सपनों के इन्द्रधनुष – डॉ पुष्पा सक्सेना

Post View 8,176   उस पहाड़ी कस्बे में पापा की नियुक्ति होते ही आस-पास के बंगले वाले स्वागत-सत्कार में जुट गए थे। रोज ही नई सौगातों, पार्टियों का तांता लग गया था। छोटी जगहों में पुलिस अधिकारी का दबदबा ज़रा अधिक ही होता है। पापा को जो कोठी मिली थी उसके बाई ओर मानिकराम की लांड्री … Continue reading सपनों के इन्द्रधनुष – डॉ पुष्पा सक्सेना