ब्राह्मण की भक्ति

 वृंदावन में एक गरीब ब्राह्मण रहता था.  वाह बांके बिहारी से असीम प्यार करता था.  बांके बिहारी बिहारी का इतना दीवाना था कि सुबह शाम जब तक वह मंदिर ना जाए उसे किसी भी काम में मन नहीं लगता था.  मंदिर में जब भी भंडारा होता वह प्रमुख रूप से भाग लेता.

एक दिन ब्राह्मण की बेटी की शादी तय हो गई और  जिस दिन ब्राह्मण की बेटी की शादी तय हुई उसी दिन ब्राह्मण का बांके बिहारी के मंदिर में भी ड्यूटी लग गई ब्राह्मण परेशान हो गया कि वह करें तो क्या करें बेटी की शादी भी जरूरी है और बांके बिहारी की आज्ञा भी ठुकरा नहीं सकता।  ब्राम्हण ने सोचा कि अगर यह बात वह अपनी पत्नी से बताएगा तो उसकी पत्नी नाराज हो जाएगी वह कहेगी कि कोई क्या अपनी बेटी की शादी भी छोड़ता है। 1 दिन अगर तुम भंडारे में नहीं जाओगे तो भंडारा रुक नहीं जाएगा कोई और संभाल लेगा लेकिन बेटी की शादी दोबारा तो नहीं होगी।

ब्राह्मण परेशान हो गया था वह जानता था कि कुछ भी हो जाएगा उसकी पत्नी उसे भंडारे में जाने नहीं देगी।  लेकिन उसका मन नहीं मान रहा था वह अपने बांके बिहारी से नजरे नहीं चुरा सकता था तो उसने अपनी बेटी की शादी के दिन ही अपने घर में बिना बताए चुपचाप समय से पहले ही मंदिर पहुंच चुका था।



मंदिर में जाकर प्यार से सब को भंडारा खिलाया और शाम होते ही जल्दी से घर वापस पहुंचा क्योंकि बेटी की शादी में भी पहुंचना था लेकिन  ब्राह्मण को पहुंचते-पहुंचते देर हो चुकी थी और बिटिया की शादी हो कर बिटिया की विदाई भी हो चुकी थी।

वह घर पहुंचा तो उसकी पत्नी उसे बोली आओ चाय पी लो बहुत थक चुके होंगे।   सोचने लगा कि घर वाले कोई भी उसे डांट नहीं रहे हैं और ना ही परिवार के कोई भी सदस्य उससे कोई सवाल कर रहा है कि वह शादी में नहीं था फिर भी पत्नी सही से उसे प्यार से बात कर रही थी।

ब्राह्मण ने भी सोचा छोड़ो क्या गड़े मुर्दे उखाड़ना है जो हो गया सो हो गया सब प्रभु की इच्छा है पत्नी अगर प्यार से बात कर रही है इससे अच्छी बात क्या है।

कुछ दिनों के बाद बेटी की शादी में जो फोटोग्राफी हुई थी फोटोग्राफर शादी का एल्बम घर पर दे गया।  ब्राह्मण सोचा इस शादी में तो शरीक हुआ नहीं था चलो एल्बम देख लेता हूं बेटी की शादी कैसी हुई थी। मगर यह क्या वह तो देख रहा है इस शादी में हर जगह उसकी भी तस्वीर है।  ब्राम्हण फूट-फूट कर रोने लगा और बांके बिहारी के मन ही मन याद करने लगा और कहने लगा प्रभु तेरी यह कैसी कृपा है।

अगले दिन बांके बिहारी के मंदिर गया और मंदिर में जाकर खूब रोया और बांके बिहारी से कहने लगा चाहे कुछ भी हो जाए अब मैं तुम्हारा नियमित सेवा करता रहूंगा।  मैं मान गया कि जो भगवान में भक्ति करता है भगवान उसे कभी भी अकेला नहीं छोड़ते हैं बल्कि हर जगह बांके बिहारी खड़े हो जाते हैं।

इसीलिए मित्रों हमें भी चाहिए कि हम भी ऐसा ही दृढ़ प्यार और भरोसा अपने भगवान और गुरु पर रखें भगवान हमें कभी भी गलत नहीं करने देते।

जय श्री राधे

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!