*कापुरुष* – मुकुन्द लाल

Post View 28,173    रात के सन्नाटे को चीरती हुई कई लोगों की  मिली-जुली आवाजें “रिक्शा रोको।” ने रिक्शे पर बैठे दम्पति को चौंका दिया। रिक्शावाला भी शायद भयभीत हो गया था। पैडल पर उसने दबाव बढ़ा दिया था।  सहसा अंधेरे के बीच से कई साये एक साथ उभर आये। उनमें से दो ने दौड़कर … Continue reading *कापुरुष* – मुकुन्द लाल