माँ – कल्पना मिश्रा 

Post View 55,800 लोग इकट्ठे हो रहे थे। चिरनिद्रा में लीन माँ की अंतिम यात्रा की तैयारी शुरू होने लगी। उनको नहलाया जा रहा था.. वैसे तो ये काम बहुयें करती हैं और देवरानी अपना फर्ज़ निभा भी रही थी लेकिन मैं तो बस पत्थर सी बनी माँ को देखे जा रही थी।तब मात्र साढ़े … Continue reading माँ – कल्पना मिश्रा