो सुमित बोला देता वो मम्मी आफिस के कामों में व्यस्त रहती है समय नहीं मिलता बस बहाने बना देता । सुमन सब समझ रही थी इतना ही क्या आफिस के काम सब बात न करने के बहाने है और कुछ नहीं ।
डेढ़ साल बाद नेहा प्रेगनेंट हो गई ये खुशखबरी बेटे ने मम्मी को दी तो सुमन बहुत खुश हुई बोली बेटा नेहा से बात कराओ बधाई तो दे दूं।मां अभी वो बाथरूम में हैं आती है तो बात करता हूं कहकर बेटे ने फोन रख दिया । लेकिन फिर से बात नहीं हुई। सुमन बेटे से हालचाल पूछ लेती थी ।अब डिलीवरी का समय आया तो सुमित ने मां पापा को अपने पास बुला लिया । सुमन ने भी सोचा शायद इसी बहाने कुछ दूरियां कम हो जाएं और चलीं गईं बेटे के पास।
एक हफ्ते के बाद एक बेटी को जन्म दिया नेहा ने । सुमन ने अच्छे से देखभाल की लेकिन नेहा की भौंहें चढ़ी ही रहती थी हर समय सुमन से ढंग से बात ही नहीं करती थी। अस्पताल से घर आए नेहा को एक हफ्ता हो गया था।बेटी पंद्रह दिन की हो रही थी । पोती को देखकर सुमन को अपनी बेटी याद आ जाती उसी की छवि पोती में देखती ।
ऐसे ही एक दिन सुमन ने देखा कि बच्चे को कुछ सर्दी सी हो गई है सुमन हींग का पानी गर्म करके ले आई और बच्चे के छाती और पीठ में लगाने लगी। बेटे ने पूछा इससे ठीक हो जाएगा क्या मां , हां बेटा छोटे बच्चों को ऐसी परेशानी आ जाती है उनके घरेलू नुस्खे से ठीक हो जाते हैं। लेकिन नेहा जिद करने लगी कि डाक्टर को दिखाओ तो शाम को सुमित बच्चे और नेहा को डाक्टर के पास ले गए ।
डाक्टर ने कहा जकड़न है दवा दे दी ठीक हो जाएगा। अच्छा किया आप ले आए डाक्टर के पास नहीं तो बढ़ जाती।अब तो घर आकर नेहा सुमन पर बरस पड़ी आपने तो मेरे बच्चे को मार ही दिया था अगर डाक्टर के पास न ले जाते तो पता नहीं क्या होता ।पर बहू छोटे बच्चे को तो यही घरेलू इलाज दिया जाता है तुम अपने को सर्दी से बचाओ और ये फल वगैरह न खाओ इससे सर्दी बैठती है और बच्चा दूध पीता है तो उसे भी सर्दी होती है।
अच्छा मुझे ज्यादा न सिखाए मैं तो आपको पसंद नहीं करती मैं तो अपनी मम्मी को बुला रही थी ये सुमित ने जबरदस्ती आपको बुला लिया ।अब आप मेरे बच्चे से दूर रहिए उसके नजदीक न आने दूंगी मैं । सुमित अपनी मम्मी को वापस भेजो मैं अपनी मम्मी को बुला रही हूं ।मैं पहले ही मना कर रही थी कि अपनी मम्मी को मत बुलाओ देख लिया तुमने मेरे बच्चे को तो आज ये खा ही जाती ।अब मैं अपने बच्चे की शक्ल भी न देखने दूंगी ।
सुमन और पति अशोक वापस आ गए । सुमन सोचने लगी क्या ईश्वर ने मेरी किस्मत में कोई ख़ुशी नहीं लिखी है ।बस रो रोकर कोसती रहती अपनी किस्मत को ।मन से बस यही बद्दुआ निकलती रहती जाओ तुम कभी खुश नहीं रहोगी । अशोक जी भी बोले सुमित कैसा हो गया है बस पत्नी के कहे में ही चलता है क्या जरा भी ज़ुबान नहीं खुली उसकी । क्या रो रोकर हलकान हो रही हो ऐसी औलाद के लिए । बेटा भी तो नालायक हो गया है ।
सुमन बोली हां आप ठीक कह रहे हैं ।एक समय आयेगा जब बहू भी तरसेगी अपने बच्चे का मुंह देखने के लिए ।उस समय तक तो हम लोग जीवित नहीं बैठे रहेंगे देखने के लिए लेकिन ऊपर से बेठे बेठे उसे इस हालत में देखकर खुश जरूर होंगे । तुमने मुझे जैसे तड़पाया है तुम्हें भी वैसे ही तड़पाएगा ।
दोस्तों की घरों में ऐसा होता है बहूएं अपने बच्चे को दादा दादी से दूर रखते हैं उनके पास नहीं जाने देते । उनके प्यार से वंचित रखते हैं ।ये ग़लत है कोई भी दादा दादी अपने पोते पोतियों का बुरा नहीं चाहते ।वो तो पोते पोतियों में खुद अपने बच्चे का बचपना देखते हैं । ऐसा न करें ये ग़लत है ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश