स्वयंसिद्धा – शुभ्रा बैनर्जी 

Post View 15,356 “मां!मां! ये क्या सुन रहा हूं मैं?क्या हो गया है आपको? मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था,कि आप ऐसा कुछ कर सकतीं हैं।” अखिल की आवाज में निराशा और गुस्से का मिश्रण था।मुझे उसके चेहरे में कहीं न कहीं एक पुरुष का सारा हुआ अहं दिखाई दे रहा था।मेरे लिए … Continue reading स्वयंसिद्धा – शुभ्रा बैनर्जी