कभी ननंद कभी भाभी – मुकेश पटेल

सरिता आज बहुत खुश थी क्योंकि उसके एकलौते भाई रमेश की शादी थी बारात में सरिता ने खुब मस्ती  किया।

अगले दिन शादी खत्म हुआ और बरात के विदाई के साथ उसके घर में उसकी भाभी ममता भी आ गई सब बहुत खुश थे घर में मेहमान का आना जाना शुरु हो गया था लोग आकर बहू की मुंह दिखाई रस्म कर रहे थे।

इस चक्कर में बेचारी ममता बहुत थक गई थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें तभी उसकी ननद सरिता आई और उसको अंदर ले गई और बोली भाभी तुम आराम कर लो बहुत थक गई हो हो सकता है कि और भी लोग आ जाएं फिर और भी तो सारी रस्में करनी है

तभी ममता का 3 साल का बेटा आ गया और मामी मामी करते हुए ममता के गोद में बैठ गया तभी ममता ने उसे झटके से हटा दिया और उसे डांटते हुए बोली हटो मुझे ये सब नहीं पसंद।  सरिता को यह सब देख कर बड़ा अजीब सा लगा लेकिन फिर भी सरिता ने सोचा कि शायद भाभी थक गई होंगी इस वजह से टेंशन में ऐसा बोली ।

फिर दो-तीन दिनों बाद ममता के भाई सरिता के भाई और ममता दोनों हनीमून के लिए दार्जिलिंग चले गए।



सरिता अपने मां के पास ही रुक गई थी शादी में बहुत काम होता है माँ भी बहुत थक गई होगी क्योंकि उसकी मां भी बुड्ढी हो गई थी तो काम नहीं कर पाती थी तो सोचा कि चलो मम्मी की काम निपटाकर तब मैं चली जाऊंगी।

माँ अकेले कैसे कर पाएंगी जब भैया और भाभी हनीमून से वापस आएंगे तो मैं चली जाऊंगी उसके बाद भाभी से ढेर सारी बातें करूंगी शादी में तो टाइम ही नहीं मिला भाभी से बात करने का मेहमानों का आना जाना यह सब लगा रहा।  सरिता सोच रही थी’ कि भाभी के आने से उसकी बहन की कमी दूर हो जाएगी और अपनी सारी बातें करेगी जो एक बहन दूसरी बहन से करती हैं।

लेकिन यहां तो उल्टा ही होने वाला था जब 7 दिन बाद उसके भैया भाभी दार्जिलिंग से वापस लौटे तो आते ही ममता बोली अरे सरीता अभी तक तुम गई नहीं अभी तक यहीं हो क्या जीजाजी कैसे अकेले मैनेज करते होंगे।

उनका खाना कौन बनाता होगा आपको चले जाना चाहिए था यह बात सरिता को बहुत बुरी लगी लेकिन उसे अपने चेहरे पर इस भाव को आने नहीं दिया और अपने भाभी के बातों को अपने चेहरे के भावों से छुपा लिया और बोली कि यह मेरा घर नहीं है क्या मैं तो अपनी मां की मदद करने के लिए रुक गई थी।

अब आप आ ही गई हो तो मां की सारी मदद कर देना सरिता बोली कि आपके मायके से कुछ लोग आने वाले हैं तो आप थोड़ा मेकअप कर लीजिए अच्छे दिखेंगे।

इस पर उसकी भाभी ने बड़ी बेरुखी से बात की इसकी कोई जरूरत नहीं क्या मेरे मायके वाले मुझे पहचानेंगे नहीं क्या मैं अगर मेकअप नहीं करूंगी तो मैं जैसी हूं वैसी ही सही हूं।



यह बात सचमुच में सरिता को खल गई और उसे बहुत बुरा लगा और अगले ही दिन सरिता अपने घर चली गई इसके बाद जब भी सरिता अपने मायके आई तो उसकी भाभी ने उसके साथ ऐसा व्यवहार किया कि जैसे लगता है कि कभी सरिता का यह घर था ही नहीं।

जबकि सरिता ने कितने सपने पाल रखे थे उसे लगता था कि भाभी की शक्ल में उसे एक बहन मिल गई है और अपने दिल की सारी बातें शेयर करेंगी लेकिन ऐसा कहां हो पाया उसे तो ऐसा लग रहा था कि पहले से भी और ज्यादा पराई हो गई है।

ऐसा लगता था कि सरिता का इस  घर पर कोई अधिकार ही नहीं है ममता भी बहुत चालाक थी उस सरिता के भाई के सामने तो उसे हमेशा दीदी दीदी करती रहती उसके सामने हमेशा अच्छी बनी रहती।

उसके व्यवहार की वजह से ममता काफी दुखी हो गई थी  और सरिता का भी अपने ससुराल में आना जाना कम हो गया उसकी मां बोलती सरिता पहले तो खूब आती थी कभी-कभी आ भी जाया कर अब तो बिल्कुल ही आना-जाना छोड़ दिया है तो सिर्फ बहाना बनाकर देती थी पहले तो आपका नाती छोटा था अभी स्कूल जाने लगा है तो  स्कूल छोड़ कर कैसे आऊं फिर आपको तो पता है कि अमित को खाना बनाने भी नहीं आता है और उनको कितना खाना बनाने में परेशानी होता है ।

जब छुट्टी पड़ेगा बच्चे की तो मैं जरूर आउंगी धीरे-धीरे समय बीतता गया 6 साल हो गया अब सरिता अपने घर में ही मेहमान बन कर रह गई।

उसी समय सरिता के भाभी ममता कि भाई कि भी  शादी था अब ममता मे वही उत्सुकता थी जो 6 साल पहले सरिता मे थी वो सोचती कि अपने भाई कि शादी मे खूब मस्ती करेगी।



भाई की शादी के लिए ममता अपने मायके पूरे 15 दिन रह कर आई लेकिन मायके से आने के बाद बिल्कुल ही शांत हो गई ममता की सास ने पूछा क्या हुआ बहू तुम इतना उदास क्यों हो कुछ बोलती क्यों नहीं कुछ हुआ था क्या तुम्हारे मायके में।

नहीं माँ जी कुछ भी तो नहीं हुआ अब उसके बाद जब भी ममता अपने मायके जाती तो 1 दिन भी नहीं रुकती बस जाती और आ जाती कुछ सालों पहले सरिता के साथ हो रहा था वही अब ममता के साथ होने लगा।

ऐसे में रक्षाबंधन का त्यौहार नजदीक था तो ममता ने सरिता को फोन लगाया उसने फोन  उठाया तुम सरिता के फोन उठाते ही ममता बोली हेलो दीदी कैसी हैं आप इस बार आप राखी पर जरुर आना क्योंकि पिछले 2 सालों से आप राखी पर नहीं आई हैं आपके छोटे भाई भी आपको बहुत याद कर रहे थे वह बोल रहे थे कि दीदी 2 सालों से पता नहीं क्यों नहीं आई रक्षाबंधन पर पहले हमेशा आ जाती थी।

यह बात सुनकर सरिता मन ही मन मुस्कुराए और बोली आ जाऊंगी आप चिंता मत कीजिए और मन ही मन सरिता बोली कि लगता है कि भाभी भी अब ननंद बन गई हैं अब इनको भी एहसास हो गया है कि ननंद होने का एहसास क्या होता है

तो दोस्तों देखा आपने हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं कभी वही लड़की भाभी होती है कभी वही लड़की ननंद होती है जो ननंद है वह भाभी है जो भाभी है वह ननंद है इसलिए इस कहानी के माध्यम से हम आपसे यह बताना चाहते हैं कि आप अपने ननद  के साथ वैसा ही व्यवहार कीजिए जैसा आप अपने मायके में उम्मीद लगा रखी होती हैं

आपकी वजह से किसी भी लड़की का मायका नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि उस पर उसका भी उतना ही अधिकार होता है जितना कि आपका और अपने ननंद के साथ दोस्तों जैसा व्यवहार करें क्योंकि आप जो करती हैं वही आपको सामने भी मिलता है उम्मीद है यह कहानी आप लोगों को पसंद आई होगी अगर कहानी पसंद आई है तो लाइक कीजिए शेयर कीजिए ताकि हमारा एक छोटा सा प्रयास सोशल संदेश का कारगर हो सके आपस में प्यार रहे खुशियां रहें धन्यवाद।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!