बुनियाद – ऋतु अग्रवाल 

Post View 343 आज गंगा बहुत बेचैन थी। ना जाने, मन में कैसे-कैसे भाव आ रहे थे। इन्हीं भावों की परिलक्षितता उसके उठान में दिख रही थी। बड़ी ही तीव्रता से लहरें उठती और उसी वेग में गिरकर वापस लौट जाती। गंगा से जब रहा नहीं गया तो वह सरस्वती को पुकारने लगी,” सरस्वती! छोटी! … Continue reading बुनियाद – ऋतु अग्रवाल