माएका अपना या पराया – मुकेश पटेल

एक बाप अपनी बेटी को किसी परी से कम नहीं समझता है दुनिया के हर संस्कार सिखाता है इस दुनिया में कैसे जीना है हर हुनर सिखाता है।  लेकिन वक्त के साथ बेटी कब बड़ी हो जाती है यह मां-बाप को पता नहीं चलता है

लगता है कि अभी तो ही बेटी को एडमिशन करवाया था अभी कुछ दिन पहले तो उसने बोर्ड एग्जाम पास किया था

इतनी जल्दी वह समझ नहीं पाता है पड़ोसी कहने लग  जाते हैं आपकी बेटी सयानी हो गई है कब करेंगे इसकी शादी।

सही कहा है दोस्तों जब बेटी बड़ी हो जाती है तो मां बाप से पहले पड़ोसियों को पता चल जाता है कि बेटी बड़ी हो गई है,

इसमें मिश्रा जी परेशान हो जाते हैं कि कल को हमारी बिटिया शादी होगी अपने ससुराल चली जाएगी कैसे जी पाऊंगा मैं अपनी बिटिया के बगैर मैं ऑफिस से आता  हूं तो सबसे पहले एक गिलास पानी मेरी बिटिया देती है अब कौन देगा मुझे पानी अगर मैं ऑफिस से आते वक्त उसकी फरमाइश की चीजें नहीं लाता हूं तो बिटिया नाराज हो जाती है अब कौन होगा मुझसे नाराज



इसी सोच में डूबे हुए थे तभी बेटी घर आ गई क्योंकि मिश्रा जी की बेटी बड़ी होकर एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती है और अपने पिता को देखते ही बोलती हैं क्या हो गया पापा क्या सोच रहे हैं बेटी तुम्हारी शादी का ख्याल आ गया तो उनकी बेटी रश्मि बोलती है इससे क्या हो गया पापा मैं आपको छोड़कर कहा जाने वाली हूं आप मेरे लिए ऐसा लड़का ढूंढना जो यही रहे घर जम्हाई बनकर पापा हंस देते हैं यहीं पर रहेगी कहते हैं  बेटी’ को तो एक दिन तो छोड़कर जाना ही होता है

तभी रश्मि की मां आ जाती है और मिश्रा जी रश्मि की मां से बोलते हैं शादी के बाद कैसे रह पाएगी हमारी बिटिया रश्मि की मां बोलती है यह कहने की बात है पर बेटी शादी के बाद अपनी जिम्मेदारी खुद समझ जाती है और वह अपने ससुराल में रहना सीखी जाती है

अब मुझे ही देख लीजिए मैंने क्या अपने मायके में एक भी काम किया था लेकिन यहां के सारे काम करने लगी ना आपके कपड़े धोने से लेकर आपके खाने तक का सारा काम तो कर ही लेती हो सही कह रही हो रश्मि की मां अपनी बेटी के लिए रिश्ता देखना ही चाहिए

कुछ दिन बाद रश्मि की मामा ने एक लड़के के बारे में बताया जो हैदराबाद में एक प्राइवेट कंपनी में मैकेनिकल इंजीनियर था बात चली और रिश्ते की बात पक्का हो गया है घर में शादी का तैयारियां शुरू होने लगी थी

रश्मि भी बहुत खुश थी आज वह बाजार में अपने लिए लहंगा देखने गई थी लेकिन उसे कोई भी लहंगा पसंद ही नहीं आ रहा था तो उसके पिताजी बोले बेटी तू कोई भी लहंगा ले ले तेरे पर तो हर रंग जचता है मेरी गुड़िया मेरी परी तुम जैसे भी लहंगा पहनोगी रंग तुम पर जँचेगा

कुछ देर बाद एक लहंगा पहनकर रश्मि ट्रायल रूम से बाहर निकली और पापा से बोल पापा देखो तो कैसी लग रही हूं अपनी बेटी को लहंगे में दें मिश्रा जी और उनकी पत्नी दोनों के आंखों में आंसू सी आ गए

ऐसा लग रहा है आज ही हमारी बेटी बिदा हो जाएगी

मिश्रा जी बोले बहुत जच रहा है बेटी ले लो लहंगा

लहंगा खरीद के घर आ गए



बारात आने ही वाली थी लेकिन उससे पहले मिश्रा जी अपने पत्नी के साथ अकेले में बातें कर रहे थे कि कल हमारी बेटी हमेशा के लिए हमसे अलग हो जाएगी अब पराई हो जाएगी कैसी रह पाएगी हमारी गुड़िया भगवान से बस इतना ही प्रार्थना है कि मेरे कलेजे के टुकड़े को हमेशा खुश रखना

उसकी आंखों में एक बूंद भी आंसू मत आने देना तभी रश्मि वहां आ जाती है और मम्मी पापा को आंखों में आंसू देख खुद भी रोने लग जाती है और बोलती है पापा मैं आपसे दूर कहां जा रही हूं मैं तो हमेशा आपके सीने में हूं आपके दिल में हूं आपकी परी जब भी आप याद करेंगे आपके सामने मिलेगी

मैं कोशिश करूंगी अजय के ट्रांसफर भी दिल्ली में ही करवा दूं आपसे वीकेंड में तो मिलना हो ही जाएगा मिश्रा जी अपनी बेटी के आंखों को आंसू पोछते हुए बोलते हैं हां मेरी बेटी हम कहां परेशान हैं तू तो मेरी सबसे अच्छी वाली बेटी है

धीरे धीरे बारात दरवाजे पर आकर लग चुकी थी बारात में खूब मस्ती हुई सुबह होते रश्मि की विदाई हो गई

रश्मि कुछ दिनों बाद अपने मायके आती है लेकिन मायके आने के बाद रश्मि कहीं खो गई थी वह अपने ही घर में एक अनजान मेहमान बन कर रह गई थी कहने को तो यह घर अपना सा था लेकिन ना जाने क्यों हर चीज छूने से पहले अपने मां से एक बार जरूर पूछती थी



उसकी मां बोली क्या हो गया रेशमी तुम बिल्कुल ही बदली हो मां रश्मि बोली मां सच ही कहा गया है कि शादी के बाद लड़कियां पराई हो जाती हैं पता नहीं क्यों अब मुझे यह घर अपना सा नहीं लगता है कुछ भी छूने से पहले डर सा लगता है

दोस्तों यह सच है कि चाहे हम कितना भी कर ले शादी के बाद लड़कियां पराई होती जाती हैं

शादी के बाद लड़की अपने ससुराल में जिम्मेदारियों के बोझ के तले इतनी दब जाती है उसे मायके का याद भी नहीं आता और वह पराया लगने लगता है अपने ससुराल ही अपना लगने लगता है चाह के भी अपने मायके को अपना नहीं समझ पाती है यही सच्चाई है और हमें इसे स्वीकार ही करना पड़ेगा

 मुकेश पटेल 

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