आंखियो के कोर , “दर्द की दांस्ता ” – रीमा ठाकुर
Post View 933 आरू सुनो “ किसी की आवाज से आरु के पैर थाम गये! वो आवाज जानी पहचानी लगी “ उसने अपना मुहं ढक लिया और जिस दिशा से आवाज आ रही थी, उधर घूम गयी! वो जाना पहचाना चेहरा था! मंयक वो धीरे से बोली “ अब तक मंयक उसके नजदीक आ गया … Continue reading आंखियो के कोर , “दर्द की दांस्ता ” – रीमा ठाकुर
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