एक बार की बात है गुरु नानक देव महाराज अपने शिष्यों को यह समझा रहे थे कि ईश्वर हम सबको समान अवसर देती है लेकिन अवसर का इस्तेमाल सभी लोग नहीं कर पाते हैं. कई लोग भाग्य के भरोसे बैठकर अपने अवसर को खो देते हैं लेकिन कई लोग उस कठिन परिस्थितियों में भी अपने आप को संघर्ष कर महान बना लेते हैं.
गुरु नानक देव के शिष्यों को यह बात समझ नहीं आ रही थी, उन्होंने बोला ठीक है मैं तुम्हें एक उदाहरण से यह बात समझाना चाहता हूं, उन्होंने एक शिष्य से कहा अपने पड़ोस के गांव में जाओ और वहां से थोड़ी सी चायपति ले कर आओ एक दूसरे शिष्य को खेत से आलू लाने के लिए कहा और तीसरे शिष्य से पंछी के घोसले से अंडा लाने के लिए कहा.
अब गुरु नानक देव ने एक शिष्य से से कहा कि तीन चूल्हे पर मिट्टी के बर्तन में पानी डालकर इसे गर्म करो फिर उसके बाद एक एक करके उन्होंने एक मिट्टी के बर्तन में आलू डाला दूसरे में अंडा घोटाला और तीसरे में चाय डाल दिया।
लेकिन शिष्यों को अभी भी यह समझ नहीं आ रहा था, आखिर यह हो क्या रहा है. आधे घंटे बाद जब तीनों मिट्टी के बर्तनों में उबाल आने लगा गुरु नानक देव ने सभी मिट्टी के बर्तनों को नीचे उतारने के लिए कहा.
अब उन्होंने अपने सभी शिष्यों को बारी बारी से तीनों को स्पर्श के लिए कहा .
उसके बाद गुरु नानक देव ने सारे लोगों से पूछा तुम्हें कुछ चीज समझ आ रहा है, सब ने ना में सिर हिलाया उन्होंने बोला अब गौर से से सुनो मेरी बात को, देखो यह आलू जो पहले तुम लाए थे तब कितना कठोर था लेकिन उबालने के बाद यह मुलायम हो गया. और यह अंडा यह पहले कितना मुलायम था लेकिन उबालने के बाद यह कठोर हो गया. और यह चाय पत्ती यह तो उबालने के बाद अपना रंग ही बदल दिया।
मैं तुम्हें यही सिखाना चाह रहा था कि तीनों को हमने समान अवसर और परिस्थितियां दिया तीनों को एक ही तरह के मिट्टी के बर्तन में उबाला लेकिन तीनों में तीन तरह के गुण मौजूद थे उनके अंदर लेकिन समान परिस्थिति में तीनों के तीन बदल गए.
ऐसा ही इंसान के साथ होता है एक ही परिस्थिति में कोई इंसान अपने आप को महान बना लेता है तो कोई इंसान अपने आप को पहले से भी खराब और बुरा बना लेता है यह हम पर निर्भर है कि हम अपने परिस्थितियों का उपयोग कैसे करें यह हर इंसान पर लागू होती है.