गिन गिन कर पैर रखना….. – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

Post View 41 “अरे रूपा…. आजकल तेरे आंचल की छोड़ में क्या बांधे रहती है… रोज देखती हूं…..!”  “ओ मेमसाब… कुछ नहीं…. घर से आती है ना… जो मिल जाता…. नीचे गिर पड़ा…. सिक्का.. पैसा.. सब बांध लेती है…. कुछ नहीं इसमें… अभी तो ये… फालतू कागज बंधा है…! ” बोलकर आंचल की छोड़ को…. … Continue reading गिन गिन कर पैर रखना….. – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi