Post View 369 रजनी का सिर चकरा रहा था, उसनें सपने में भी कल्पना नहीं की थी ,कि उसकी अपनी बेटी शिल्पी, उसे,इस तरह जवाब देगी |उसके कानों में शिल्पी के कहे शब्द गूंज रहे थे | ‘ यह क्या माँ ! हर समय साये की तरह,मंडराती रहती हो |खुल कर साँस भी नहीं लेने … Continue reading दृष्टिकोण – पुष्पा जोशी
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