मनहूस वो नहीं हम है…. – भाविनी केतन उपाध्याय 

Post View 23,732 मेहंदी की रस्म शुरू होने वाली है और शर्वरी की नजर अपनी एकलौती भाभी को ढूंढ रही है। उसने अपनी दोस्त को मां को बुलाने भेजा अहिल्या जी ने आते ही पूछा “तुमने अभी तक मेहंदी लगवानी शुरू नहीं की?” “नहीं मां, मैं भाभी की राह देख रही थी वो आते ही … Continue reading  मनहूस वो नहीं हम है…. – भाविनी केतन उपाध्याय