ढोये हुए रिश्ते – कल्पना मिश्रा

Post View 4,557 कचहरी से आकर लॉन में ही पड़ी कुर्सी पर आँख मूंदकर बैठ गईं वो। अतीत की जिन बातों को अपने दिलोदिमाग़ से हटा देना चाहती ,उन्हें वही बातें बार-बार याद आ रही थीं। मात्र उन्नीस साल की ही तो हुई थी वह, जब बाबा की ज़िद की वजह से पढ़ाई बीच में … Continue reading ढोये हुए रिश्ते – कल्पना मिश्रा