प्रारब्ध* – रेखा मित्तल

Post View 822 आंसू झरझ़र बहे जा रहे थे!! कल्याणी देवी बहुत परेशान थी। बार-बार यही बोले जा रही थी, “मेरा बेटा आने वाला है वह बोल कर गया है, कुछ खाने के लिए लेकर आएगा!”      बस स्टैंड पर सुबह से कल्याणी देवी बैठी हुई थी। जब बहुत देर हो गई हो गई तो उसने … Continue reading प्रारब्ध* – रेखा मित्तल