Post View 119 राधिका अपने बेटे को झुलाते हुए अतीत में खो जाती है। पार्क,झूला व शाम, सब वही। बस कृष्णम के स्थान पर बेटा दिव्यम। इसी झूले पर एक हुए और बिछड़े भी। बस यही एक सहारा बचा ज़िन्दगी में। कैसे भुलाए उन लम्हों को। सहकर्मी कृष्णम के साथ उसकी सुहानी शामें यहीं बीतती … Continue reading वो झूला – सरला मेहता
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed