“दो कप चाय” –  कविता भड़ाना : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : बैंक के नए मैनेजर “शिवम सहाय” यू तो बेहद सज्जन व्यक्ति है, बेवजह ना तो किसी के काम में दख़ल देते और ना ही किसी से अधिक बात करते, एक सीमित दायरे में रहने वाले नए मैनेजर से स्टाफ ने भी दूरी बना ली और कुछ ने तो उन्हे घमंडी का खिताब भी दे डाला था।

अभी कुछ दिनों से जैसे ही शाम की चाय का समय होता, ऑफिस में सुगबुगाहट होने लगती, सभी की निगाहें मैनेजर के कैबिन में चाय की ट्रे ले जाते हुए ऑफिस बॉय की तरफ उठ जाती, शिवम जी अधिकतर अपने कैबिन में अकेले ही होते थे लेकिन उनकी चाय के समय एक कप चाय नहीं बल्कि दो कप के साथ दो कप चाय जाती थी।

पूरा स्टाफ उनकी पीठ पीछे खूब मज़ाक बनाता और अब तो घमंडी होने के साथ सनकी और पागल बुड्ढा का भी तमगा दे डाला था।

एक दिन सभी अपने – अपने काम में लगे हुए थे की तभी ऑफिस बॉय दो कप चाय के साथ मैनेजर के केबिन में जाते हुए दिखा और जब चाय देकर वापस आया तो सभी मज़ाक उड़ाते हुए बोले..

“क्यों भाई दे आए उस सनकी को दो कप चाय” 

कुछ जरूरी कागजों की जांच पड़ताल करने आई एक लड़की उन लोगों की बातें सुनकर बोली, आप लोग इस तरह क्यों हंस रहे है, दुनियां में बहुत लोग है जो एक साथ दो कप चाय पीते है। 

जी ठीक कहा आपने मैडम, पर हमारे मैनेजर तो कप भी दो मंगाते है, जबकि पीने वाले वो अधिकतर अकेले ही होते है, एक कर्मचारी ने उस लड़की की बात का जवाब दिया और दांत निपोरने लगा।

तभी वह लड़की थोड़ी तेज आवाज में बोली, “होता है” उनके साथ भी कोई चाय पीने वाला”,… अब सभी आश्चर्य से एकसाथ बोले   “कौन”???

   “उनकी स्वर्गवासी पत्नी ” जिसकी पिछले साल एक कार दुर्घटना में मौत हो चुकी है, कुछ देर की चुप्पी के बाद वो लड़की बताती है कि शिवम जी हमेशा अपने काम में व्यस्त रहते थे और जो भी खाली समय मिलता उसे अपने दोस्तों के साथ बिताते, बच्चों के बड़े हो जानें के बाद से इनकी बीवी अकेली सी पड़ गई थी और वो हमेशा शिवम जी से अपने लिए कुछ समय साथ बिताने के लिए कहती, उन्हे चाय पीने का भी बहुत शौक था पर बेचारी, पति की “उपेक्षा” के कारण कभी अपनी इच्छा ज़ाहिर ही ना कर सकी की और कुछ नही तो कम से कम सुबह शाम की चाय ही मेरे साथ पी लिया करो।

   और अब,  जब वो अपनी सारी ख्वाहिशों और सपनों के साथ जा चुकी है, तब से ये पचपन साल का आदमी अकेलेपन और ग्लानि से भरा हुआ, रोज दो कप रखकर, दो कपो में चाय, अपनी बीवी को याद करते हुए पीता है, 

   जीते जी जिसकी सदा उपेक्षा की आज उसके चले जाने के बाद जीवनसाथी की अहमियत समझ आई है।

 पर आपको ये सब कैसे पता किसी ने उस लड़की से पूछा तो उसने जवाब दिया, 

 “क्योंकि मैं आपके बैंक मैनेजर की बेटी हूं”… और सबको निशब्द छोड़कर अपने पिता के केबिन में चली गई।

 स्वरचित, मौलिक रचना

 #उपेक्षा

 कविता भड़ाना

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