Post View 3,203 अपने ग्राहक के दुपट्टे पर उन रंगबिरंगे फूलों के गुच्छों बीच पीले पराग की कढ़ाई करती चित्रा के घर के समीप से गुज़रती गाड़ी की तेज हॉर्न एकदम से सुन वो काँप उठी और अनायास नुकीली सुई उसके कोमल हाथों में चुभ गई। “ये रवि के आने का समय नहीं है।” अपने … Continue reading नियति की मोहर – रुचि पंत
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