आखिरी आवाज़ – कंचन श्रीवास्तव 

Post View 777 की बोड पर हर वक्त थिरकती हुई उंगलियां अचानक शांत हो गई है ऐसा लगता है जैसे पोर पोर दुखता है पास होते हुए भी बेगाने सा पड़ा रहता है। आज पूरे दो महीने हो गए समीर को गए, पर ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात है । हां कल … Continue reading आखिरी आवाज़ – कंचन श्रीवास्तव