बेटी का आक्रोश – शिप्पी नारंग

मैं यानी निधि अंतिम बॉक्स ट्रक में लोड करवाने के लिए लेबर को आदेश दे ही रही थी कि छोटी बहन विधि ने आकर कहा जी “दीदी बाहर कोई बुजुर्ग अंकल आए हैं और मम्मा को पूछ रहे हैं। मैंने झूठ कह दिया कि मम्मा घर पर नहीं हैं, इतनी मुश्किल से तो वो सो पाई हैं तो बोले आपसे मिलना है।” मैंने पूछा तो विधि ने कंधे उचका दिए और फिर बोली ” पता नही दीदी दो लोग तो गाड़ी में बैठे हैं और अंकल गेट पर खड़े हैं।” मैंने लेबर को बॉक्स उठाने का इशारा किया और बाहर की तरफ बढ़ी। 

बुजुर्ग व्यक्ति को हाथ जोड़कर नमस्ते की और हाथ से इशारा किया कि दो मिनट में आती हूं। उन्होंने सिर हिलाकर हामी भर दी। बॉक्स को ट्रक में लोड करवा कर मैंने ट्रक को जाने का इशारा किया और मैं गेट पर आई और फिर बोली “सॉरी अंकल आपको इंतजार करना पड़ा बस यही लास्ट बॉक्स था सोचा था यह काम खत्म कर लो तो फिर आप से मिलती हूं पर मैंने आपको पहचाना नहीं।“ 

 “हां तुम मुझे कैसे पहचानोगी ? मैं तुम्हारे पापा का मामा हूं जब तुम 6-7 साल की रही होगी  तब देखा होगा।”  यह सुनते ही मेरा चेहरा तन गया।  “कहिए क्या कहना है?”  अब मेरी आवाज में तल्खी आ चुकी थे । “आज 20 वर्ष बाद कैसे हमारी याद आ गई ” “तुम्हारी मां….”  मैंने बात काटते हुए कहा- “मम्मा 1 हफ्ते के लिए कहीं गई हुई है आप मुझे बताएं क्या बात है और अभी तो क्या बाद में भी मम्मा नहीं मिलेंगी।  कहिए क्या कहना है?” 2 मिनट का मौन रहा फिर कहा कहीं बैठकर बात कर सकते हैं क्या और प्यास भी लग रही है।“




  मैंने बरामदे में पड़ी 2 कुर्सियों की तरफ इशारा कर दिया और कहा आइए और विधि को पानी लाने का आदेश दिया बुजुर्ग व्यक्ति बैठ गए 2 मिनिट के बाद विधि एक ट्रे में पानी ले आई उन्होंने पानी पिया गिलास विधि को थमा दिया फिर मेरी तरफ देखकर बोले “गाड़ी में तुम्हारे पिता और बुआ बैठे हैं अपना तो मैंने तुम्हें बता दिया है मैं शेखर का मामा बृजकिशोर हूं तुम्हारे पापा…..”  मैंने उनकी बात को बीच में रोका और कहा – “उन्हें मेरे पापा कह कर संबोधित करने की जरूरत नही है आप उन्हे नाम से ही बुलाएं ।”

 “क्यों नाम लेने से उनका  तुम्हारे साथ बाप बेटी का रिश्ता खत्म हो जाएगा क्या ?” अंकल ने आवाज में मिठास घोल कर पूछा । “कौन सा रिश्ता,  कैसा बाप और कैसी  बेटी ?  उन्हें आज से पहले याद नहीं था क्या यह रिश्ता  और आप लोग तब कहां थे जब मम्मा को 7 साल की निधि और 2 साल की विधि के साथ उन्होंने और उनके घर वालों ने घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया क्योंकि मेरी मम्मा उन्हें पुत्र नहीं दे पाई थी । 

क्या-क्या अत्याचार उन्होंने नहीं किए मेरी मम्मा पर । घर का सारा काम करते थे।  नौकरानी तक नहीं रखने देते थे। हमारा खाना हमारे कमरे में उनकी बहन दरवाजे से सरका कर देती थी जिसमें सिर्फ तीन रोटी होती थी कभी सब्जी होती थी कभी नहीं मेरी छोटी बहन फल के लिए रोती थी जो उनका भांजा उनके सामने चिढ़ा चिढ़ा कर खाता था । चलो घर का काम करना कोई बुरी बात नहीं पर उन्हीं की दोनों बहने वही रहती थी उन्हें एक एक कमरा दिया था और हमें स्टोर में रहना पड़ता था तब आप कहां थे ?  




मेरा चेहरा गुस्से से लाल हो चुका था । अंकल मेरा चेहरा देखते रहे फिर बोले – “देखो जो हो गया उसे बदला तो नहीं जा सकता हैं तो वो अभी भी  तुम्हारे पिता ।”  “हमारा कोई पिता नहीं मम्मा को घर से निकालने के बाद भी उन्हें चैन नहीं आया । कोर्ट में केस कर दिया हमारी कस्टडी के लिए । अर्जी भी दाखिल करवा दी । मम्मा के पीछे  जासूस लगा दिए,  फोन भी टेप कर लिया । क्या क्या नहीं किया उन्होंने ? वह तो  नाना नानी का हाथ था हमारे सिर पर थी तो हम जी गए।

   15 दिन में एक बार मिलने की इजाजत दी थी कोर्ट ने लेकिन हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर हमें ले जाते थे और घर में हमें फिर उन्हीं के हवाले कर देते थे खुद घर से गायब हो जाते थे हमें वहां कैसे रखा जाता है यह क्या उन्हें नहीं पता था पर जब घर हमें वापस आना होता था तो आधी गाड़ी खिलौनों से भरी होती थी । हर दूसरे दिन हमारे घर पर कोई ना कोई गिफ्ट आता था । तब हम दोनों बहने छोटी थी मम्मा की सख्ती हमें बुरी लगती थी क्योंकि वह हमेशा पढ़ाई के लिए सख्त होती थी पर उन्हें हमारी पढ़ाई से कोई मतलब ना था। जबरदस्ती हमारी छुट्टी करवा देते थे । दुनियाभर के लालच देते थे सिर्फ मम्मा को तड़पाने के लिए । आपको पता है मम्मा ने तीन बार काम करने की कोशिश की लेकिन वहां भी अड़ंगा डाल दिया । वह तो नाना नानी की पेंशन आती थी और एक घर का किराया आता था तो हमारा गुजारा हो जाता था तंग आकर नाना ने भी यही कहा तुम यहीं रहो जब तक हम हैं तुम्हारे बच्चों को भूखा नहीं रहने देंगे । 

हर तारीख में मम्मा जाती थी बूढ़े नाना को लेकर लेकिन क्या होता था अगली तारीख मिल जाती थी । विधि तो छोटी थी उसे बस चॉकलेट खिलौने मिल जाते थे उसी में खुश हो जाती थी मैं भी पहले ऐसी थी मम्मा कितना समझाती थी कि तुम्हारा भविष्य खराब हो रहा है पढ़ाई काम आएगी पर बाल बुद्धि में तब यह बातें नहीं बैठती थी लेकिन धीरे-धीरे समझ में आने लगा तो मैं खुद ही मना करने लगीं और उन्होंने क्या कहा था तलाक तो मैं तुम्हें दूंगा नहीं और चैन से भी नहीं रहने दूंगा । क्यों… क्या हम दुश्मन थे ?

  करोड़ों की प्रॉपर्टी थी उनकी लेकिन हमारी मां को उस घर में एक कप चाय भी अपनी मर्जी से पीने की इजाजत नहीं थी जब उनकी मां बीमार हुई तो बहला-फुसलाकर मम्मा को ले गए। मम्मा भी चली गईं कि चलो कोई नहीं अब समझ आ गया,  पर क्या हुआ 4 महीने तक मां ने दिल से सेवा की उनकी गंदगी भी उठाई  बहनें भी उनकी वहीं रहती थी पर  अपनी मां के पास बैठकर आदेश रहती थी और मां सब  खुशी-खुशी करती थी पर क्या हुआ? मैं ये सब सुनी सुनाई बातों के आधार पर नहीं कह रही हूं मैंने अपनी आंखों से देखा था तो इसलिए मिस्टर बृजकिशोर समझ लीजिए कि हमारा उनसे कोई रिश्ता नहीं है ।

 पर आपने बताया नहीं कि आज अचानक आप सब को हमारी याद कैसे आ गई ?  अचानक ऐसा क्या हो गया कि आप को इस दरवाजे पर आना पड़ा ?  अंकल थोड़ी देर चुप रहे फिर बोले  “बेटा मैं सब समझता हूं तुम्हारी सभी बातें भी सही है पर वक्त सब कुछ करा देता है हालात बदल जाते हैं इंसान भी मजबूर हो जाता है । तुम्हारी दादी सॉरी शेखर की मां अब नहीं रही। शेखर को भी 4 स्टंट डल चुके हैं उसकी बहन नमिता के पति भी गुजर चुके हैं इसलिए शेखर व उसकी बहन की इच्छा है कि सब कुछ भुला कर नई जिंदगी की शुरुआत की जाए तो वह आज माफी मांगने आए हैं,  मालती तो मिली नहीं ।




 कोई नहीं हम दोबारा आ जाएंगे ।” “क्यों आज क्या नौकरों की कमी हो गई है या करोड़ों की प्रॉपर्टी में कमी आ गई जो उन्हें मुफ्त की नौकरानी की जरूरत पड़ गई है । अच्छा हुआ आज मम्मा घर पर नहीं है ।  एक बात आप ध्यान से सुन ले मैं अगले हफ्ते न्यूजीलैंड जा रही हूं मम्मा और विधि अभी यहीं पर हैं मैं उन्हें वहां बुला लूंगी थोड़ा समय जरूर लगेगा और मैं आपको यह भी नहीं बताने वाली हूं कि मम्मा कहां रहेंगी क्योंकि नानी नाना तो अब हैं नही और मैं मम्मा और विधि का पूरा इंतजाम करके जा रही हूं हम भी आज चले जाएंगे ।

 आपने अभी जो ट्रक देखा जिसमें सामान लोड हो रहा था, ऐसा एक ट्रक पहले ही भिजवा चुकी हूं किसी एनजीओ को दे दिया है । अब आप कोई दूसरा आसरा ढूंढिए जहां उनकी सेवा हो सके ना हो तो बता दीजिए मैं इतना इंतजाम तो कर ही दूंगी कि उन्हें दो वक्त की रोटी मिल जाएगी कर्ज जो उतारना है ना बचपन के खिलौने और चॉकलेटों का ।”   इतना कहकर मैं घर के अंदर चली गई और सामने मम्मा खड़ी थी मैं दौड़ कर उनके गले लग गई और मम्मा ने मुझे और विधि  को अपने आंचल में समेट लिया।

#आक्रोश

शिप्पी नारंग

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