टका सा मुँह लेकर रह जाना – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

Post View 228     “क्या मम्मी! भाभी की दो साड़ियाँ ही तो ली हैं मैंने। भाभी को तो शादी में ससुराल और मायके दोनों ही तरफ़ से इतनी साड़ियाँ मिली है। अगर मैं दो-तीन साड़ियाँ ले भी लूँगी तो क्या ही फ़र्क पड़ जाएगा। आखिर यह मेरा मायका है, मेरा हक़ है।” तृषा ने तुनक कर … Continue reading टका सा मुँह लेकर रह जाना – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi