एक बार फिर (भाग 19) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

शेखर की मां अस्पताल से प्रिया को अपने घर ले आती है।
अब आगे-
प्रिया के मन में अजीब सी कशमकश चल रही थी। उसकी नजरें शेखर को ढूंढ रही थी पर उसे वो कहीं नजर नहीं आया।
संकोचवश वो पूछ नहीं पाई।
आओ बेटा तुम्हारे लिए रूम तैयार करवा दिया है।
वो उनके पीछे चल दी। विशालकाय मेंशन में मार्बल की सर्पीली सीढ़ीयां चढ़ते हुए वह उसे फर्स्ट फ्लोर के तीसरे बेडरूम में उसे ले ग‌ईं।
ये तुम्हारे लिए तैयार करवाया है। रूम खुलते ही प्रिया देखती ही रह गई वर्सेल्स स्टाइल में सजा हुआ बेडरूम दीवारों पर ग्रे और गोल्ड शेड, फर्नीचर में भी गोल्ड एंड व्हाइट का मिश्रण जो शानदार क्लासी लुक दे रहा था। साईड में एंटीक गोल मिरर ड्रेसिंग, लाइट ग्रे कलर के पर्दे जिस पर छोटी छोटी गोल्ड लीफ बनी हुई थीं। सामने दीवार पर खूबसूरत पेंटिंग दो एंटीक सिंगल सोफा चेयर टेबल के साथ लगीं हुई थी। कुल मिलाकर डेकोरेशन रूम को महल जैसा लुक दे रहा था।
बेटा तुम आराम करो। कोई भी चीज चाहिए तो इटंरकॉम यूज करना।
वैसे मैंने स्पेशली सोनिया को कह दिया है वो तुम्हारा ख्याल रखेगी।
बाकी हम और शेखर तो है ही।
उसने गर्दन हिला दी।
दादी जी कहां हैं??? नीचे स्टेयर्स उतर कर लेफ्ट साइड में उनका रूम है। बार बार चढ़ने उतरने में दिक्कत होगी इसलिए लिफ्ट यूज कर सकती हो।
उनके जाने के बाद वो डोर लॉक करके बैठ गई।
यही कोई पंद्रह मिनट बाद डोर पर नॉक ‌हुआ।
उसने खोला तो एक लड़की आई।
बाइस तेईस साल की उम्र दिखने में अच्छी लग रही थी। उसने उसे कहा गुड आफ्टर नून मैम
मैं सोनिया हूं।
आप लंच में क्या लेंगी ???
जो सब खाएंगे??
ओके मैम कोई भी काम हो तो आप मुझे बुला सकती हैं।
उसके जाने के बाद वो सोचने लगी कि उसे इतनी लक्जरी लाइफ की आदत नहीं है। वो यहां एडजस्ट कर भी पाएगी या नहीं???
शेखर की फैमली जैसा बनने में उसे काफी वक्त लग जाएगा।
लंच के लिए सब इक्कठे हुए।
उसने दादी को प्रणाम ‌किया दादी ने आशीर्वाद दिया। सुरेखा! तुम बहुत लकी हो तुम्हें प्रिया जैसी बहू मिल रही है।
हां ये तो है वो प्यार से उसे देख कर मुस्कराते हुए बोलीं।
प्रिया! बेटा तुम रूम में ही लंच कर लेती। जितना हो सके आराम करो।
हैरतअंगेज बात कि शेखर लंच पर भी नहीं था।
लंच खत्म करके रूम में आई। तो दवा लेकर सो ग‌ई।
देर शाम उठी। मैसेज चैक किए।
शेखर का मैसेज था “आ रहा हूं।”
शेखर की मम्मी ने उसे कहा प्रिया चाय साथ पिएंगे।
उन्होंने आकर रूम का पर्दा सरका कर ग्लास डोर खोल दिया।
रूम से जुड़ी ह्यूज बाल्कनी थी। चाय वहीं पर लाई गई।
चाय पीते हुए शेखर की मम्मी बोलीं प्रिया डाक्टर घर आकर ही तुम्हारी ड्रेसिंग करेंगे।
जी मम्मी
प्रिया कुछ देर चुप रही फिर उसने कहा कि मम्मी आप बुरा तो नहीं मानेंगी आपसे एक बात पूछ सकती हूं??
हां पूछो
मम्मी आप हम दोनों की शादी के लिए तैयार कैसे हुईं??
मेरे और आपके बीच में स्टेटस का एक बहुत बड़ा फासला है।
सच कहूं प्रिया तो मैं पहले तैयार नहीं थी। पर शेखर बहुत समझदार है। उसे तुम पसंद थी और हम उसे अच्छी तरह जानते हैं वो एक परफेक्ट डिसीजन मेकर है।
मम्मी क्या इस रिश्ते में जिद जैसी कोई बात है???
नहीं इतना मत सोचो हम सब खुश हैं।
आज प्रिया के अंदर चल रहा डर उसे कम होता प्रतीत हो रहा था।
ये सब बातें छोड़ो बेटा कल तुम दोनों के लिए एक पूजा रखी गई है। सुबह तैयार हो जाना मैं सोनिया को भेज दूंगी वो हैल्प कर देगी।
कपड़े अभी भिजवा दूंगी। सुबह तैयार हो कर मेरे रूम में आ जाना।
बाइ द वे डिनर में क्या लेना पसंद करोगी?? कुछ हल्का खा लूंगी।
उनके जाने के बाद प्रिया का दिमाग शेखर की तरफ चला गया कि वो कहां है???
डिनर के वक्त तक शेखर वापस आ गया।‌ उसके पापा उसे डांटते हुए बोले जब बाहर होते हो तो कम से कम एक फोन तो कर सकते हो। कुछ दिनों में शादी हो जाएगी घर पर ध्यान देना शुरू करो।
आप लोग ध्यान दे तो रहें हैं उसने हंसते हुए कहा।
किसी की भी बात का कोई असर नहीं प्रिया सोच रही थी।
फिर वो उसकी ओर मुखातिब हुआ।
कैसी हो??? शेखर की आवाज में नरमी थी।
ठीक हूं। उसने धीरे से कहा।
उसकी नजरें प्रिया पर ही टिकी हुई थीं।
प्रिया को असहज महसूस हो रहा था उसे लग रहा था कि सब उसे देख रहें हैं।
शेखर! मेरी पोता‌ बहू का ख्याल अच्छे से रखो। कितनी कमजोर है ये लड़की।
जी दादी बहुत अच्छे से ख्याल रखूंगा वो उसकी तरफ देखते हुए बोला।
डिनर के बाद प्रिया दादी के रूम में उनके साथ चली गई।
क्योंकि शेखर का बेडरूम ऊपर ही था।
वो चाहती थी कि उसे उसका सामना न करना पड़े। इस सिचुएशन में वो उसकी वजह से ही फंसी थी।
जब वो सो जाएगा तभी ऊपर जाएगी।
दादी के रूम में काफी देर तक बैठ कर उनसे बातें करती रही।
वो घड़ी देख रही थी। सोचने लगी दादी भी अब उसे जाने को कहेंगी।
क्या मैं दादी के रूम में ही सो जाऊं??? पर पता नहीं वो अपना रूम किसी के साथ शेयर करती होंगी या नहीं।
प्रिया क्या सोच रही हो ??? अब जाकर आराम करो।
जी दादी।
वो उठी और ऊपर चली गई।
कारीडोर में कोई नहीं था। शेखर के रूम का डोर भी बंद था।
वो फटाफट से अपने रूम में आई और उसने डोर बंद किया और चैन की सांस ली।
शुक्र है शायद वो सो चुका है।
तभी उसने देखा बाल्कनी का ग्लास डोर ओपन था।
सर्द रात में भी उसके माथे पर पसीना छलक आया।
तभी बाल्कनी से शेखर ने एंटर किया।
वो धम्म से बैड पर बैठ गई।
क्या हुआ???
कुछ नहीं आप अभी तक सोए नहीं???
तुम्हारा इंतजार कर रहा था वो मुस्कराया। मैं तो सोच रहा था कि तुम आज दादी के रूम में ही रहोगी।
थैंक गॉड तुम आई तो सही।
मैं जानती हूं ये सब आपने ही किया है??? अब क्या कर दिया मैंने??? मुझे यहां आपने ही बुलवाया है मैं अच्छी तरह से जानती हूं। उसने गुस्से से कहा।
शेखर ने बेड से दो पिलो उठाए और सिर के नीचे लगा कर लेट गया।
अरे! वाह तुम तो बहुत समझदार हो।
हां मैंने ही बुलवाया है। अब मैं तुमसे दूर नहीं रह‌ सकता
उसने मुस्करा कर कहा।
इसी को लिव इन कहते हैं शायद
वो उठी और डोर की तरफ बढ़ी शेखर फुर्ती से डोर से सट कर खड़ा हो गया।
कहां जा रही हो? लगता है कि तुम्हें खुद पर भरोसा नहीं है कि कहीं मेरी बाहों में आकर पिघल न जाओ??
मुझे आप पर भरोसा नहीं है।
ये तो सही कहा तुमने मेरा कोई भरोसा नहीं है। उसने प्रिया की तरफ कदम बढ़ाया।
प्रिया पीछे हटने लगी। प्लीज ये ठीक नहीं है।
मेरे शोल्डर पर इंजरी है और दर्द भी बहुत है।
मुझे पता है मैं इतना बेरहम नहीं हूं। उसने धीरे से उसके करीब आ कर कहा।
देखिए मैं शोर मचा दूंगी। ये दीवारें साउंड प्रूफ हैं।
अब सच में वो बहुत डर गई।
कुछ दिनों में हमारी शादी हो जाएगी।
डेढ़ महीना बहुत ज्यादा है माई लव शेखर ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा।
नहीं प्लीज जाइए यहां से प्रिया ने कहा कर आंखें बंद कर ली।
उसने धीरे से उसके कान पर किस किया??
इतना क्यों डर रही हो??? तुम्हारा होने वाला पति हूं।
छोड़ दीजिए मुझे उसकी आंखें बंद थी।
वो हंसा और उसने उसे बैड पर बैठा दिया। अब प्रिया ने आंखें खोली
गोली कंधे पर झेल ली तब डर नहीं लगा। और मुझसे इतना डर लग रहा है।
आप बहुत बुरे हैं हद से ज्यादा बुरे। मैं कल ही यहां से चली जाऊंगी।
ऐसे कौन परेशान करता है???
अच्छा! मैं अब परेशान नहीं करूंगा। बिल्कुल नहीं वो चुपचाप उसकी बगल में बैठ गया।
तुम्हें लाने को मैंने ही मम्मी को भेजा था। पुलिस बहुत तेजी से काम कर रही है वो जल्द ही पकड़ में आ जाएगा।
तब तक हमें सावधान रहना होगा।
वैसे इससे एक बात तो अच्छी हुई कि तुम यहां रहने आ गई।
इन्जर्ड होना अच्छी बात है क्या??
प्रिया ने धीरे से कहा
एक बात कहूं लगने देती मुझे गोली??
चुप रहिए कुछ भी बोलते रहते हैं।
हाय! ये पत्नी वाली अदा
सच में यही मुझे तुम पर हक का अहसास दिलाती है। उसने अपने दिल पर हाथ रख लिया।
लगता है कि जब पत्नी बन जाओगी तो मुझे डरा धमकाकर रखोगी।
जाइए मुझे नींद आ रही है। आपको ये अहसास नहीं है कि मैं दर्द में हूं।
मम्मी जी ने कहा है कि सुबह पूजा के लिए लिए जल्दी उठकर तैयार होना है।
प्लीज शेखर जाइए। उसने खीझ कर कहा।
तुम कितनी अनरोमांटिक हो।
ओके गुड नाईट डार्लिंग। ठीक से बंद करना नहीं तो मैं फिर आ जाऊंगा।
उसने डोर खोला और चला गया। उसके जाने के बाद प्रिया ने जल्दी से लॉक किया और कपड़े चेंज करके लेट गई।
हे! भगवान मैं यहां नहीं रह सकती इस ऊपर के फ्लोर में तो बिल्कुल नहीं। मुझे कुछ तो करना ही होगा???
ईश्वर करे वो गोली चलाने वाला जल्दी पकड़ा जाए जिससे मैं जल्दी वापस जाऊं।
और दी ने यहां आने के बाद एक बार भी फोन नहीं किया।
सोचते सोचते उसे नींद आ गई।
क्रमशः

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