घमंड – वीणा सिंह : Short Moral Stories in Hindi

सेठ जी के यहां कन्या ने जन्म लिया है, मां लक्ष्मी भंडार के स्टाफ और आस पड़ोस के दुकानदारों में ये खुशखबरी फैल गई.. शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति सेठ मोहन दास अग्रवाल के घर कन्या रत्न ने जन्म लिया था.. पिता ने गोद में लेते हीं लक्ष्मी नाम का उच्चारण उनके मुंह से अचानक हीं निकल गया.. उसका नाम वही पड़ गया..जथा‌ नाम तथा गुण और रूप. 

लक्ष्मी पूरे ऐश्वर्य आराम में पलने लगी.. सेठ जी कि जान बसती थी बेटी में.. मुंह से निकलते हीं फरमाइश पूरी हो जाती। 

लक्ष्मी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर कॉलेज में चली गई थी.. खूबसूरती भगवान ने दिल खोलकर प्रदान किया था.. दूध में गुलाब का फूल मिलने से जो रंग आता है वैसा रंग मां दुर्गा जैसी खींची हुई बोलती आंखे, हीरे की कनी जैसा सुतवा नाक, लंबे छरहरे बदन पर कमर तक काले लंबे बाल, पतली सुराहीदार ग्रीवा… देखने वाला मंत्र मुग्ध हो जाता.. लक्ष्मी बचपन से हीं अपने पिता से खूबसूरत राजकुमार जैसे लड़के से शादी की बात सुनते हुए बड़ी हुई थी..

उसे अपनी सुंदरता और दौलत का पूरा पूरा अहसास था.. ग्रेजुएशन में पहुंचते पहुंचते आशिकों की कतार लग गई.. पर लक्ष्मी को शुरू से हीं नीरज अग्रवाल बहुत अच्छा लगता था.. हीरो जैसा रूप बड़ी सी गाड़ी से उतरता तो सबकी निगाहें उठ जाती.. लक्ष्मी के पसंद के फ्रेम में नीरज बिल्कुल फिट बैठता था.. सोचा समय आने पर बात करूंगी पिता से.. सेठ जी के दुकान में शुरू से विनायक प्रसाद नाम का कर्मचारी काम करता था,

कभी कभी अपने बेटे विजय को सहायता करने के लिए बुला लेता, विजय पढ़ाई कर एक स्कूल में गणित का शिक्षक था, बेहद नम्र शालिन और शांत स्वभाव का सावला दुबला पतला साधारण रूप रंग का। मगर बहुत ईमानदार लड़का था.. छुट्टी के दिन पिता की सहायता करता.. सेठ जी लक्ष्मी को कहते बेटा कुछ मैथ में दिक्कत हो तो विजय से पूछ लो मगर गर्विनी लक्ष्मी को विजय फूटी आंखों नही सुहाता था..

बड़े बुजुर्ग कहते हैं लक्ष्मी चंचला होती है.. सेठ जी के दुकान में छापा पड़ा, बहुत मिलावटी समान मिला और वजन करने की मशीन का कांटा भी गड़बड़ था.. विजय के पिता ने इल्जाम अपने उपर ले लिया मगर सेठ जी के नाम दुकान होने से उन्हें भी जेल हो गई प्यार आठ साल के लिए.. शहर में चर्चा का बाजार गर्म हो गया.. शोहरत और इज्जत मिट्टी में मिल गई जब टीवी पर हथकड़ी लगाए सेठ जी को पुलिस की गाड़ी में जाते हुए देखा..

जयकारा करने वाले अब चटकारे लेकर सेठ जी के बारे मे बातें कर रहे थे.. लक्ष्मी और उसकी मां पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.

धन और इज्जत दोनो चली गई थी..

चार साल बीत गए सेठ जी को जेल में हीं दिल का दौरा पड़ा इज्जत और बेटी की शादी और धन जाने की चिंता उन्हें दीमक की तरह अंदर ही अंदर चाट गई.. कोई अच्छा परिवार शादी के लिए तैयार नहीं था..

सेठ जी के नमक का हक अदा करते हुए विनायक ने अपने बेटे को सेठ जी की बेटी से शादी के लिए राजी किया.. सादे समारोह में लक्ष्मी और विजय की शादी हो गई.. रस्सी जल गई थी पर ऐंठन नही गया था. लक्ष्मी के अंदर आज भी अपना पुराना तेवर दबा हुआ था..

विपरीत परिस्थितियों में भी उसका घमंड पहले जैसा हीं था..सरल स्वभाव के विजय को पहली हीं रात को दूर रहने और उसके रंग रूप और रहन सहन को लेकर जली कटी सुना दिया लक्ष्मी ने.. बेचारा विजय..

समय गुजरता गया और दूरियां बढ़ती गई.. मुंह लगा कर आम की आंठी चूसता विजय उसे नीरज की याद दिला देता कैसे कांटे चम्मच से सलीके से आम खाता था और उसका मन वितृष्णा से भर जाता.. साधारण शर्ट पैंट और कुर्ते पायजामे में स्कूल जाते विजय को देखती तो जींस और ब्रांडेड टी शर्ट शॉर्ट कुर्ता पहने महंगे डियो और कीमती धूप का चश्मा लगाए नीरज का मुस्कुराता चेहरा सामने आ जाता..

पुराने मोटरसाइकिल से विजय स्कूल जाता तो नीरज की महंगी कार… बरबस लक्ष्मी के सामने आ जाता… घमंडी और नकचढ़ी‌ लक्ष्मी की आंखों में घृणा और तिरस्कार के भाव देख कर भी विजय शांत हीं रहता.. घर में सबके सामने लक्ष्मी की तारीफ करता और हमेशा ढाल बन के खड़ा रहता.. पर लक्ष्मी जाने किस मिट्टी की बनी थी. घमंड उसमे कूट कूट के भरा पड़ा था..

सुबह में लक्ष्मी का बदन बुखार से टूट रहा था सर्दी खांसी भी थी और खुजली भी हो रही थी.. पानी पानी की आवाज कराह के साथ विजय के कानों में पड़ी.. जमीन पर गद्दा डाल के सोए हुए विजय के कानों में आवाज पड़ते हीं हड़बड़ा के उठा, देखा लक्ष्मी को चेचक हो गया है और पूरा शरीर बड़े बड़े घाव से भरा हुआ है..

पूरे पंद्रह दिन स्कूल से छुट्टी लेकर विजय लक्ष्मी की सेवा में दिन रात एक कर दिया.. कभी रूई से नारियल पानी लगाता, नीम के पत्ते उबलता ठंडा कर पूरा शरीर स्पंज करता, बिछावन के चादर तकिए बदल फिनायल से पोंछा लगाता क्योंकि इन्फेक्शन के डर से कोई कमरे में नही जाता था..

माथा सहलाते हुए कहानियां पढ़ के सुनाता.. अपने हाथों से बच्चे जैसा बहला फुसला के खिलाता.. बहुत कमजोर हो गई थी लक्ष्मी! एक महीना लगा ठीक होने में मगर चेचक अपना निशान लक्ष्मी के खूबसूरत चेहरे पर छोड़ गया था.. लक्ष्मी इसे अपने पापों का फल समझ अंदर हीं अंदर पश्चाताप की आग में जल रही थी.. स्कूल के काम से विजय बाहर गया था दो दिन के लिए..

आज विजय को लौटना था.. विजय के पसंद का लिट्टी चोखा खीर और धनिए की चटनी बनाई ..

सीधे पल्ले की साड़ी जो विजय को बहुत पसंद था पीले रंग की जिसे लक्ष्मी देहाती कहती थी पहन के सोलह श्रृंगार कर तैयार हुई.. मां ने हमेशा की तरह विजय को खाना दिया..

विजय कमरे में आया लाइट बंद थी लगा लक्ष्मी सो गई है चुपचाप आके नीचे गद्दे पर सो गया.. अचानक गले में बाहों का घेरा महसूस किया.. और फिर….

अगली सुबह विजय का चेहरा अजीब सी अलौकिक अद्भुत चमक से परिपूर्ण था और लक्ष्मी उसे तो इस जहां का सबसे खूबसूरत प्यार करने वाला पति मिल गया था. जिसे कांच समझती रही वास्तव मे वो कोहिनूर था और वो नीरज कभी खैरियत पूछने भी नही आया.. आज उसे समझ में आ गया था कि सीरत हमेशा सूरत पर भारी पड़ता है…

#घमंड

वीणा सिंह

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