Post View 277 उसका पत्र मिला मुझे, बहुत अवसाद भरा था।उसने लिखा था–“मैं जिन्दगी से निराश हो गई हूँ । जीने की इच्छा खत्म हो गई है, पर अपनी अनुभा का मुँह देखती हूँ तो सोचती हूँ, मेरे बाद क्या होगा इसका ? क्या तू दो चार दिन के लिये नहीं आ सकती मेरे पास, … Continue reading 1965 का प्रेम – सुनीता मिश्रा
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