सूखी रेत का महल… – साधना मिश्रा समिश्रा

Post View 41,077 सतविंदर घर में घुसी तो देखा कि बैठक में चाईजी और प्राजी दोनों बैठकर गहन विचार-विमर्श कर रहे थे। अंतिम वाक्य उसने सुना कि सब ठीक है। सबके पास सब कुछ नहीं होता। सब मनचाहा ही नहीं होता। कहीं न कहीं समझौता तो करना ही पड़ता है। यह चाईजी कह रहीं थीं… … Continue reading सूखी रेत का महल… – साधना मिश्रा समिश्रा