एक बार फिर (भाग 3 ) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :

प्रिया कविता के घर लंच पर जाती है। यहां उसकी मुलाकात उस इंसान से होती है जो उसे रास्ते में मिला था। वह कविता की मौसेरी सास का बेटा शेखर है। वापस लौटते हुए देर होने पर न चाहते हुए भी शेखर उसे छोड़ने आता है। अब आगे-

आगे जाकर शेखर ने गाड़ी रोक दी।

वो चौंक गई।

फिर ड्राइविंग सीट से बाहर निकल कर उसकी साइड का डोर खोल दिया।

महारानी एलिजाबेथ क्या आप बाहर आएंगी???

वो सकपका गई गाड़ी से तुरंत बाहर निकल कर खड़ी हो गई।

मैं आपका ड्राइवर नहीं हूं जो आप पिछली सीट पर बैठेंगी।

आगे बैठिए नहीं तो मैं ड्राइव नहीं करूंगा।

वो ठंडे स्वर में बोली आप पीछे बैठिए मैं ड्राइव करूंगी।

पर अगले ही पल संभल गई सोचने लगी ये तो मर्सिडीज है।

क्या सोच रही हैं??? आप ड्राइव करेंगी??? और आगे जाकर मुझे और मेरी गाड़ी को खाई में गिरा देंगी।

मेरी जान मेरे लिए बहुत कीमती है।

मैडम आपके इरादे बहुत ख़तरनाक हैं वो जोर से हंस दिया।

शाम गहरा रही थी बहस करके वक्त जाया करना ठीक नहीं था।

वो चुपचाप आगे बैठ गई। शेखर के परफ्यूम की महक

उस तक पहुंच रही थी।

इतने में शेखर ने म्यूजिक ऑन कर दिया।

“वो शाम भी अजीब थी ये शाम भी अजीब है वो कल भी पास पास थी आज भी करीब है।” साथ में वो भी गुनगुना रहा था।

पर वह उसकी तरफ ध्यान न देकर बाहर देखने लगी।

इतना हैंडसम गुड लुकिंग बंदा आपकी कार ड्राइव कर रहा है।

और आप अंधेरे में कुछ ढूंढ रही हैं।

अगर मैं गाड़ी यहीं रोक लूं और आपके साथ……

उसने घूम कर उसकी तरफ देखा वो क्षण भर के लिए सिहर उठी।

वाकई में ये तो उसके दिमाग में आया ही नहीं था।

अमीरजादे बिगड़े हुए र‌ईस लोग कुछ भी कर सकते हैं यही थिंकिंग है आपकी

और अगर मैं इसे सच कर दूं तो???

वो फिर हंस दिया। उसकी निर्दोष हंसी देख कर वह आश्वस्त हो गई।

उफ़! इस इंसान के दिमाग में कैमरे लगे हैं।

मैं इतना गिरा हुआ नहीं हूं पर इतनी कीमती चीज सामने हो तो किसी का भी ईमान डोल सकता है।

है न जवाब दीजिए

ऐसी बेतुकी बातों का क्या जवाब दूं मन में सोच रही थी

गाड़ी तो इतनी धीमी चला रहा है कि रात के बारह बजा कर रहेगा।

मुझे कविता का कहना मानना ही नहीं चाहिए था ऐसे दोस्त हों तो दुश्मनों की क्या जरूरत है???

पर वह चुप थी ” बस आज घर पहुंच जाऊं तो फिर कभी किसी के घर नहीं जाऊंगी।”

जानती हैं मैं इतनी धीरे गाड़ी क्यों चला रहा हूं क्योंकि मैं चाहता हूं कि काश! ये सफर कभी खत्म न हो।

इतना खूबसूरत हमसफ़र कभी कभी नसीब होता है।

प्रिया के मन में विचारों का तूफान उमड़ रहा‌ था।

लगता है इसका काम ही यही है लड़कियों को घुमाना और उनका इस्तेमाल करके उन्हें छोड़ देना।

और मुझे शायद सोलह साल की लड़की समझ रहा है।

इसे पता नहीं है कि मैं दुनिया के हर रंग से वाकिफ हूं।

चलिए आपकी मंजिल आ गई और मेरी भी वह उसे देख कर मुस्कराया।

उस ने अपना मोबाइल निकाला टाइम देखा तो रात‌ के आठ बज रहे थे।

मुझे यहीं छोड़ दीजिए मैं यहां पास में ही रहती हूं।

कितनी पास में???

भाभी से आपको घर पहुंचाने का वादा करके आया हूं।

और घर तक पहुंचा कर रहूंगा।

अजीब जबरदस्ती है उसने मन ही मन सोचा वो उसे अपने घर का एड्रेस नहीं बताना चाहती थी।

नहीं मैं चली जाऊंगी वो फटाफट गाड़ी से उतर गई।

घर का एड्रेस बताने से कौन सा मैं आपके साथ लिव-इन में रहने चला आऊंगा।

प्रिया उससे पीछा छुड़ाना चाहती थी इसलिए न थैंक्स कहा न पीछे देखा।

वो तेजी से चल रही थी उसे डर लग रहा था कि कहीं शेखर उसका पीछा न कर रहा हो।

दस मिनट तेज चलने के बाद उसने रुक कर देखा‌ कि उसके पीछे कोई नहीं है। तब उसकी जान में जान आई।

काफी ठंडा हो गया था। घर पहुंच कर लॉक खोलने लगी। अब वो जल्दी से चेंज कर के साथ मुंह धो कर बस बिस्तर पर लेट जाना चाहती थी।

हुंह आज का सफर बहुत थका देने वाला था और ऊपर से ऐसे इंसान का साथ पता नहीं वो कौन सी घड़ी थी जो मैंने उसके साथ आने के लिए हां कर दी।

चलो अच्छा हुआ बला टली।

अचानक तभी पीछे से आवाज आई अच्छा तो यहां रहती हैं आप???

क्रमशः

 

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