घर से बेघर – विजय कुमारी मौर्य

Post View 506 जंगल के किनारे एक दरख्त…. के नीचे बैठे बुजुर्ग अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर अपने बच्चों के लिए दुआ मांग रहे थे, “हे ऊपर वाले माफ कर देना मेरे बच्चों को, शायद उनकी भी कोई मजबूरी होगी मुझे घर से निकालने की, या मेरी कोई कमजोरी। आज मेरी पत्नी जिन्दा होती तो … Continue reading घर से बेघर – विजय कुमारी मौर्य