एक बार फिर (भाग 28) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

शेखर का दोस्त समर जर्मनी से वापस लौटता है वो शेखर से उसके पुराने रिश्ते के बारे में बात करता है। साथ ही जानना चाहता है कि वो प्रिया से सचमुच प्यार करता है या नहीं। प्रिया घरवालों के सामने शेखर द्वारा कोर्ट मैरिज करने की बात से बहुत नाराज होती है। शेखर उसकी नाराजगी दूर करना चाहता है।

अब आगे-

शेखर ने उसे बाहों में जकड़ रखा था। वो इतनी करीब थी कि शेखर की सांसों का उतार चढ़ाव उसे अपने अंदर चलता हुआ लग रहा था।

क्यों तुम मेरे सब्र का इम्तिहान ले रही हो। क्या तुम्हें अच्छा लगता है कि मैं हर वक्त तुम्हारा इंतजार करता रहूं???

मेरी तरफ देखो सॉरी कह रहा हूं न

वो चुपचाप थी उसने कुछ भी रियेक्ट नहीं किया।

अजीब आदत है तुम्हारी गुस्सा करो, मुझे डांटो कुछ तो कहो।

उसने उसका कोई विरोध नहीं किया।

देखो! मैं मानता हूं मैंने गलती की है।

मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। तुमसे बिना पूछे कोर्ट मैरिज की बात नहीं कहनी चाहिए थी।

आप कभी मुझे कुछ पूछते हैं??? सिर्फ मनमानी करते हैं।

जो सजा देना चाहो मुझे मंजूर है।

मैंने तो सुबह ही कह दिया था कि तुम्हें इस बारे में कुछ भी पता नहीं है।

घर में सब समझ रहे होंगे कि मुझसे शादी की डेट तक का इंतजार नहीं हो रहा है।

और मैं आपको ये सब कह रही हूं। शेखर सब मुझे सेल्फिश और गोल्ड डिगर समझ रहे होंगे।

सॉरी माफ कर दो अब तुमसे पूछे कुछ नहीं करूंगा।

दादी कितनी नाराज हो ग‌ईं थीं। मुझे उनका सामना करने में भी शर्म आ रही थी।

किस बात की शर्म??? प्रिया ने अपनी पीठ से धीरे से उसके हाथ हटाने चाहे पर उसने और जोर से उसे पकड़ लिया।

नहीं कर पाओगी वो मुस्कराया।

तुम्हारे करीब आने का लाइसेंस पाने के लिए ही मैंने कोर्ट मैरिज की बात की थी।

हां, तो जब लाइसेंस मिल जाएगा तब देखेंगे। प्रिया ने उसके बाजुओं को छूते हुए कहा।

मैं इलीगल काम भी कर लेता हूं। शेखर की आंखों में शरारत थी।

कितनों के साथ किया है आपने ये इलीगल काम।

गिनती नहीं है।

शेखर ने उसकी गर्दन पर झुकते हुए कहा। उसके होंठों के स्पर्श से वह सिहर उठी।

शेखर, प्लीज ऐसा मत कीजिए।

हुंह नहीं छोड़ सकता मुझे तुम्हारी जरूरत है।

मैं अपनी मोहब्बत को मुक्कमल करना चाहता हूं।

तो आपकी मोहब्बत सिर्फ जिस्म से है प्रिया ने धीरे से कहा।

ये भी इश्क का एक हिस्सा है शेखर ने धीमी आवाज में कहा।

आप और आपके इश्क की डेफिनेशन तो मैं नहीं समझ सकती।

काश! कि तुम समझ सकतीं।

शेखर ऐसा इश्क आग की तरह होता है जितनी तेजी से जलता है उतनी तेजी से बुझ जाता है और फिर सब खत्म‌

केवल राख ही राख होती है।

मुझे लगता है आपका इश्क जिस्म की हद तक पहुंच कर बुझ जाएगा खत्म हो जाएगा।

शेखर ने अपनी बाहों को खोल दिया।

तुम ऐसा सोचती हो।

हां उसने अपना दुपट्टा सही करते हुए अपने बालों को खोलते हुए क्लिफ दांतों में पकड़ लिया।

शेखर की नजरें उस पर ही टिकी हुई थी।

वो मिरर में देखते हुए अपने बालों को सैट करने लगी।

शेखर ने नजरें फेर ली।

क्या हुआ??? अभी तो इश्क संभाले नहीं संभल रहा था। वो हौले से मुस्कराई।

इससे पहले कि मैं कोई गुस्ताखी कर दूं संभलना ठीक रहेगा।

तुम्हारा क्या भरोसा रोते हुए दादी को बता कर मुझे घर से निकलवा दोगी।

मैं बिल्कुल ऐसा ही करूंगी।

दोनों रूम से बाहर निकल गए।

मेरा बेस्ट फ्रैंड समर तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहा था।

कह रहा था कि तुम परफेक्ट हो।

मुझे भी वो अच्छा लगा बहुत हैंडसम और स्मार्ट है उसने जानबूझकर कर कहा।

इतना भी नहीं है शेखर ने उसकी तरफ देखते हुए कहा।

मुझे तो नेचर में भी अच्छा लगा।

अच्छा! तुम उसकी सारी खूबियां एक साथ गिनवा दो।

शेखर की कुढ़न उसे साफ महसूस हो रही थी।

लगता है कोई जल रहा है प्रिया मुस्कराई।

नहीं तो मैं क्यों जलूंगा।

एक बात कहूं आपसे प्रिया ने उसकी तरफ देखा।

मेरे लिए अब आप ही सब कुछ हैं आपको मैं किसी और के साथ कम्पेयर कर ही नहीं सकती।

शेखर रूक कर उसे देखने लगा।

ऐसा क्यों??

मैं ऐसी ही सोच रखती हूं। मेरा जो भी है वो ही सबसे बेस्ट है।

हमें इसी सोच के साथ जीना चाहिए।

मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं डिनर के बाद कुछ देर टैरेस पर चलेंगे।

मैं आपके साथ नहीं जाऊंगी।

क्यों??

आप बहुत परेशान करते हैं।

तुम्हारी कसम नहीं करूंगा। डिनर के वक्त सब ख़ामोश थे।

शेखर ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा।

पापा! मुझ पर अटैक विक्रांत खन्ना ने करवाया था।

अच्छा! इसलिए तुम उनके घर गए थे। उनकी आवाज में व्यंग था।

सिक्योरिटी को ताक पर रख कर गाड़ी बदल कर मैं तुमसे और क्या उम्मीद कर सकता हूं।

तुम्हें कुछ कहने का मतलब अपनी इंसल्ट करना है। पता नहीं तुम कब समझोगे उन्होंने गहरी सांस ली।

पापा! सॉरी

शेखर! तुम ये शब्द हर बार कहते हो। इसका मीनिंग तुम्हें पता है???

अब बस भी करें, मेरा बच्चा पहले से बहुत परेशान है। मम्मी ने उसकी तरफ प्यार से देखते हुए कहा।

मम्मी, सॉरी मुझे बीच में नहीं बोलना चाहिए पर पापा सही कह रहे हैं।

प्रिया ने धीरे से कहा जो लोग हमला करवा सकते हैं वो कुछ भी कर सकते हैं।

शेखर उसकी तरफ देख रहा था। उसकी मुख मुद्रा से पता चल रहा था कि मानो वह कह रहा हो कि तुम तो यही चाहती हो कि मुझे और डांट पडे।

डिनर खत्म करके प्रिया दादी के पास चली गई।

क्योंकि उसे लग रहा था कि अब शेखर उसे सुनाएगा। उसे दादी और मम्मी के सपोर्ट की आदत है। विपक्ष वो बर्दाश्त नहीं करेगा।

दादी उसे कहने लगी प्रिया! तुम हमारे खानदान के इकलौती बहू हो। बेटा तुम्हें इस घर के रीति-रिवाज अच्छे से सीखने होंगें। आगे जाकर इस खानदान की विरासत तुम्हें ही संभालनी है। मुझे उम्मीद है कि तुम कभी शिकायत का मौका नहीं दोगी।

जी दादी आप और मम्मी मुझे जो कुछ सिखाएंगे मैं सीखने की कोशिश करूंगी।

वैसे मुझे अच्छा लगा जो तुमने आज डाइनिंग टेबल पर अपने ससुर को सपोर्ट किया। दादी हंसते हुए बोली।

शेखर को हमारी तरफ से बहुत प्यार मिलता है इसलिए वह समझता नहीं है।

उन लोगों से मिलने जुलने के लिए तुम इसे मना करो।

जी दादी !

बेटा तुम भी जा कर आराम करो।

जैसे ही वह बाहर निकली शेखर बाहर ही खड़ा था।

मिल गई तसल्ली दादी के कान भर कर

वो जल्दी जल्दी चलने लगी।

तुम मुझसे कहीं नहीं भाग सकती मुझे तुम्हें कुछ बताना है।

सुबह बताइएगा, इस समय मैं थक गई हूं।

नहीं सुबह मैं बहुत बिजी हो जाता हूं।

बताइए वो रूक गई।

यहां नहीं चलो टैरेस पर चलते हैं।

देखिए! मैं पहले भी कह चुकी हूं कि अगर आप मुझे छुएंगे तो मैं तुरंत नीचे चली आऊंगी।

क्यों???? मेरे छूने से तुम्हें करंट लग जाता है।

ठीक है ऐसी उटपटांग बातें सुनकर मैं नहीं जाऊंगी।

अच्छा बहुत जरूरी बात है।

वो उसके साथ टैरेस पर चली गई।

कहें शेखर!

पहले प्रॉमिस करो तुम ओवर रियेक्ट नहीं करोगी।

वो ध्यान से उसे देखने लगी।

रिनी खन्ना और मेरे बीच अफेयर था ये तुम्हें पता है।

लेकिन एक बार उसके और मेरे बीच.हमने लिमिट….. वो कहते हुए रूक गया।

प्रिया को लगा जैसे उसकी सांस थम जाएगी।

शायद ये सब उसने प्लान किया था। उससे संबंधित उसके पास कुछ है जिसे वह तुम्हें दिखाना चाहती है। शेखर एक सांस में सब कुछ कह गया।

वो प्रिया के रियेक्सन को देख रहा था वो खामोश खड़ी थी।

उसने मुझे धमकी दी है कि वो ये शादी हर हाल में रोक कर रहेगी।

प्रिया! उसकी वजह से मैं तुम्हें नहीं खो सकता। इसलिए मैंने कोर्ट मैरिज के लिए कहा था।

कुछ तो कहो।

प्रिया खुद को संभाल नहीं सकी वह चेयर पर धम्म से बैठ गई।

वो इस शादी को रोकना चाहती है और आप ये शादी करके उसे हराना चाहते हैं।

शेखर! इस सबके बीच मैं कहां हूं???

लगता है कि सब झूठ है जो सपने मैंने देखे थे वो सब झूठे थे शेखर!

मैंने तो सच्चे दिल से आपको चाहा था वो जोर से रो पड़ी।

आप जैसे बड़े लोगों में लड़कियों को यूज करके छोड़ देना चलता है।

पर मैं तो एक सामान्य लड़की हूं आप रिनी को हराकर मुझे अपनी जिंदगी से बाहर फेंक देंगे।

इसलिए ही आपने मुझे चुना है।

वो काफी देर तक सिसक सिसक कर रोती रही। उसने अपने आंसू पोंछे और उठ खड़ी हुई।

मैं एक नफरत की जंग में अपनी जिंदगी को नहीं झोंक सकती।

कल मैं दी के घर चली जाऊंगी।

“दिस इज नॉट फेयर” मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं। रिनी से उतनी ही नफरत।

उसने उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमाया।

कल मैं जा रही हूं।

इस रिश्ते का तो पता नहीं पर मुझे अपनी जिंदगी फिर समेटनी है।

वो उसे वहीं छोड़कर नीचे उतर गई।

शेखर चुपचाप खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा।

पूरी रात उसकी आंखों में नींद नहीं थी न उसके अंदर इतना साहस था कि प्रिया से कुछ कह सके।

सुबह ब्रेकफास्ट पर शेखर पहले से मौजूद था। वो बार बार स्टेयर्स की तरफ देख रहा था।

प्रिया कहां है??? दादी ने उसे देखते हुए कहा।

प्रिया सामने की तरफ से आ रही थी।

अरे बेटा! कहां थी तुम??? आज देर कर दी।

दादी मंदिर में जोत जला रही थी।

और तुम तुमने ऐसी क्या शक्ल बना रखी है??? उन्होंने शेखर की तरफ देखते हुए कहा।

उसने कोई जवाब नहीं दिया।

वो बीच-बीच में प्रिया की तरफ देख रहा था। उसकी चेहरे की उदासी उसे बेचैन कर रही थी।

जिसे केवल वह महसूस कर रहा था। भले ही प्रिया के चेहरे पर झूठी हंसी बिखरी हुई थी।

प्रिया ने एक बार भी शेखर की तरफ नहीं देखा।

पापा! मैं सोच रही हूं कि आज दी के घर चली जाऊं???

शेखर के हाथ रूक ग‌ए उसने कुछ नहीं कहा।

ठीक है बेटा!

शेखर तुम प्रिया को छोड़ने जाओगे कि तुम्हारी मम्मी छोड़ कर आएगी।

इससे पहले कि वो कुछ कहता कि प्रिया ने कहा, पापा इन्हें बहुत जरूरी काम है मम्मी मुझे छोड़ देंगी।

मम्मी आप मुझे छोड़ दीजिए। सोच रही हूं कि ऑफिस भी हो आऊं काफी दिनों से से ग‌ई नहीं हूं।

अभी चलोगी???

जी मम्मी, मैं तैयारी करती हूं। वो उठ कर रूम में चली गई।

शेखर भी उसके पीछे पीछे ऊपर चला आया।

उसने जैसे ही रूम में एंटर किया शेखर भी उसके पीछे अंदर दाखिल हो गया।

उसने उसका हाथ पकड़ा और उसे बहुत तेजी से अपनी तरफ खींचा।

तुम ऐसा नहीं कर सकती??? मैं तुम्हारे बगैर मर जाऊंगा।

प्रिया की आंखें आंसुओं से भर गईं।

उसने कुछ नहीं कहा।

मैं आज वो करूंगा जो तुमने कभी सोचा भी नहीं होगा।

क्या करेंगे आप???

प्रिया ने अपना हाथ छुड़ाया और अपना दुपट्टा एक तरफ फेंक दिया।

लीजिए जो करना है कर लीजिए।

यही आपने बाद में भी करना था तो आज क्यों नहीं???

इस्तेमाल करो और छोड़ दो यही सोचा था आपने

आपने मुझे जो दर्द दिया है उसके आगे तो ये कुछ भी नहीं है।

लेकिन मैं आपके बदले का हिस्सा नहीं बनूंगी।

मैं इतनी अहसास फरामोश नहीं हूं कि इतनी प्यारी फैमिली को हर्ट करूं।

बेवजह तमाशा करूं आप अपने हिसाब से शादी के लिए मना कर दीजियेगा।

हां, अगर आप शरीर की ख्वाइश रखते हैं तो आज मैं आपको नहीं रोकूंगी।

उसने डोर बंद किया और उसके आगे आ कर खड़ी हो गई।

लीजिए मैं तैयार हूं।

क्रमशः

©® रचना कंडवाल

एक बार फिर (भाग 29)

एक बार फिर (भाग -27 )

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