“स्वार्थी कौन” – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव

Post View 901  ऊजे कांच ही बांस के बहँगिया …बहँगी लचकत जाये  ऊजे भरिया जे होइहें …… छठी मईया के इस अधूरे गीत ने सुमन जी के हृदय में हाहाकार उठा दिया था। वह एक हाथ अपने कलेजे पर रखी हुई थी और दूसरे हाथ से अपने वियोग के निकले आंसुओं को पोंछ रहीं थीं। … Continue reading  “स्वार्थी कौन” – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव