इत्तफाक – विजया डालमिया 

Post View 1,015 पर फड़फड़ाते हैं अरमानों के अल्फाज बनकर उतर जाते हैं पन्नों पर कोई कहानी बनकर। वह एक गुनगुनाती, मुस्कुराती सुबह थी ।मैं कार से उतर कर अपनी धुन में आगे बढ़ रही थी। इतने में ही एक बाइक मेरे बगल से तेजी से निकली ।सड़क पर थोड़ा कीचड़ था जिसके छीटों ने … Continue reading इत्तफाक – विजया डालमिया