“शहादत” – कविता भड़ाना

Post View 370 तेरी मिट्टी में मिल जावा गुल बनके में खिल जावा इतनी सी है दिल की आरज़ू “ “चारो तरफ फैले घोर अंधकार में, लगातार गरजती, बरसती गोलियों की बरसात, कानफोड़ू बारूद के आग उगलते हुए तेज धमाकों और चारों तरफ बिखरे हुए मानव अंग,इन सबके बीच रोहन ने आंख खोली, पर एक … Continue reading “शहादत” – कविता भड़ाना