डायरी – संगीता श्रीवास्तव

Post View 1,146 आंसू मेरे गालों को ही नहीं, हृदय को भी भिगो रहे थे। मैं मर्माहत थी। तुमने अच्छा नहीं किया। काश! तुम पहल किये‌ होते…. मुझे सब कुछ याद आने लगा। वह सामने वाली बर्थ पर था। मैं अपनी 2 साल की बेटी के साथ, पति के पास नौकरी पर जा रही थी। … Continue reading डायरी – संगीता श्रीवास्तव