वक़्त का ख़ेल – बेला पुनिवाला 

Post View 665 आधी रात को अपने ही बंगले के चारों ओर चक्कर लगाते हुए सौरभ अपनी ही धून में तेज़ दौड़ लगा रहा था। जैसे कि उसे किसी को हराना हो, उसकी आँखें गुस्से से आग बबूला हो रही थीं, उसे वक़्त और जगह का भी कोई होश नहीं था। तभी सौरभ की माँ … Continue reading  वक़्त का ख़ेल – बेला पुनिवाला